Gyanvapi Mosque: ज्ञानवापी में त्रिशूल का होना, देव प्रतिमाओं का होना, दीवारें और सबूत चिल्ला चिल्ला कर सच कह रहे हैं!, सीएम योगी के बयान पर विपक्ष हुआ हमलावर

By राजेंद्र कुमार | Published: July 31, 2023 07:29 PM2023-07-31T19:29:47+5:302023-07-31T19:33:14+5:30

Gyanvapi Mosque: सीएम योगी ने यह सब तब कहा है, जबकि एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) से ज्ञानवापी का सर्वे कराने का मामला अभी हाई कोर्ट में है।

Gyanvapi Mosque UP CM Adityanath breaks silence Gyanvapi mosque controversy says historical mistake that should be rectified see video | Gyanvapi Mosque: ज्ञानवापी में त्रिशूल का होना, देव प्रतिमाओं का होना, दीवारें और सबूत चिल्ला चिल्ला कर सच कह रहे हैं!, सीएम योगी के बयान पर विपक्ष हुआ हमलावर

file photo

Highlightsसमाजवादी पार्टी (सपा) तथा कांग्रेस के नेताओं के सीएम योगी के बयान पर नाराजगी जताई है।सपा के सांसद एसटी हसन ने कहा कि मस्जिद में 350 साल से नमाज हो रही है। भाजपा के नेता और कार्यकर्ता अब ज्ञानवापी के मामले को चुनाव का मुद्दा बनाने में जुटेंगे।

लखनऊः उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनावों के पहले सूबे की योगी सरकार मंदिर-मस्जिद को लेकर राजनीतिक माहौल बनाने में जुट गई है। इसी क्रम में सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर बड़ा बयान दिया है। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी में त्रिशूल का होना, देव प्रतिमाओं का होना, दीवारें और सबूत चिल्ला चिल्ला कर सच कह रहे हैं।

अगर उसे मस्जिद कहेंगे तो फिर विवाद होगा। मस्जिद में त्रिशूल हमने तो नहीं रखा। मुस्लिम समाज को कहना चाहिए कि ऐतिहासिक गलती हुई है। मुस्लिम समाज की ओर से इस गलती के समाधान के लिए प्रस्ताव आना चाहिए। सीएम योगी ने यह सब तब कहा है, जबकि एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) से ज्ञानवापी का सर्वे कराने का मामला अभी हाई कोर्ट में है।

ऐसे में सीएम योगी के इस बयान को अब आगामी लोकसभा चुनाव से जोड़ कर देखा जा रहा है। और इस मामले को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्ष के नेता एक बार फिर आमने-सामने खड़े हो राजनीतिक बयानबाजी करने लगे हैं। यही वजह है कि सीएम योगी के इंटरव्यू की वीडियो क्लिप जारी होते ही समाजवादी पार्टी (सपा) तथा कांग्रेस के नेताओं के सीएम योगी के बयान पर नाराजगी जताई है।

दोनों ही दलों के नेताओं का कहा है कि अदालत में इस मामले की सुनवाई हो रही है, ऐसे में संवैधानिक पद पर बैठे मुख्यमंत्री को इस मामले पर नहीं बोलना चाहिए। अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिए। वही सपा के सांसद एसटी हसन ने कहा कि मस्जिद में 350 साल से नमाज हो रही है।

अब उसे मस्जिद न कहें तो क्या कहें। एसटी हसन के इस बयान पर भाजपा के नेताओं ने प्रतिक्रिया नहीं दी है। पर अब यह माना जा रहा है कि भाजपा के नेता और कार्यकर्ता अब ज्ञानवापी के मामले को चुनाव का मुद्दा बनाने में जुटेंगे।

भाजपा की इस रणनीति को समझते हुए ही सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी सीएम योगी के इस बयान पर पार्टी के रुख को तय करने के लिए मंगलवार को पार्टी नेताओं की बैठक बुलाई है। वही दूसरी तरफ कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने सीएम योगी के बयान पर यह कहा है कि मामला कोर्ट में लंबित है। संवैधानिक पद पर बैठे मुख्यमंत्री को इस मामले पर नहीं बोलना चाहिए।

अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिए। प्रमोद तिवारी का कहना है कि लोगों को बांटने की राजनीति करने वाली भाजपा और उसके नेता धर्म के नाम पर चुनाव जीतने की योजना पर कार्य कर रहे हैं। इसलिए ही सीएम योगी ने जानबूझ कर ज्ञानवापी के मामले में बयान दिया है। उनकी इस बांटने वाली राजनीति का कदम-कदम पर जवाब दिया जाएगा। 

फिलहाल राममंदिर के मामले में सपा को घेरने वाली भाजपा के ज्ञानवापी को लेकर ही जाने वाली राजनीति का अखिलेश यादव ने तगड़ा जवाब देने की तैयारी कर ली है। सपा नेताओं के अनुसार भाजपा नेता मुलायम सिंह यादव के राज में अब तक कार सेवकों पर गोली चलाने का मुद्दा हर चुनाव में उठाते रहे हैं।

ऐसे में सीएम योगी के ज्ञानवापी को लेकर स्पष्ट किए गए रुख को लेकर भाजपा अब गांव-गांव में सरकार के कामकाज की अपेक्षा इस मामले को ही प्रमुखता से उठाएगी। ऐसे में इस मामले को लेकर अखिलेश यादव ने पार्टी का स्टैंड तय करने के लिए पार्टी नेताओं से साथ बैठक कर फैसला लेंगे।

यह फैसला क्या होगा इसका एक झलक पार्टी सांसद एसटी हसन के कथन से मिल चुकी है। एसटी हसन ने कहा कि मस्जिद में 350 साल से नमाज हो रही है। अब उसे मस्जिद न कहें तो क्या कहें। मुख्यमंत्री योगी को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए। अभी मामले की जांच चल रही है।

अब इसके बाद ही पता चलेगा वो क्या है। सीएम योगी के इस कथन कि ज्ञानवापी परिसर में त्रिशूल क्या कर रहा है? पर एसटी हसन ने कहा है कि अगर संसद में त्रिशूल बना दें तो क्या वो संसद नहीं, मंदिर हो जाएगा? मुस्लिम समाज ने बड़ा दिल दिखाया है, बाबरी के समय भी दिखाया था। बेहतर हो कि अब हर धार्मिक स्थलों के नीचे अवशेष तलाशना बंद हो। 

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