Interview: पत्रकारिता छोड़ कांग्रेस या भाजपा नहीं बल्कि 'आप' से ही क्यों जुड़े इसुदान गढ़वी? जानिए, गुजरात में AAP के सीएम चेहरे ने क्या कहा
By शरद गुप्ता | Published: November 22, 2022 01:21 PM2022-11-22T13:21:31+5:302022-11-22T13:23:15+5:30
गुजरात में आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार इसुदान गढ़वी ने लोकमत समूह के वरिष्ठ संपादक शरद गुप्ता से चुनाव और राज्य के मुद्दों पर विस्तृत बात की। पढ़ें ये इंटरव्यू...
गुजरात विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार इसुदान गढ़वी पिछड़ी जाति से आने वाले फायरब्रांड टीवी पत्रकार थे. लेकिन कोविड के दौरान मरीजों की दुर्दशा देखकर उन्होंने पत्रकारिता छोड़ समाजसेवा का फैसला किया. उन्होंने लोकमत समूह के वरिष्ठ संपादक शरद गुप्ता से चुनावी रणनीति और मुद्दों पर खुलकर बात की. प्रस्तुत है मुख्य अंश…
- पत्रकारिता छोड़ आप राजनीति में क्यों कूद पड़े?
मैं किसान परिवार से आता हूं. आज भी हल चलाना जानता हूं. मैंने कभी पत्रकार बनने का सोचा भी नहीं था. देवी मां ने चाहा तो बना और बहुत सफल पत्रकार बना. लेकिन पत्रकार बन में बुराइयों को तो उजागर कर पा रहा था लेकिन जरूरतमंदों की मदद नहीं कर पा रहा था. इसीलिए देवी मां की प्रेरणा से मैंने समाज सेवा करने का फैसला किया है.
- तो आम आदमी पार्टी ही क्यों चुनी? कांग्रेस या भाजपा क्यों नहीं?
इन दोनों पार्टियों की वजह से ही गुजरात कि आज यह हालत है कि कोरोना से लोग मरते रहे और कोई देखने वाला नहीं था. सड़कों के नाम पर केवल गड्ढे हैं. पूरे देश में जो गुजरात मॉडल बेचा जा रहा है, उसकी हकीकत गुजरात के लोग जानते हैं. बेरोजगारी बढ़ती जा रही है. हर परीक्षा में पर्चा आउट कर दिया जाता है और कोई दोषी नहीं पाया जाता. कांग्रेस ने तो भाजपा के सामने समर्पण कर दिया है. धीरे-धीरे आम आदमी पार्टी ही देश की मुख्य विपक्षी पार्टी बनती जा रही है.
- आपकी पार्टी का गुजरात में क्या भविष्य दिख रहा है?
भाजपा तो पिछली चुनाव में भी बमुश्किल सरकार बना पाई. कांग्रेस चाहती तो पिछली बार ही सरकार बना सकती थी. कांग्रेस तो इतनी कमजोर हो गई कि पिछले वर्ष हुए जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में 31 में से उसे एक भी सीट नहीं मिली. अब यह दोनों पार्टियां और भी अधिक अलोकप्रिय हो गई हैं. इसीलिए लोग आज आम आदमी पार्टी की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं. पिछले 8 महीनों में हमारी पार्टी गुजरात की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. मुझे पूर्ण विश्वास है कि हम अच्छे मतों से जीत कर सरकार बनाएंगे.
- अभी तक आ रहे चुनावी सर्वेक्षण कुछ और कहानी कह रहे हैं?
मैं खुद मीडिया में रहा हूं और जानता हूं कि ये सर्वेक्षण कैसे किए जाते हैं. गुजरात के शहरी क्षेत्रों की 66 सीटों में से भाजपा कम से कम आधी सीटें हारेगी. हमें केवल सूरत शहर की 8 या 9 सीटें मिलेंगी. देहात की 25 से 30 सीटों पर बीजेपी को बहुत मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है. अभी लोग भाजपा के डर से खामोश हैं. लेकिन मतदान करते समय से अवश्य मुखर रहेंगे.
- आखिर आप के मुद्दे क्या है?
