सरकार को 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी से मिले 1.5 लाख करोड़, लोगों ने 1.76 लाख करोड़ का 2जी घोटाला याद दिला दिया, ट्विटर पर ट्रेंड हुआ 5जी_घोटाला

By शिवेंद्र राय | Published: August 2, 2022 03:31 PM2022-08-02T15:31:32+5:302022-08-02T15:33:30+5:30

5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी से सरकार को 1 लाख 50 हजार करोड़ का राजस्व मिला है। अब सोशल मीडिया पर यह बहस तेज हो गई है कि अगर कैग की रिपोर्ट के अनुसार 2008 में 2जी के लिए सरकार को कम से कम एक लाख 76 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व मिल सकता था तो 5जी की नीलामी से इतना कम राजस्व कैसे मिला।

Government got 1.5 lakh crore from 5G spectrum auction reminded of 2G scam 5G_scam trended on Twitter | सरकार को 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी से मिले 1.5 लाख करोड़, लोगों ने 1.76 लाख करोड़ का 2जी घोटाला याद दिला दिया, ट्विटर पर ट्रेंड हुआ 5जी_घोटाला

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlights5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी प्रक्रिया पूरीट्विटर पर ट्रेंड हुआ हैशटैग 5जी_घोटालाबहुचर्चित 2जी घोटाले से हो रही है तुलना

नई दिल्ली: 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी की प्रक्रिया अब समाप्त हो चुकी है। देश की अब तक की सबसे बड़ी स्पेक्ट्रम नीलामी से सरकार को 1.5 लाख करोड़ का राजस्व मिला है। केंद्रीय दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने नीलामी की जानकारी देते हुए बताया कि प्रक्रिया में नीलामी के लिए रखे गए 71 प्रतिशत स्पेक्ट्रम की बिक्री हुई। अश्विनी वैष्णव ने बताया कि नीलामी में कुल बोली 1,50,173 करोड़ रूपये की लगी और 72,098 मेगाहर्ट्ज में से 51,236 मेगाहर्ट्ज की बिक्री हुई है।

5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी के बाद सोशल मीडिया पर हैशटैग 5जी_घोटाला ट्रेंड हो रहा है। कहा जा रहा है कि साल 2022 में 5जी के लिए सरकार को सिर्फ 1 लाख 50 हजार करोड़ का राजस्व मिला है जबकि साल 2008 में 2जी स्पेक्ट्रम के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर 1लाख 76 हजार करोड़ के घोटाले का आरोप लगा था। सोशल मीडिया पर लगातार ये बहस जारी है कि अगर 12 साल पहले 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी से सरकार को 1.76 लाख करोड़ की अतिरिक्त आमदनी हो सकती थी तो अब 5जी स्पेक्ट्रम की नालामी से मिलने वाला अनुमानित राजस्व कम से कम 5 लाख करोड़ होना चाहिए था।

क्या था 2जी घोटाला

2जी स्पेक्ट्रम घोटाला भारत के सबसे चर्चित विवादों में से एक है। 2014 में कांग्रेस की हार के सबसे बड़े कारणों में से एक यह घोटाला भी माना जाता है। यह घोटाला साल 2010 में सबके सामने आया। 2008 में हुई 2जी स्पेक्ट्रम की बिक्री में नीलामी की प्रक्रिया अपनाने के बजाय पहले आओ-पहले पाओ की नीति पर कंपनियों को लाइसेंस दिये गए। 2010 में भारत के महालेखाकार और नियंत्रक (कैग) ने अपनी एक रिपोर्ट में इस स्पेक्ट्रम आवंटन पर सवाल खड़े कर दिए। कैग की रिपोर्ट के अनुसार सरकार की पहले आओ-पहले पाओ नीति के कारण सरकारी खजाने को अनुमानतः एक लाख 76 हजार करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ था। इस रिपोर्ट के अनुसार अगर लाइसेंस नीलामी के आधार पर दिए जाते तो सरकार को कम से कम एक लाख 76 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व मिल सकता था। इस कथित घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपी गई। 

इस मामले में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए. राजा पर आरोप लगा कि अपनी पसंदीदा कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए उन्होंने साल 2001 में तय की गई दरों पर स्पेक्ट्रम बेच दिया। ए. राजा को इस मामले में पहले तो मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा फिर जेल भी जाना पड़ा। हालांकि बाद में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया था।

 बता दें कि 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा मीडिया को दी गई जानकारी के अनुसार मुकेश अंबानी की रिलांयस जियो इंफोकॉम लिमिटेड ने सबसे अधिक 88,078 करोड़ रुपये की बोली लगाई। वहीं अडानी समूह ने भी स्पेक्ट्रम की खरीद के लिए 212 करोड़ रुपये की बोली लगाई जो पूरी नीलामी के एक फीसदी से भी कम है। 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी प्रक्रिया 7 दिनों में पूरी हुई।

Web Title: Government got 1.5 lakh crore from 5G spectrum auction reminded of 2G scam 5G_scam trended on Twitter

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