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'हर कोई अमेरिका या यूरोप क्यों भागना चाहता है जहां कोई पर्सनल लॉ नहीं है?' समान नागरिक संहिता के समर्थन में बोले आरिफ मोहम्मद खान

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: July 3, 2023 21:30 IST

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि अगर मुस्लिम पर्सनल लॉ इस्लाम के अभ्यास का इतना अभिन्न अंग है, तो मुसलमान एक स्टैंड क्यों नहीं लेते और फतवा जारी क्यों नहीं करते कि समुदाय के किसी भी व्यक्ति को उन देशों में नहीं रहना चाहिए जहां यह कानून लागू नहीं है?

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ठळक मुद्देकेरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने समान नागरिक संहिता का समर्थन कियाकहा- दिल्ली पर शासन करने वाले मुस्लिम राजाओं ने भी "मुस्लिम कानून नहीं बनाया"कहा- यह अंग्रेज थे जिन्होंने ऐसा किया

नई दिल्ली: केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने देश में एक समान नागरिक संहिता लाने के बहुचर्चित प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा है कि यदि मुस्लिम पर्सनल लॉ इस्लाम का इतना अभिन्न अंग है, तो उन देशों में रहने के खिलाफ मुसलमानों पर कोई फतवा क्यों नहीं है जो ऐसे पर्सनल कानूनों की अनुमति नहीं देते हैं।

विवाह, तलाक, विरासत और गोद लेने सहित अन्य व्यक्तिगत मामलों में भारत के सभी नागरिकों पर उनके धर्म की परवाह किए बिना लागू होने वाले समान नागरिक संहिता लाने के प्रस्ताव पर आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि समान नागरिक संहिता का उद्देश्य रीति-रिवाजों की एकरूपता नहीं बल्कि  "न्याय की एकरूपता" बनाना है।

केरल के राज्यपाल न्यूज 18 के साथ बातचीत कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा, "अगर मुस्लिम पर्सनल लॉ इस्लाम के अभ्यास का इतना अभिन्न अंग है, तो मुसलमान एक स्टैंड क्यों नहीं लेते और फतवा जारी क्यों नहीं करते कि समुदाय के किसी भी व्यक्ति को उन देशों में नहीं रहना चाहिए जहां यह कानून लागू नहीं है? हर कोई अमेरिका या यूरोप क्यों भागना चाहता है जहां कोई व्यक्तिगत कानून नहीं है? मुसलमान अमेरिका और ब्रिटेन या पाकिस्तान में पर्सनल लॉ के बिना मुस्लिम के रूप में रह सकते हैं, लेकिन भारत एकमात्र अपवाद है जहां पर्सनल लॉ न होने पर वे ऐसा नहीं कर सकते।"

आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि यूसीसी के खिलाफ दुष्प्रचार किया जा रहा है कि अगर यह लागू होता है, तो मुस्लिम विवाह निकाह के माध्यम से नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि रीति-रिवाजों की एकरूपता, या विवाह समारोह की एकरूपता बनाना कानून का उद्देश्य नहीं है। उन्होंने कहा कि यह कानून न्याय की एकरूपता से संबंधित है। हम नहीं चाहते कि लोग समान रीति-रिवाजों का पालन करें। विश्व शक्ति बनने का सपना देख रहे भारत को न्याय में एकरूपता होनी चाहिए। मैं एक ही मुद्दे के लिए समान न्याय चाहता हूं, चाहे वह किसी भी धर्म का हो।

आरिफ मोहम्मद खान ने आगे कहा कि दिल्ली पर शासन करने वाले मुस्लिम राजाओं ने भी "मुस्लिम कानून नहीं बनाया"। यह अंग्रेज थे जिन्होंने ऐसा किया। जब से अंग्रेज यहाँ आये, उन्होंने यही कहा कि भारत एक राष्ट्र नहीं, बल्कि समुदायों का समूह है। 

बता दें कि केंद्र सरकार ने समान नागरिक संहिता (UCC) को लाने की तैयारी तेज कर दी है। सरकार की ओर से गठित 22 वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता पर आम जनता और धार्मिक संस्थाओं के प्रमुखों से विचार विमर्श और राय मांगने का कार्य शुरू कर दिया है। हालांकि कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल इसे राजनीति से प्रेरित बता रहे हैं। वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी इसके विरोध में है।

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