मैं टीवी पर महामंथन नाम से एक घंटे का एक टीवी शो चलाता था जिसमें जनता से जुड़े मुद्दे उठाए जाते थे. लोगों की इतनी महंगाई कि मुझे उसे 30 घंटे का करना पड़ा उसके बाद भी लोग उसे और बढ़ाने की मांग करते रहे. गुजरात के किसी भी टीवी कार्यक्रम से मेरा प्रोग्राम 4 गुना ज्यादा पॉपुलर था. हर गांव के मुद्दे मैंने उठाए हैं. किसान की मुद्दे, शिक्षा के मुद्दे, चिकित्सा के मुद्दे, बिजली-सड़क-पानी के मुद्दे. जनता से जुड़े मुद्दों की मुझसे अधिक समझ मुझे नहीं लगता गुजरात में किसी और को है. 50 लाख बेरोजगार युवा है इस राज्य में, 67 लाख किसान हैं. सभी परेशान हैं. हमें बस उनकी परेशानियां दूर करनी हैं. दिल्ली और पंजाब की तरह हमें यहां भी लोगों को मुफ्त बिजली और पानी देना है. अभी तक हमने 60 लाख से अधिक गारंटी कार्ड जारी किए हैं.
- राजनीति में कम अनुभव क्या आपकी कमजोरी साबित होगा?
मैंने 16 वर्षों तक राजनीतिक पत्रकारिता की है. किसी भी राजनीतिक दल को यदि रणनीति चाहिए थी पर मुझसे संपर्क करते थे. मैं 32 विधायकों का सलाहकार रह चुका हूं. क्या मुद्दे उठाए जाने चाहिए, क्या भाषण देना है, चुनाव कैसे जीतना है और सरकार कैसे चलानी है, यह सब मैं ही बताता था. तो मुझे तो इन सभी से कहीं ज्यादा अनुभव है.
- गुजरात में इस बार भी भाजपा नहीं बल्कि मोदीजी चुनाव लड़ रहे हैं. आप कैसे मुकाबला कर पाएंगे?
इस बार मोदीजी नहीं बीजेपी चुनाव लड़ रही है. धीरे-धीरे भाजपा का इतना क्षरण हो गया है कि वह अपना अस्तित्व खोती नजर आ रही है. भ्रष्टाचार प्रशासन में भीतर तक घर कर गया है. जहरीली शराब से 75 लोग मर जाते है किसी को सजा नहीं होती. पुल टूटने से कितने लोग मारे जाते लेकिन कोई दोषी नहीं पाया जाता. जनता बहुत समझदार है. दिल्ली में सातों लोकसभा सीट भाजपा को और 70 में से 67 विधानसभा सीटें आम आदमी पार्टी को मिली. गुजरात में भी लोकसभा में मोदी जी को वोट पड़ेगा और विधानसभा में आप को.
- पिछले चुनाव में कांग्रेस में अल्पेश ठाकुर और हार्दिक पटेल जैसे युवा नेता थे. अब वे भाजपा में हैं. क्या इस बार भाजपा पहले से बेहतर प्रदर्शन नहीं करेगी?
मैं यही तो कह रहा हूं कांग्रेस भाजपा की बी-टीम बन गई है. भाजपा तो नेताओं को खरीदती है. किसी को दो करोड़ में तो किसी को तीन करोड़ में. पिछले 8 सालों में कांग्रेस के 65 बड़े नेता भाजपा में शामिल हुए हैं. पिछले 5 सालों में 15 कांग्रेस विधायक भाजपा में शामिल हुए हैं. आज कांग्रेस के पास न नेता हैं, ना कार्यकर्ता और ना ही मुद्दे. अगर भाजपा इतनी ही मजबूत है तो 5 साल में तीन मुख्यमंत्री क्यों बदलती है? प्रधानमंत्री की तरह वर्तमान मुख्यमंत्री ने भी आज तक एक इंटरव्यू तक नहीं दिया है. उन्हें अपने लोगों पर भरोसा नहीं है. किसी भी पूर्व सीएम या डिप्टी सीएम को चुनाव ही नहीं लड़ने दे रहे. इसीलिए लोग आम आदमी पार्टी को इन दोनों पार्टियों के विकल्प के रूप में देख रहे हैं.
- आपके अपने एक प्रत्याशी ने नामांकन वापस क्यों ले लिया?
भाजपा गुंडों की पार्टी है. दूसरी पार्टियों के लोगों को डरा धमका कर, एजेंसियों का इस्तेमाल कर अपनी पार्टी में शामिल करते हैं या नामांकन वापस कराते हैं. एक सीट पर तो करा दिया लेकिन शेष 181 सीट पर क्या करेंगे? जनता नासमझ नहीं है. मतदान के दिन इन्हें सबक जरूर सिखाएगी.
- प्रदेश में 9 फ़ीसदी मुसलमान है लेकिन आपने केवल 4 मुसलमानों को टिकट दिया है. ऐसा क्यों?
आम आदमी पार्टी ने हर सीट पर जनता की राय लेकर उम्मीदवार तय किए हैं, जाति या धर्म देखकर नहीं. मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए भी प्रदेश भर में रायशुमारी कराई गई, तब मेरा नाम तय किया गया.