Happy Mother's Day Wishes: या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता?, मातृ दिवस के अवसर पर सभी मातृ शक्ति का वंदन-अभिनंदन, पढ़िए ये कविता

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 11, 2025 10:54 IST2025-05-11T10:53:57+5:302025-05-11T10:54:29+5:30

मां हमें जीवन देने के साथ ही उसे अर्थमय भी बनाती है। समस्त मातृशक्ति का वंदन-अभिनंदन।

Happy Mother's Day Wishes Ya Devi Sarvabhuteshu Matrurupen Sansthita Salutations greetings all maternal powers occasion read poem Dr Dharmaraj | Happy Mother's Day Wishes: या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता?, मातृ दिवस के अवसर पर सभी मातृ शक्ति का वंदन-अभिनंदन, पढ़िए ये कविता

सांकेतिक फोटो

Highlightsसेतु मां, संस्कारों की प्रथम शिल्पकार होती है। समूची मातृशक्ति को हार्दिक अभिनंदन!

Happy Mother's Day Wishes: इतिहास में 11 मई के नाम बेहद खास है। यह दिन इतिहास में एक और खास घटना के साथ दर्ज है। मातृ दिवस के अवसर पर सभी मातृ शक्ति का वंदन-अभिनंदन करते हुए शुभकामनाएं। संस्कृत में श्लोक है, ‘‘या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै।। नमस्तस्यै।। नमस्तस्यै नमो नमः।’’ मातृ दिवस की समूची मातृशक्ति को हार्दिक अभिनंदन!’’ परिवार की एकता एवं सुमति की सेतु मां, संस्कारों की प्रथम शिल्पकार होती है। मां हमें जीवन देने के साथ ही उसे अर्थमय भी बनाती है। समस्त मातृशक्ति का वंदन-अभिनंदन।

Happy Mother's Day Wishes: मां पर विशेष कविता-

माँ, होती है केवल माँ
घर की आन-बान-शान
पापा का धन
माँ, जिसके विश्वास के आगे
बौना नज़र आता है हिमालय
माँ, जिसकी पवित्रता के आगे
मैली नज़र आती है गंगा

माँ के चरणों की रज हैं दुनिया के सभी धर्म
कोई देवता नहीं
जो हो सके खड़ा माँ के सामने
घर की बुनियाद है माँ
हर मुसीबत फरियाद है माँ

माँ तू है तो पैन्ट दूसरे दिन धुलता है
तू नहीं तो वही पैन्ट सप्ताह भर चलता है
माँ तू है तो घर में हास है, परिहास है
तू नहीं तो ज़र्रा-ज़र्रा उदास है
माँ तू है तो रोटी जली है सब्जी में नमक ज़्यादा है
तू नहीं तो सब सीधा-साधा है

माँ तू है तो करवा चौथ है, अहोई अष्टमी है
तू नहीं तो ये धरती रुष्टमी है
माँ तू है तो जन्नत है स्वर्ग है
तू नहीं तो दोज़ख है, नरक है

माँ जब लगाती है घर में पौंछा
तो प्रवेश नहीं करने देती पापा को
बच्चों के प्रवेश पर लगाती है कई बार पौंछा
माँ के हाथ से बना खाना लज़ीज़ होता है
और हाथ से धुले कपड़े गृहस्थी का आईना

माँ जीती पापा के लिए है
और मरती सन्तान के लिए है...।

कौन हैं डॉ. धर्मराज

जन्म- 25 दिसम्बर, 1968 को मथुरा जनपद के ऐतिहासिक कस्बा सोंख में 

शिक्षा- Ph.D. (सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' के कथा-साहित्य में चित्रित समाज विषय पर)

सम्प्रति- डीन, फैकल्टी ऑफ लिबरल आर्ट्स एंड साइंसेज केएम विश्वविद्यालय, मथुरा

अब तक 4 पुस्तकें प्रकाशित

1. आदमी अब भी अकेला है
2. कुछ दिन और
3. कह दो अधरों से
4. सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' का कथा-साहित्य और समाज

Web Title: Happy Mother's Day Wishes Ya Devi Sarvabhuteshu Matrurupen Sansthita Salutations greetings all maternal powers occasion read poem Dr Dharmaraj

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे