सरकार किसानों का भरोसा जीते, प्रदूषण अध्यादेश एवं बिजली विधेयक को वार्ता से पहले ना लाए: सांसद

By भाषा | Published: December 27, 2020 08:40 PM2020-12-27T20:40:04+5:302020-12-27T20:40:04+5:30

Government should win the trust of farmers, do not bring pollution ordinance and electricity bill before talks: MP | सरकार किसानों का भरोसा जीते, प्रदूषण अध्यादेश एवं बिजली विधेयक को वार्ता से पहले ना लाए: सांसद

सरकार किसानों का भरोसा जीते, प्रदूषण अध्यादेश एवं बिजली विधेयक को वार्ता से पहले ना लाए: सांसद

नयी दिल्ली, 27 दिसंबर पंजाब के दो कांग्रेस सांसदों ने रविवार को कहा कि केंद्र को तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के साथ अगले दौर की वार्ता से पहले हाल ही में लाए गए पराली जलाने संबंधी अध्यादेश और बिजली विधेयक को वापस ले लेना चाहिए ताकि आंदोलनरत किसानों के साथ वार्ता आसानी से प्रगति कर सके।

किसानों के समर्थन में पिछले करीब तीन सप्ताह से जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे सांसद रवनीत सिंह बिट्टू और जसबीर सिंह गिल ने कहा कि सरकार को हर हाल में प्रदर्शनकारी किसानों का भरोसा जीतना चाहिए।

प्रदर्शनकारी किसान समूहों और सरकार के बीच 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे बैठक प्रस्तावित है। इससे पहले सरकार और किसानों के प्रतिनिधियों के बीच कई दौर की वार्ता विफल रही है।

तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग के साथ-साथ प्रदर्शनकारी किसान ''एनसीआर और निकटवर्ती क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अध्यादेश, 2020'' को वापस लेने और बिजली संशोधन विधेयक को स्थगित करने की मांग कर रहे हैं।

कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में बिट्टू ने कहा, '' सरकार को अहंकार त्यागना चाहिए और बिजली बकाया एवं पराली जलाने पर जुर्माना संबंधी कानूनों को वापस लेना चाहिए।''

पंजाब के दोनों सांसदों ने सरकार पर किसानों के प्रति संवेदनहीन होने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस मुद्दे को सुलझाने से पहले और कितने लोगों को अपनी जान गंवानी होगी?

बिट्टू ने कहा कि जब तक किसानों का मुद्दा हल नहीं होता, तब तक कडाके की ठंड में प्रदर्शन कर रहे किसानों के प्रति संवेदना व्यक्त करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों को फर्श पर सोना चाहिए।

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि रविवार को प्रधानमंत्री के रेडियो संबोधन ''मन की बात'' के दौरान उन्होंने जंतर-मंतर पर थाली बजाकर अपना विरोध जताया।

वहीं, गिल ने कहा कि नदी जल बंटवारे को लेकर एक-दूसरे के विरोध में रहने वाले हरियाणा और पंजाब के किसान इन कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर एक साथ आ चुके हैं।

उन्होंने प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करने के लिए हरियाणा, मध्यप्रदेश और उत्तराखंड की भाजपा सरकारों की आलोचना भी की।

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