लाइव न्यूज़ :

"ज्ञानवापी मस्जिद भी मंदिर के अवशेष पर बनी है, मस्जिद के तहखाने के नीचे देवताओं की दबी हुई मूर्तियां पाई गई हैं" ASI रिपोर्ट

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: January 26, 2024 7:30 AM

एएसआई द्वारा किये गये अध्ययन की रिपोर्ट से पता चला है कि वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद को 17 वीं शताब्दी में पहले से मौजूद मंदिर की संरचना पर बनाया गया है।

Open in App
ठळक मुद्देज्ञानवापी मस्जिद को 17 वीं शताब्दी में पहले से मौजूद मंदिर की संरचना पर बनाया गया है मस्जिद के निर्माण में कुछ हिस्से को बनाने के लिए मंदिर के अवशेषों का प्रयोग किया गया हैमस्जिद के मौजूदा ढांचे की पश्चिमी दीवार पहले से मौजूद विशाल हिंदू मंदिर के अवशेष का हिस्सा है

वाराणसी: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा किये गये अध्ययन की रिपोर्ट से पता चला है कि वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद को 17 वीं शताब्दी में पहले से मौजूद मंदिर की संरचना पर बनाया गया है। रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि मस्जिद के निर्माण में कुछ हिस्से को बनाने के लिए मंदिर के अवशेषों का प्रयोग किया गया है। रिपोर्ट के आधार पर यह कहा जा सकता है कि ज्ञानवापी मस्जिद की मौजूदा संरचना के निर्माण से पहले वहां एक विशाल हिंदू मंदिर मौजूद था।

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि मस्जिद के मौजूदा ढांचे की पश्चिमी दीवार पहले से मौजूद विशाल हिंदू मंदिर के अवशेष का हिस्सा है।

एएसआई की रिपोर्ट के अनुसार, "मस्जिद के एक कमरे के अंदर पाए गए अरबी-फारसी शिलालेख में उल्लेख है कि मस्जिद का निर्माण औरंगजेब के 20वें शासनकाल (1676-77 ई.) में किया गया था। इसलिए यह प्रतीत होता है कि वहां पर पहले से मौजूद विशाल मंदिर की संरचना 17वीं शताब्दी में शासनकाल के दौरान नष्ट कर दी गई थी। उसके बाद औरंगजेब द्वारा मंदिर के कुछ हिस्से को मौजूदा मंस्जिद बनाने में  उपयोग किया गया था। एएसआई के किए गए वैज्ञानिक सर्वेक्षण में वास्तुशिल्प अवशेषों, कलाकृतियों, शिलालेखों और मूर्तियों के अध्ययन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि वहां मस्जिद बनने से पहले एक हिंदू मौजूद था।"

रिपोर्ट में आगे कहा गया है, "मस्जिद की मौजूदा संरचना में केंद्रीय कक्ष और पूर्व मौजूदा संरचना के मुख्य प्रवेश द्वार, पश्चिमी कक्ष और पश्चिमी दीवार पर किये गये वैज्ञानिक अध्ययन और टिप्पणियों के आधार पर पता चलता है कि मौजूदा मस्जिद संरचना में पहले से मौजूद मंदिर संरचना के स्तंभों और स्तंभों का पुन: उपयोग किया गया है और मस्जिद की मौजूदा संरचना के शिलालेख , ढीले पत्थर पर अरबी और फ़ारसी शिलालेख, तहखानों में मूर्तिकला अवशेष आदि को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि मौजूदा ढांचे के निर्माण से पहले वहां एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था।''

इस संबंध में वाराणसी की जिला अदालत ने एएसआई सर्वेक्षण का आदेश तब दिया था, जब हिंदू याचिकाकर्ताओं की ओर से दावा किया था कि 17वीं सदी की ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद विश्वनाथ मंदिर के ऊपर किया गया है।

इसके बाद वाराणसी के जिला न्यायालय द्वारा दिये गये 21 जुलाई, 2023 के आदेश के अनुपालन में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा 3 अगस्त, 2023 के आदेश और सुप्रीम कोर्ट द्वारा 4 अगस्त, 2023 को दिये आदेश दिया गय था। जिसके बाद एएसआई ने मौजूदा मस्जिद के ढांचे के अंदर और उसके आसपास स्टील ग्रिल से घिरे 2150.5 वर्ग मीटर क्षेत्र में वैज्ञानिक जांच और सर्वेक्षण किया। जिससे पता चला कि मस्जिद की सभी वस्तुएं, जो वैज्ञानिक सर्वेक्षण के दौरान देखी गई। उन वस्तुओं का विधिवत दस्तावेजीकरण किया गया था।

