गुजरात के इस गांव में अनोखी परंपरा! नहीं है किसी पार्टी या उम्मीदवार को प्रचार की इजाजत, वोट नहीं देने पर लगता है जुर्माना
By विनीत कुमार | Published: November 23, 2022 02:43 PM2022-11-23T14:43:23+5:302022-11-23T14:49:01+5:30
गुजरात के राजकोट में एक ऐसा गांव है जहां किसी भी चुनाव के दौरान प्रचार का शोर नहीं होता है। इस गांव में चुनाव प्रचार पर यहां के लोगों ने ही रोक लगा रखी है। कोई बैनर या पोस्टर भी नहीं लगाया जाता है।
राजकोट: गुजरात विधानसभा चुनाव-2022 के ऐलान के बाद से ही समूचे राज्य में पार्टियों और विभिन्न उम्मीदवारों के प्रचार का शोर गूंज रहा है। हालांकि राजकोट के राज समाधियाला गांव के लोग इन तमाम शोरगुल से दूर हैं। दरअसल, इस गांव में किसी भी चुनाव के दौरान पार्टियों या उम्मीदवारों को किसी तरह के प्रचार की इजाजत नहीं है। यह परंपरा 1983 से चली आ रही है। गांववालों का मानना है कि चुनाव के दौरान उम्मीदवारों को प्रचार के लिए इजाजत देने से मतदाता प्रभावित होते हैं और अपनी मर्जी से वोट नहीं दे पाते हैं।
वोट नहीं देने पर गांव वालों पर लगता है जुर्माना
राजकोट से महज 20 किमी की दूरी पर स्थित गांव राज समाधियाला केवल पार्टियों को यहां प्रचार से ही नहीं रोकता बल्कि मतदान प्रक्रिया में बेहद सक्रिय रूप से हिस्सा भी लेता है। यह लगभग हर चुनाव में वोटिंग का प्रतिशत 100 के आसपास रहता है। इस गांव में एक नियम ये भी है कि मतदान नहीं देने वाले पर 51-51 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है।
1700 की आबादी वाले इस छोटे से गांव ने एक कमेटी बनाई है। मतदान से कुछ दिन पहले समिति के सदस्य ग्रामीणों की एक बैठक बुलाते हैं और यदि कोई मतदान करने में असमर्थ होता है तो समिति को इसका कारण पहले से बताना होता है।
गांव के सरपंच ने बताया, 'राजनीतिक दलों को गांव में प्रचार करने की अनुमति नहीं देने का नियम 1983 से मौजूद है। यहां किसी भी पार्टी को प्रचार करने की अनुमति नहीं है। राजनीतिक दलों को भी इस बारे में पता है कि अगर वे राज समाधियाला गांव में प्रचार करेंगे तो वे उनका ही नुकसान होगा। हमारे गांव में सभी लोगों को मतदान करना अनिवार्य है अन्यथा उन पर 51 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है।'
क्यों प्रचार करने की नहीं है गांव में इजाजत?
एक स्थानीय शख्स ने कहा, 'यहां उम्मीदवार प्रचार नहीं करते ताकि हमारे गांव के लोग उस नेता को वोट दे सकें जिसे वे अच्छा समझते हैं।'
एक अन्य स्थानीय ने कहा कि राजनीतिक दलों को बैनर लगाने या पर्चे बांटने की भी अनुमति नहीं है। उन्होंने कहा, 'यहां लोग चुनाव में अपनी मर्जी से वोट डालते हैं, लेकिन वोट देने के लिए सभी को आना पड़ता है।"
एक स्थानीय ने कहा, 'पिछले 20 सालों से मैं यहां मतदान कर रहा हूं, लेकिन यहां चुनाव प्रचार प्रतिबंधित है और यहां मतदान अनिवार्य है।'स्थानीय लोगों के मुताबिक अब पड़ोस के पांच गांवों ने भी ऐसा ही फैसला लिया है। स्थानीय लोगों का मानना है कि अगर हर गांव इस सोच को अपनाए तो सही उम्मीदवार चुनाव जीत जाएगा।