नयी दिल्ली, 22 जनवरी किसान यूनियनों ने शुक्रवार को सरकार से कहा कि वे चाहते हैं कि तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को पूरी तरह से रद्द किया जाये। केन्द्र सरकार ने हालांकि किसान नेताओं से 12-18 महीनों तक इन कानूनों के क्रियान्वयन को स्थगित रखने संबंधी उसके प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने के लिए कहा।
लगभग दो महीने से चले आ रहे गतिरोध को समाप्त करने के लिए दोनों पक्षों के बीच आज 11वें दौर की बातचीत हो रही है।
बुधवार को हुई बातचीत के पिछले दौर में सरकार ने तीन कृषि कानूनों के क्रियान्वयन को स्थगित रखने और समाधान निकालने के लिए एक संयुक्त समिति बनाने की पेशकश की थी। हालांकि बृहस्पतिवार को विचार-विमर्श के बाद किसान यूनियनों ने इस पेशकश को खारिज करने का फैसला किया और वे इन कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी दिये जाने की अपनी दो प्रमुख मांगों पर अड़े रहे।
किसान नेता दर्शन पाल ने वार्ता के पहले सत्र के बाद ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘हमने सरकार से कहा कि हम कानूनों को निरस्त करने के अलावा किसी और चीज के लिए सहमत नहीं होंगे। लेकिन मंत्री ने हमें अलग से चर्चा करने और मामले पर फिर से विचार कर फैसला बताने को कहा।’’
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने कहा, ‘‘ हमने अपनी स्थिति सरकार को स्पष्ट रूप से बता दी कि हम कानूनों को निरस्त करना चाहते हैं न कि स्थगित करना। मंत्री (नरेन्द्र सिंह तोमर) ने हमें अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा।’’
टिकैत ने कहा कि किसान नेता इस मुद्दे पर आंतरिक रूप से चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘दोपहर के भोजन के बाद, हम अपने निर्णय से अवगत कराएंगे।’’
किसान यूनियनों और तीन केन्द्रीय मंत्रियों के बीच 11वें दौर की वार्ता अपराह्र लगभग एक बजे शुरू हुई लेकिन बैठक के पहले कुछ घंटों में समाधान की दिशा में बहुत ज्यादा प्रगति नहीं दिखाई दी।
भारतीय किसान यूनियन (असली अराजनीतिक) के अध्यक्ष हरपाल सिंह ने कहा, ‘‘भले ही हम सरकार की पेशकश को स्वीकार करते हैं, लेकिन दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हमारे साथी भाई कानूनों को रद्द करने के अलावा कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे। वे हमें नहीं बख्शेंगे। हम उन्हें क्या उपलब्धि दिखाएंगे?’’
उन्होंने सरकार की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह विश्वास करना मुश्किल है कि वे 18 महीने तक कानूनों के क्रियान्वयन को स्थगित रखकर अपनी बात पर कायम रहेंगे।
सिंह ने कहा, ‘‘हम यहां मर जाएंगे, लेकिन कानूनों को रद्द किए बिना हम वापस नहीं लौटेंगे।’’
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, रेलवे, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश यहां विज्ञान भवन में करीब 41 किसान संघों के प्रतिनिधियों से वार्ता कर रहे हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वावधान में किसान नेताओं ने सरकार के इस प्रस्ताव पर बृहस्पतिवार को सिंघू बॉर्डर पर बैठक की थी। इसी मोर्चा के बैनर तले कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर किसान संगठन पिछले लगभग दो महीने से आंदोलन कर रहे हैं।
मोर्चा ने एक बयान में कहा था, ‘‘ बैठक में तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को पूरी तरह रद्द करने और सभी किसानों के लिए सभी फसलों पर लाभदायक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए एक कानून बनाने की बात, इस आंदोलन की मुख्य मांगों के रूप में दोहराई गयी।’’
उच्चतम अदालत ने 11 जनवरी को तीन कृषि कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी और गतिरोध को दूर करने के मकसद से चार-सदस्यीय एक समिति का गठन किया था। फिलहाल, इस समिति मे तीन ही सदस्य हैं क्योंकि भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने खुद को इस समिति से अलग कर लिया था।
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