सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी से छीन ली जाएगी SPG सुरक्षा, मोदी सरकार ने लिया बड़ा फैसलाः सूत्र

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 8, 2019 15:48 IST2019-11-08T15:45:02+5:302019-11-08T15:48:35+5:30

Gandhi Family SPG Protection Will Withdraw: एएनआई ने सरकारी सूत्रों के हवाले से लिखा है कि गांधी परिवार (सोनिया, राहुल और प्रियंका) से एसपीजी सुरक्षा लेकर उन्हें Z+ सुरक्षा प्रदान की जाएगी।

Govt has decided to withdraw SPG protection from the Gandhi family, will now be accorded Z+ security | सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी से छीन ली जाएगी SPG सुरक्षा, मोदी सरकार ने लिया बड़ा फैसलाः सूत्र

सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी से छीन ली जाएगी SPG सुरक्षा, मोदी सरकार ने लिया बड़ा फैसलाः सूत्र

Highlightsएसपीजी काफी प्रशिक्षित इकाई है और यह सभी आधुनिक उपकरणों, वाहनों से लैस है।फिलहाल देश में सिर्फ चार लोगों को एसपीजी सुरक्षा प्राप्त है- पीएम मोदी, सोनिया, राहुल, प्रियंका।

प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवारों के सदस्यों की सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाने वाले विशेष सुरक्षा दल (एसपीजी) के प्रोटेक्शन से गांधी परिवार को बाहर किया जाएगा। एएनआई ने सरकारी सूत्रों के हवाले से लिखा है कि गांधी परिवार से एसपीजी सुरक्षा लेकर उन्हें Z+ सुरक्षा प्रदान की जाएगी। इसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी शामिल हैं। इस प्रकार अब देश में सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास एसपीजी सुरक्षा बचेगी। इससे पहले सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से एसपीजी सुरक्षा वापस ले ली थी।

विशेष सुरक्षा दल (एसपीजी) में करीब 3000 कर्मी हैं। बल में कर्मियों की नियुक्ति विभिन्न केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों से प्रतिनियुक्ति पर होती है। एसपीजी काफी प्रशिक्षित इकाई है और यह सभी आधुनिक उपकरणों, वाहनों से लैस है। फिलहाल एसपीजी अपने 3,000 कमांडो के साथ अब सिर्फ चार लोगों - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके दो बच्चों - राहुल और प्रियंका को सुरक्षा प्रदान करता है।

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1985 में एसपीजी का गठन किया गया था। प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए संसद ने 1988 में एसपीजी विधेयक पारित किया और फिर उसके बाद यह कानून बना। उस समय अधिनियम के तहत पूर्व प्रधानमंत्रियों को एसपीजी सुरक्षा नहीं दी जाती थी। वीपी सिंह के 1989 में सत्ता में आने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की एसपीजी सुरक्षा हटा दी गई थी। राजीव गांधी की 1991 में हत्या किए जाने के बाद एसपीजी अधिनियम संशोधन किया गया, जिसके बाद सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवार को करीब 10 वर्ष तक एसपीजी सुरक्षा मिलने लगी।

इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने एसपीजी के कामकाज की समीक्षा की और पूर्व प्रधान मंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव, एच. डी. देवेगौड़ा और आई. के. गुजराल से एसपीजी सुरक्षा वापस लेने का निर्णय लिया। वाजपेयी सरकार ने 2003 में एसपीजी अधिनियम में फिर संशोधन किया और पूर्व प्रधानमंत्रियों को पद छोड़ने के बाद 10 वर्ष की जगह केवल एक वर्ष तक एसपीजी संरक्षण मिलने लगा। इसके बाद सरकार द्वारा समीक्षा किए जाने के बाद इसे बढ़ाए जाने का निर्णय लिया जाने लगा।

एसपीजी की वेबसाइट के अनुसार उच्च नेतृत्व व्यावसायिकता तथा निकटवर्ती सुरक्षा प्रदान करना बल के अधिकारियों के अंतर्निहित गुण हैं एवं इन अधिकारियों को चुनौतियों का आगे बढ़कर मुकाबला करने के नैसर्गिक गुण को आत्मसात करना सिखाया जाता है। बल ऐसा कर पाने में इसलिए भी सफल रहा है क्योंकि उसने ना केवल अपनी कार्यप्रणाली में अभिनव प्रयोग किए हैं बल्कि आईबी, राज्य और केंद्रशासित बलों के साथ समग्र सुरक्षा व्यवस्था को अपनाया है।

 अपने अधिकारियों के उच्च नेतृत्व गुण तथा बुद्धिमत्ता के कारण ही संभव हुआ है कि बल सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति को अचूक तथा त्रुटिहीन सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा है। इस बल में अनूठा सुरक्षा प्रोटोकॉल है और हर बार जब सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति के यात्रा करने की उम्मीद होती है तो उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई छोटी टीमें बनाई जाती हैं। एजेंसी के अधिकारी पहले ही उस स्थल पर जाते हैं और वीवीआईपी के आगमन से लगभग 24 घंटे पहले जगह को सुरक्षित बनाते हैं।

समाचार एजेंसी पीटीआई भाषा और एएनआई से इनपुट्स लेकर

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