गुजरात सरकार धर्मांतरण रोधी कानून की धारा-5 पर से रोक हटवाने के लिए उच्च न्यायालय पहुंची

By भाषा | Updated: August 25, 2021 20:51 IST2021-08-25T20:51:58+5:302021-08-25T20:51:58+5:30

gujarat government reached high court to get the ban on section 5 of the anti-conversion law | गुजरात सरकार धर्मांतरण रोधी कानून की धारा-5 पर से रोक हटवाने के लिए उच्च न्यायालय पहुंची

गुजरात सरकार धर्मांतरण रोधी कानून की धारा-5 पर से रोक हटवाने के लिए उच्च न्यायालय पहुंची

गुजरात सरकार ने नए धर्मांतरण रोधी कानून के मुद्दे पर बुधवार को उच्च न्यायालय का रुख किया। सरकार ने न्यायालय से हाल में दिए गए उस आदेश में संशोधन करने का अनुरोध किया जिसके तहत धर्मांतरण रोधी कानून की धारा-5 पर रोक लगाई गई है। राज्य सरकार ने गुजरात उच्च न्यायालय में दाखिल याचिका में कहा कि गुजरात धार्मिक आजादी (संशोधन) अधिनियम-2021 की धारा-5 का विवाह से कोई लेना देना नहीं है। अदालत राज्य सरकार के आवेदन पर सुनवाई को तैयार हो गई है। गौरतलब है कि उच्च न्यायालय ने 19 अगस्त को दिए आदेश में गुजरात धार्मिक आजादी (संशोधन) अधिनियम-2021 की धारा- 3,4, 4ए से 4सी तक, 5,6 और 6ए पर सुनवाई लंबित रहने तक रोक लगा दी थी। राज्य सरकार ने बुधवार को मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति बिरेन वैष्णव की पीठ का रुख किया और संशोधित अधिनियम की धारा-5 के संदर्भ में अदालत के आदेश में संशोधन के लिए नोट परिपत्र की अनुमति मांगी। इस धारा को दो याचिकाओं के जरिये चुनौती दी गई है। एडवोकेट जनरल कमल त्रिवेदी ने अदालत से कहा कि धारा-5 का विवाह से कोई लेना देना नहीं है और यह धर्मांतरण की अनुमति है, जो पिछले 18 साल से गुजरात धार्मिक आजादी अधिनियम-2003 के तहत ली जा रही है। उन्होंने कहा, ‘‘ माई लॉर्ड ने मेरे तर्क को रिकॉर्ड पर लिया, मैंने कहा कि जहां तक शादी का सवाल है तो उसपर रोक नहीं है...धारा-5 का उससे कोई लेना देना नहीं है... यह जो भी धर्मांतरण करता है उसकी अनुमति लेने की बात करता है और लोग वर्ष 2003 से इस तरह की अनुमति ले रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि धारा-5 में ‘शादी’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है और यह धर्मांतरण के लिए जिलाधिकारी से अनुमति से संबंधित है, जो शादी से पहले या शादी के बाद या बिना शादी के मामलों में भी ली जा सकती है। त्रिवेदी ने तर्क दिया, ‘‘ दरअसल, धारा-5 आज भी होनी चाहिए जबकि स्वेच्छा से धर्मांतरण किया जा सकता है। अगर मैं मुस्लिम लड़के से शादी करना चाहता हूं, तो लोग आगे आ रहे हैं और शादी से पहले या बाद में और यहां तक कि बिना शादी के भी धर्मांतरण की अनुमति ले रहे हैं।’’ अदालत ने मामले की सुनवाई पर सहमति देते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं के वकीलों को इसकी सूचना दी जानी चाहिए। गौरतलब है कि संशोधित कानून की धारा-5 के तहत धार्मिक पुजारी के लिए किसी व्यक्ति का धर्मांतरण कराने से पहले जिलाधिकारी की अनुमति लेना अनिवार्य है। इसके साथ ही धर्मांतरण करने वाले व्यक्ति को भी निर्धारित आवेदन भरकर अपनी सहमति से जिलाधिकारी को अवगत कराना होगा। पिछले महीने जमीयत उलेमा ए हिंद की गुजरात इकाई ने याचिका दायर कर दावा किया कि सरकार द्वारा पारित नए कानून की कुछ धाराएं असंवैधानिक हैं।

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Web Title: gujarat government reached high court to get the ban on section 5 of the anti-conversion law

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