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"ज्ञानवापी विवाद कोर्ट के बाहर नहीं सुलझ सकता", हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: August 17, 2023 14:00 IST

ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि मस्जिद विवाद का अदालत के बाहर कानूनी रूप से कोई समझौता संभव नहीं है।

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ठळक मुद्देज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने दिया बड़ा बयान उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी विवाद का अदालत के बाहर कानूनी रूप से कोई समझौता संभव नहीं हैवकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि वे भी इस तरह के किसी समझौते के लिए तैयार नहीं हैं

वाराणसी: ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने गुरुवार को कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद मामले में अदालत के बाहर कानूनी रूप से कोई समझौता संभव नहीं है। वकील विष्णु शंकर जैन ने यह बयान विश्व वैदिक सनातन संघ के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष जितेंद्र सिंह बिसेन द्वारा अंजुमन इंतेजामिया को पत्र लिखे उस पत्र पर दिया, जिसमें उन्होंने अंजुमन इंतेजामिया को अदालत के बाहर ज्ञानवापी विवाद का समाधान करने का प्रस्ताव दिया था।

वकील विष्णु शंकर जैन ने बिसेन के लिखे पत्र पर कहा, “इसका कोई कानूनी मूल्य नहीं है। सीपीसी के आदेश 23 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जब तक सभी पक्ष सहमत नहीं हो जाते, तब तक कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।"

उन्होंने आगे कहा, "देश और समाज से जुड़े मामलों में जहां पूरे समाज को शामिल करते हुए प्रतिनिधि वाद दायर किया जाता है। वहां पर कोई व्यक्ति या पक्ष अकेले समझौता करना भी चाहे तो भी नहीं कर सकता है। इसलिए सीपीसी के तहत अदालत से बाहर समाधान की कोई पहल संभव नहीं है क्योंकि यह कानूनी रूप से ही संभव नहीं है।''

हिंदू पक्षकार विष्णु शंकर ने आगे कहा, "हमारी कोई भी पार्टी या दूसरे पक्ष के साथ अदालत के बाहर समझौते करने के लिए तैयार नहीं है।"

समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि वे भी इस तरह के किसी समझौते के लिए तैयार नहीं हैं, क्योंकि ऐसा करने के लिए दूसरे पक्ष को कुछ अधिकार छोड़ने होंगे और वो एक इंच भी जमीन छोड़ने को तैयार नहीं हैं।

उन्होंने कहा, “मैं आपके माध्यम से पूछना चाहता हूं कि यह समझौता कैसे होगा? समझौता तभी होता है जब आप अपने कुछ अधिकार छोड़ देते हैं और दूसरा व्यक्ति अपने कुछ अधिकार छोड़ देता है। यहां हम तारबंदी के अंदर की एक इंच जमीन भी छोड़ने को तैयार नहीं हैं। हम चाहते हैं कि पूरा क्षेत्र बैरिकेड के अंदर हो।''

वकील जैन ने आगे दोहराया कि जिस तरह से उन्होंने एक मंदिर को मस्जिद के रूप में इस्तेमाल किया है, उसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए, इसलिए समझौते का कोई सवाल ही नहीं है।"

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के बाद मस्जिद के वुज़ूखाने को छोड़कर पूरे परिसार का 4 अगस्त को वैज्ञानिक सर्वे शुरू हुआ है, जिसने एएसआई को यह परखना है कि क्या 17 वीं शताब्दी की मस्जिद का निर्माण पूर्व में किये गये हिंदू मंदिर के उपर किया गया है।

टॅग्स :ज्ञानवापी मस्जिदवाराणसीKashiAllahabad High CourtASI
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