नई दिल्लीः केंद्र सरकार की नौकरियों के लिए बीते पांच बरस के दौरान साक्षात्कार देने वाले 52,910 उम्मीदवारों में से लगभग 34,000 का चयन नहीं हो सका। कार्मिक राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उनसे पूछा गया था कि पिछले पांच वर्षों के दौरान यूपीएससी साक्षात्कार में कितने छात्र शामिल हुए और उनमें से कितनों का चयन नहीं हुआ। डॉ. सिंह ने कहा कि कुल 52,910 अभ्यर्थियों ने साक्षात्कार में भाग लिया, जिनमें से 33,950 का चयन नहीं हुआ।
उन्होंने बताया कि भर्ती परीक्षाओं में सफल होने के बावजूद चयनित नहीं हो पाने वाले अभ्यर्थियों के लिए रोजगार के अवसरों की पहुंच बढ़ाने के उद्देश्य से, सरकार ने जून 2016 में ‘सार्वजनिक प्रकटीकरण योजना’ (पब्लिक डिस्क्लोज़र स्कीम) शुरू की थी। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत, भर्ती एजेंसियों द्वारा उन अभ्यर्थियों का विवरण एक ऑनलाइन पोर्टल पर सार्वजनिक किया जाता है।
जिनका विभिन्न चरणों की भर्ती परीक्षा पास करने के बावजूद अंतिम रूप से चयन नहीं किया जा सका। मंत्री ने कहा कि यह विवरण निजी कंपनियों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) या अन्य संगठनों द्वारा उनके अपने संस्थानों में नियुक्तियों के लिए उपयोग में लाया जा सकता है।
उन्होंने यह भी बताया कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने हाल ही में ‘प्रतिभा-सेतु’ पोर्टल शुरू किया है, जिस पर निजी कंपनियां, पीएसयू या अन्य संगठन पंजीकरण कर सकते हैं और विभिन्न चरणों की भर्ती परीक्षा पास करने के बावजूद अंतिम रूप से चयनित नहीं किए गए उम्मीदवारों का विवरण देख सकते हैं, ताकि उन्हें अपने यहां नियुक्ति के लिए विचार किया जा सके।
केंद्र सरकार में 2016 से लंबित 4.8 लाख रिक्तियां भरी गईं: जितेंद्र सिंह
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि विभिन्न विभागों में रिक्तियों का होना और उनका भरा जाना एक सतत प्रक्रिया है तथा 2016 से केंद्र सरकार की सेवाओं में लगभग 4.8 लाख लंबित रिक्तियों को भरा गया है। उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि रिक्तियां होना और भर्ती एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।
जिनमें आरक्षित वर्गों की लंबित यानी बैकलॉग रिक्तियां भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों और विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने स्तर पर एक आंतरिक समिति गठित करें जो बैकलॉग की आरक्षित रिक्तियों की पहचान करे, उनके बने रहने के मूल कारणों का अध्ययन करे।
उन कारणों को दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाए और विशेष भर्ती अभियान के माध्यम से उन रिक्तियों को भरे। केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री ने बताया कि प्रत्येक मंत्रालय और विभाग को एक संपर्क अधिकारी नियुक्त करना होता है, जो उप सचिव या उससे उच्च स्तर का अधिकारी हो।
इसके अलावा, उनके प्रत्यक्ष नियंत्रण में एक विशेष आरक्षण प्रकोष्ठ की स्थापना की जाती है ताकि आरक्षण संबंधी निर्देशों का सही तरीके से पालन सुनिश्चित किया जा सके। सिंह ने यह जानकारी उस सवाल के जवाब में दी थी जिसमें अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़ा वर्ग और दिव्यांगजनों की केंद्र सरकार की नौकरियों में भागीदारी और इन वर्गों की बैकलॉग रिक्तियों की वर्तमान स्थिति के बारे में पूछा गया था। उन्होंने कहा कि मंत्रालयों और विभागों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2016 से अब तक केंद्र सरकार की विभिन्न सेवाओं और पदों में करीब 4.8 लाख बैकलॉग रिक्तियां भरी गई हैं।
सरकार द्वारा समय-समय पर सभी मंत्रालयों और विभागों को रिक्त पदों को समयबद्ध तरीके से भरने की सलाह दी जाती रही है। सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार की अखिल भारतीय स्तर की सीधी भर्ती में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत, अनुसूचित जातियों को 15 प्रतिशत और अनुसूचित जनजातियों को 7.5 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है।
इसके अलावा, पदोन्नति में अनुसूचित जातियों को 15 प्रतिशत और अनुसूचित जनजातियों को 7.5 प्रतिशत आरक्षण दिया जाता है। दिव्यांग व्यक्तियों के लिए सीधी भर्ती और पदोन्नति (ग्रुप ‘ए’ की सबसे निचली श्रेणी तक) दोनों में चार प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है।