रिपोर्ट में कहा गया है, "मौजूदा मस्जिद के अध्ययन में शिलालेख, मूर्तियां, सिक्के, वास्तुशिल्प टुकड़े, मिट्टी के बर्तन और टेराकोटा, पत्थर, धातु और कांच की वस्तुएं शामिल थीं। इस अध्ययन में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों द्वारा सील किए गए क्षेत्रों को शामिल नहीं किया गया था।"

पहले से मौजूद मंदिर संरचना के केंद्रीय कक्ष और मुख्य प्रवेश द्वार का उल्लेख करते हुए एएसआई रिपोर्ट में कहा गया है, "पुराने मंदिर में एक बड़ा केंद्रीय कक्ष था और क्रमशः उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम में कम से कम एक कक्ष था। तीन कक्षों के अवशेष उत्तर, दक्षिण और पश्चिम में अभी भी मौजूद हैं, लेकिन पूर्व में कक्ष के अवशेष और इसके आगे के विस्तार का भौतिक रूप से पता नहीं लगाया जा सका है क्योंकि यह क्षेत्र पत्थर के फर्श वाले एक मंच के नीचे ढका हुआ है।"

रिपोर्ट के अनुसार, "पहले से मौजूद मंदिर संरचना का केंद्रीय कक्ष मौजूदा मस्जिद संरचना का केंद्रीय हॉल है। सभी वास्तुशिल्प घटकों और फूलों की सजावट के साथ मोटी और मजबूत दीवारों वाली पुरानी संरचना का उपयोग मस्जिद के मुख्य हॉल के रूप में किया गया था। इसमें जानवरों की आकृतियां उकेरी गई थीं, पहले से मौजूद संरचना के सजाए गए मेहराबों के निचले सिरे को विकृत कर दिया गया था और गुंबद के अंदरूनी हिस्से को ज्यामितीय डिजाइनों से सजाया गया है।"

एएसआई के अनुसार, "मंदिर के केंद्रीय कक्ष का मुख्य प्रवेश द्वार पश्चिम से था, जिसे पत्थर की चिनाई से अवरुद्ध कर दिया गया था। इस प्रवेश द्वार को जानवरों और पक्षियों की नक्काशी और एक सजावटी तोरण से सजाया गया था। इस बड़े धनुषाकार प्रवेश द्वार में एक और छोटा प्रवेश द्वार था। इस छोटे प्रवेश द्वार के ललाटबिंब पर उकेरी गई आकृति को काट दिया गया है। दरवाजे पर उकेरी गई एक पक्षी की आकृति के अवशेष मुर्गे के प्रतीत होते हैं।''

रिपोर्ट में कहा गया है, "मौजूदा मस्जिद की संरचना की पश्चिमी दीवार पहले से मौजूद हिंदू मंदिर का शेष हिस्सा है।"

स्तंभ और स्तंभों का उल्लेख करते हुए एएसआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि मस्जिद के विस्तार और 'सहन' के निर्माण के लिए स्तंभों और स्तंभों सहित पहले से मौजूद मंदिर के कुछ हिस्सों को थोड़े से संशोधनों के साथ पुन: उपयोग किया गया था।

रिपोर्ट में कहा गया है, "मौजूदा मस्जिद की संरचना में उपयोग किए गए स्तंभों का वैज्ञानिक रूप से अध्ययन किया गया था। मस्जिद के विस्तार और सहन के निर्माण के लिए स्तंभों और स्तंभों सहित पहले से मौजूद मंदिर के कुछ हिस्सों को थोड़े से संशोधनों के साथ मस्जिद बनाने में पुन: उपयोग किया गया था। स्तंभों और गलियारे के सूक्ष्म अध्ययन से पता चलता है कि वे मूल रूप से पहले से मौजूद हिंदू मंदिर का हिस्सा थे। मौजूदा मस्जिद की संरचना में उनके पुन: उपयोग के लिए कमल पदक के दोनों ओर उकेरी गई व्याल आकृतियों को विकृत कर दिया गया था और डिज़ाइन में कोनों से पत्थर को हटाने के बाद उस स्थान को फूलों से सजाया गया था।''

