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Happybirthday: मुरली मनोहर जोशी के 86वें जन्मदिन पर PM मोदी ने की मुलाकात, जानिए जब जोशी 13 दिन के लिए बने देश के गृहमंत्री

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 5, 2020 15:36 IST

उन्होंने अपना एम्एससी इलाहाबाद विश्वविद्यालय से किया जहाँ प्राध्यापक राजेन्द्र सिंह उनके एक शिक्षक थे। यहीं से उन्होंने अपनी डॉक्टोरेट की उपाधि भी अर्जित की। उनका शोधपत्र स्पेक्ट्रोस्कोपी पर था। अपना शोधपत्र हिन्दी भाषा में प्रस्तुत करने वाले वे प्रथम शोधार्थी हैं। बाद में वे राष्ट्रीय राजनीति में आ गये।

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ठळक मुद्देअपनी युवावस्‍था में डॉ. जोशी राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ से जुड़ गए और गौ रक्षा संबंधी आंदोलनों में भागीदारी की।1980 में डॉ. जोशी ने भारतीय जनता पार्टी की स्‍थापना में अपना सहयोग दिया।

आज देश के पूर्व गृहमंत्री व भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी का 86 वां जन्मदिन है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके दिल्ली स्थित आवास पर जाकर उनसे मुलाकात की और उन्हें शुभकामनाएं दी। प्रधानमंत्री के अलावा देश के गृहमंत्री अमित शाह समेत पक्ष व विपक्ष के दर्जनों नेताओं ने मुरली मनोहर जोशी को उनके जन्मदिन पर शुभकामनाएं दी। जोशी भारतीय जनता पार्टी के न सिर्फ कद्दावर नेता हैं बल्कि कभी पार्टी में यदि आडवाणी की छवी पितामह की थीं तो जोशी गुरू द्रोण की भूमिका में जरूर होते थे। आइये पूर्व गृहमंत्री की राजनीतिक सफर के बारे में जानते हैं-

उत्तराखंड के रहने वाले हैं जोशीमुरली मनोहर जोशी ने भले ही देश व उत्तर प्रदेश की राजनीति जिंदगी भर की हो लेकिन कम लोग जानते हैं कि वो अब के उत्तराखंड के रहने वाले हैं।  उनका जन्म 5 जनवरी सन 1934 को दिल्ली में हुआ था। लेकिन, उनका पैतृक निवास-स्थान वर्तमान उत्तराखण्ड के कुमाउं क्षेत्र में है। हालांकि,यह बात और है कि तब उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था। यहीं से जोशी ने अपनी शुरुआती पढ़ाई लिखाई की थीं। इसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए आज के प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) चले गए। पढ़ाई पूरी होने के बाद वह यहीं राजनीति भी करने लगे थे।  

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र थे जोशीउन्होंने अपना एम्एससी इलाहाबाद विश्वविद्यालय से किया जहाँ प्राध्यापक राजेन्द्र सिंह उनके एक शिक्षक थे। यहीं से उन्होंने अपनी डॉक्टोरेट की उपाधि भी अर्जित की। उनका शोधपत्र स्पेक्ट्रोस्कोपी पर था। अपना शोधपत्र हिन्दी भाषा में प्रस्तुत करने वाले वे प्रथम शोधार्थी हैं। बाद में वे राष्ट्रीय राजनीति में आ गये।

भाजपा की स्थापना में जोशी ने निभाई अहम भूमिका अपनी युवावस्‍था में डॉ. जोशी राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ से जुड़ गए और गौ रक्षा संबंधी आंदोलनों में भागीदारी की। 1980 में डॉ. जोशी ने भारतीय जनता पार्टी की स्‍थापना में अपना सहयोग दिया और इसके अध्‍यक्ष बनें। डॉक्टर जोशी तीन बार इलाहाबाद के विधायक रहे। और इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनावों में उन्‍हें हार का सामना करना पड़ा। 15वीं लोकसभा में उन्‍होंने वाराणसी से बीजेपी उम्‍मीदवार के रूप में जीत दर्ज की। प्रधानमंत्री मोदी जब 2014 में यहां से चुनाव लड़े तो इनका काशी से रिश्ता टूट गया था। 

जब 13 दिन के लिए बने देश के गृह मंत्री  1996 में जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार 13 दिनों के लिए बनी थी, उस दौरान डॉक्टर जोशी ने गृह मंत्री का पदभार संभाला था। 15वीं लोकसभा के कार्यकाल में 1 मई 2010 को उन्‍हें लोक लेखांकन समिति का अध्‍यक्ष बनाया गया। इसके अलावा जब अटल जी के नेतृत्व में दूसरी बार सरकार बनी तो जोशी ने इस सरकार में अहम भूमिका निभाई थीं। 

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