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ज्ञानवापी मामला: वजूखाने में बनी पानी की टंकी की सफाई का काम हुआ पूरा, जिलाधिकारी की देखरेख में हुई सफाई

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 20, 2024 17:36 IST

हिन्दू पक्ष के अधिवक्तता सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि उच्‍चतम न्‍यायालय के आदेश के बाद शनिवार सुबह करीब सवा नौ बजे जिलाधिकारी एस राजलिंगम के देखरेख में टंकी की सफाई का काम शुरू हुआ, जो करीब ढ़ाई घण्टे तक चला।

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ठळक मुद्देवजूखाने में बनी पानी की टंकी की सफाई का काम हुआ पूराजिलाधिकारी की देखरेख में हुई सफाईसफाई के बाद वजू खाने को फिर से सील कर दिया गया है

वाराणसी:  वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में बनी टंकी की सफाई का काम जिलाधिकारी की देखरेख में शनिवार को पूरा हो गया। इस दौरान परिसर और उसके आसपास बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी और केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवान मौजूद थे। उच्चतम न्यायालय द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद में पानी की टंकी को साफ करने की अनुमति दिये जाने के बाद जिला प्रशासन ने शनिवार को सफाई का काम शुरू किया। 

हिन्दू पक्ष के अधिवक्तता सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि उच्‍चतम न्‍यायालय के आदेश के बाद शनिवार सुबह करीब सवा नौ बजे जिलाधिकारी एस राजलिंगम के देखरेख में टंकी की सफाई का काम शुरू हुआ, जो करीब ढ़ाई घण्टे तक चला। इस दौरान हिन्दू पक्ष की चारों वादी उनके अधिवक्ता, मुस्लिम पक्ष के वादी और उनके अधिवक्ता भी मौजूद रहे। त्रिपाठी ने बताया कि सफाई के बाद वजू खाने को फिर से सील कर दिया गया है। 

इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के सचिव मोहमद यासीन ने कहा कि टंकी की सफाई के बाद उसमें मरी पाई गई मछलियों को नगर निगम के कर्मचारियों को सौंप दिया गया, साथ ही 40 जिंदा मछलियां प्रशासन ने मुझे सौंपी हैं। वाराणसी जिला अदालत ने पिछले साल 21 जुलाई को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को यह पता लगाने के लिए ‘विस्तृत वैज्ञानिक सर्वेक्षण’ करने का निर्देश दिया था कि काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित मस्जिद का निर्माण किसी मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया है या नहीं। 

इससे पहले, उच्चतम न्यायालय ने मस्जिद परिसर के ‘‘वजूखाने’’ को संरक्षित रखने का आदेश दिया था जिसके कारण यह हिस्सा सर्वेक्षण का हिस्सा नहीं होगा। हिंदू वादियों ने इस स्थान पर ‘शिवलिंग’ होने का दावा किया है। हिंदू कार्यकर्ताओं का दावा है कि इस स्थान पर पहले एक मंदिर था और 17वीं शताब्दी में मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर इसे ध्वस्त कर दिया गया था। 

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