एएसआई ने आगे कहा कि वर्तमान मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान कुल 34 शिलालेख दर्ज किए गए हैं।

रिपोर्ट के अनुसार "मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान मौजूदा और पहले से मौजूद संरचनाओं पर कई शिलालेख देखे गए। सर्वेक्षण के दौरान कुल 34 शिलालेख दर्ज किए गए। ये वास्तव में पूर्व के पत्थरों पर शिलालेख हैं। मौजूदा हिंदू मंदिर, जिनका मौजूदा ढांचे के निर्माण या मरम्मत के दौरान पुन: उपयोग किया गया है। इनमें देवनागरी, ग्रंथ, तेलुगु और कन्नड़ लिपियों में शिलालेख शामिल हैं। संरचना में पहले के शिलालेखों के पुन: उपयोग से पता चलता है कि पहले की संरचनाएं नष्ट हो गई थीं और मौजूदा संरचना के निर्माण या मरम्मत में उनके हिस्सों का पुन: उपयोग किया गया था। इन शिलालेखों में जनार्दन, रुद्र और उमेश्वर जैसे देवताओं के तीन नाम पाए जाते हैं। तीन शिलालेखों में उल्लिखित महा-मुक्तिमंडप जैसे शब्द बहुत महत्वपूर्ण हैं।"

एएसआई ने अपने सर्वेक्षण में उल्लेख किया है कि मंच के पूर्वी हिस्से में तहखाने बनाते समय पहले के मंदिरों के स्तंभों का पुन: उपयोग किया गया था। इसमें कहा गया है, "तहखाने एस2 में हिंदू देवताओं की मूर्तियां और नक्काशीदार वास्तुशिल्प सदस्य मिट्टी के नीचे दबे हुए पाए गए।"

टॅग्स :ज्ञानवापी मस्जिदवाराणसीKashiकोर्टसुप्रीम कोर्टAllahabad High Courtsupreme court
Open in App

संबंधित खबरें

भारतSwati Maliwal ‘assault’ case: मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराएंगी आम आदमी पार्टी की सांसद स्वाति मालीवाल, तीस हजारी अदालत पहुंचीं, केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार पर केस

भारतब्लॉग: तकनीक के उपयोग से मुकदमों के शीघ्र निपटारे में मदद मिलेगी

भारतNCBC Punjab and West Bengal: पंजाब-पश्चिम बंगाल में रोजगार आरक्षण कोटा बढ़ाने की सिफारिश, लोकसभा चुनाव के बीच एनसीबीसी ने अन्य पिछड़ा वर्ग दिया तोहफा, जानें असर

भारतसुप्रीम कोर्ट से ईडी को लगा तगड़ा झटका, कोर्ट ने कहा- 'विशेष अदालत के संज्ञान लेने के बाद एजेंसी नहीं कर सकती है गिरफ्तारी'

भारतLok Sabha Elections 2024: "अमित शाह ने केजरीवाल की जमानत पर बयान देकर सुप्रीम कोर्ट की मंशा पर सवाल खड़ा किया है", कपिल सिब्बल ने गृह मंत्री की टिप्पणी पर किया हमला

भारत अधिक खबरें

भारतUP Lok Sabha election 2024 Phase 5: राजनाथ, राहुल और ईरानी की प्रतिष्ठा दांव पर!, लखनऊ, रायबरेली, अमेठी, कैसरगंज, फैजाबाद, कौशांबी सीट पर 20 मई को पड़ेंगे वोट

भारतस्वाति मालीवाल को लेकर पूछे गए सवाल पर भड़क गए दिग्विजय सिंह, बोले- मुझे इस बारे में कोई बात नहीं करनी

भारतUP Lok Sabha Elections 2024: भाजपा को आखिर में 400 पार की आवश्‍यकता क्‍यों पड़ी, स्वाति मालीवाल को लेकर पूछे सवाल का दिग्विजय सिंह ने नहीं दिया जवाब

भारतKaiserganj constituency: क्या सपा, बसपा की चुनौती के सामने पिता का दबदबा कायम रख पाएंगे छोटे 'भूषण'?

भारतSwati Maliwal Case: विभव कुमार की गिरफ्तारी को अरविंद केजरीवाल ने भाजपा की साजिश बताया, कल MP, MLA के साथ पहुंचेंगे भाजपा मुख्यालय