पढ़ाई की खातिर घर छोड़कर मुस्लिम व्यक्ति के साथ चली गई थी: महिला ने उच्च न्यायालय को बताया

By भाषा | Updated: January 4, 2021 21:12 IST2021-01-04T21:12:03+5:302021-01-04T21:12:03+5:30

Had left home for study with a Muslim man: woman told High Court | पढ़ाई की खातिर घर छोड़कर मुस्लिम व्यक्ति के साथ चली गई थी: महिला ने उच्च न्यायालय को बताया

पढ़ाई की खातिर घर छोड़कर मुस्लिम व्यक्ति के साथ चली गई थी: महिला ने उच्च न्यायालय को बताया

नयी दिल्ली, चार जनवरी पिछले साल नवंबर में घर छोड़कर जाने वाली युवती ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि घर पर ठीक से पढ़ाई नहीं कर पाने के कारण वह एक मुस्लिम व्यक्ति के साथ चली गई थी, लेकिन अब वह अपने माता-पिता के साथ रहने के लिए तैयार है।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान इस बात पर गौर किया कि युगल जोड़े का विवाह नहीं हुआ था, हालांकि ‘निकाहनामा’ तैयार किया गया था। इस युवती के माता पिता ने अदालत को आश्वासन दिया कि वे आगे पढ़ाई करने की उसकी इच्छा का सम्मान करेंगे और घर में अनुकूल माहौल भी बनाएंगे।

इसके अलावा, उन्होंने अदालत को यह आश्वासन भी दिया कि इस सारी घटनाओं के लिये वे अपनी बेटी को डांटेंगे नहीं और न ही ताने देंगे और वे उसकी इच्छा के खिलाफ किसी अन्य व्यक्ति से शादी करने के लिए उसे मजबूर भी नही करेंगे।

पीठ ने जब शुरू में इस युवती से बातचीत की तो उसने कहा कि वह अपने परिवार में वापस जाने को तैयार नहीं है और बाद में उनसे बात करेगी।

इस पर पीठ ने कहा, ‘‘अगर वह नहीं जाना चाहती है, तो हम उसे जाने के लिए मजबूर नहीं कर सकते।’’

माता-पिता ने अनुरोध किया था कि उनकी बेटी को प्रदान किए गए आवास में रहने दिया जाये। लेकिन पीठ ने इस अनुरोध को ठुकराते हुए कहा, ‘‘यदि वह जाना चाहती है तो हम कैसे उसे नारी निकेतन तक बांध कर रख सकते है? वह वयस्क है और हम उसे वहां रहने के लिये बाध्य नहीं कर सकते।’’

हालांकि सुनवाई के दौरान अपने रोते हुए माता-पिता से बातचीत करने के बाद वह घर लौटने के लिये राजी हो गई। इसके बाद अदालत ने उसके पिता को दिन के समय उसे राष्ट्रीय राजधानी के नारी निकेतन से लाने की अनुमति दी जहां वह 26 दिसम्बर से रह रही थी।

पीठ ने कहा कि उसे क्षेत्र के बीट कांस्टेबल के मोबाइल फोन नंबर उपलब्ध कराए जाएंगे ताकि जरूरत पड़ने पर वह उनसे संपर्क कर सके और पहले दो सप्ताह के दौरान हर दूसरे दिन एक महिला कांस्टेबल उसका हाल-चाल जानने के लिए उसके घर जायेगी।

अदालत ने इसके साथ ही युवती के पिता द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निस्तारण कर दिया। युवती के पिता ने इस याचिका में अदालत से अनुरोध किया था कि सात नवम्बर, 2020 से लापता उसकी बेटी को पेश करने का निर्देश दिया जाये। परिवार ने दावा किया था कि उसे एक ‘बंगलादेशी’ व्यक्ति जबरदस्ती अपने साथ ले गया है।

सुनवाई के दौरान महिला की मां ने कहा, ‘‘उस व्यक्ति ने उसका ‘ब्रेनवॉश’ किया और उसे ले गया। वह बंगलादेशी है और भारत का नहीं है। वापस आओ, वह तुम्हें बेच देगा।’’

अदालत ने अपने आदेश में इस तथ्य का जिक्र किया कि इस साल गुरू गोबिन्द सिंह इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय से बी.टेक की पढ़ाई पूरी कर चुकी यह युवती प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना चाहती है ओर उसने परिवार में लगातार होने वाली नोंक-झोंक के कारण घर छोड दिया था।

अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘ युवती ने बतायाकि वह उसके साथ(उस व्यक्ति) एक वकील के पास गयी थी जिसे 10,000 रूपए दिये गये और एक काजी को बुलाने के बाद उसने निकाहनामा तैयार किया। उसने यह नहीं बताया कि उसका इस्लाम में धर्मान्तरण हुआ है। अब यह देखना होगा कि क्या इन परिस्थितियों में सिर्फ निकाहनामा तैयार करना ही मुस्लिम विवाह माना जायेगा।’’

पुलिस ने इस मामले में सुनवाई की पिछली तारीख पर युवती के परिवार के सदस्यों को पुलिस की सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया था।

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Web Title: Had left home for study with a Muslim man: woman told High Court

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