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सवर्ण आरक्षण बिल: राज्यसभा में संविधान संशोधन बिल पास, मोदी सरकार को मिली बड़ी कामयाबी

By पल्लवी कुमारी | Updated: January 9, 2019 22:10 IST

सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधान वाले ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक को मंगलवार को 3 के मुकाबले 323 मतों से लोकसभा की मंजूरी मिल गयी।

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सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को रोजगार एवं शिक्षा में आरक्षण देने संबंधी संविधान (124वां संशोधन) विधेयक को संसद की मंजूरी मिली। राज्यसभा में ये बिल पास हो गया है। बहुमत में 165 वोट पड़े और विपक्ष में 7 वोट पड़े।  बिल को सिलेक्ट कमिटी में भेजने का कनिमोझी का प्रस्ताव गिर गया था।  बिल मंगलवार को 3 के मुकाबले 323 मतों से लोकसभा की मंजूरी मिल गयी थी।  

राज्यसभा में भाजपा के पास सबसे अधिक 73 सदस्य हैं, जबकि मुख्य विपक्षी कांग्रेस के 50 सदस्य हैं। राज्यसभा में अभी सदस्यों की कुल संख्या 244 है।

 

केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत का पक्ष

केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा -नरेंद्र मोदी यह विधेयक अच्छे मन से, सच्चे मन से सामान्य तबके के गरीबों के लिए लेकर आ रहे हैं। कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने कहा- इस सरकार के काम करने का तरीका ऐसा है कि दायां हाथ क्या कर रहा है यह बाएं को पता नहीं चलता।  

कांग्रेस नेता काबिल सिब्बल का पक्ष

बिल पर चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता काबिल सिब्बल ने सरकार से पूछा कि आपके पास 5 साल थे लेकिन आपने बिल लाने में इतनी जल्दबाजी क्यों की? क्या आपने आंकड़े जुटाये हैं कि देश में कितने लोगों के पास 5 एकड़ से कम जमीन है? उन्होंने नौकरियों की कम होती संख्या पर भी आपत्ति जताई है। 

कांग्रेस की कुमारी शैलजा का पक्ष

कांग्रेस की कुमारी शैलजा ने दावा किया कि जब जनता के दूर जाने की सच्चाई सामने आई तब सरकार हड़बड़ी में यह विधेयक लेकर आयी है। उन्होंने कहा कि इंद्रा साहनी मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के कारण यह विधेयक न्यायिक समीक्षा में नहीं टिकेगा। उन्होंने कहा कि यह विधेयक भी सिर्फ चुनाव को ध्यान में रखकर सामने लाया गया है इसलिये इसके कानूनी खामियों के मद्देनजर यह जुमला साबित होगा। शैलजा ने कहा कि सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण को भी सरकार ने पूरा नहीं किया। ऐसे में अदालत में जब इस आरक्षण का आधार पूछा जायेगा तो सरकार के पास कोई जवाब नहीं होगा। उन्होंने इस विधेयक के माध्यम से सरकार पर अनुसूचित एवं पिछड़ी जातियों का आरक्षण कदम दर कदम खत्म करने की शुरुआत करने का आरोप लगाया। 

भाजपा के अजय प्रताप सिंह का पक्ष

चर्चा में हिस्सा लेते हुये भाजपा के अजय प्रताप सिंह ने कहा कि सामान्य वर्ग के लोगों को आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की सरकार की पहल को सराहनीय बताया। उन्होंने विपक्ष द्वारा सरकार की मंशा पर उठाये गये सवालों को बेमानी बताते हुये कहा कि कांग्रेस सहित सभी विरोधी दलों का आरोप है कि यह विधेयक न्यायिक समीक्षा में नहीं टिकेगा। सिंह ने कहा कि अगर कांग्रेस न्यायालय में इसके खारिज किये जाने के प्रति इतनी आश्वस्त है तो फिर अपने चुनावी घोषणा पत्र में इसे शामिल क्यों किया।

कांग्रेस के पी एल पुनिया का पक्ष

कांग्रेस के पी एल पुनिया ने कहा कि सरकारी विभागों में आरक्षित पदों के बैक लाग को दूर करने के लिए वर्तमान सरकार के शासनकाल में कोई पहल नहीं की गयी।

आईएमयूएल के अब्दुल वहाब का पक्ष

आईएमयूएल के अब्दुल वहाब ने इस विधेयक का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि यह संविधान की भावना को पूरी तरह से मार डाल देगा।

आरपीआई (ए) प्रमुख एवं केन्द्रीय मंत्री रामदास अठावले का पक्ष

चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए आरपीआई (ए) प्रमुख एवं केन्द्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि जहां कांग्रेस ने सवर्णों को ‘धोखा’ दिया वहीं मोदी सरकार ने उन्हें यह मौका दिया। 

चर्चा में तेदेपा की तोटा सीताराम लक्ष्मी, के रवीन्द्र कुमार, टी जी वेंकटेश, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, मनोनीत राकेश सिन्हा, कांग्रेस के हुसैन दलवई, अहमद पटेल, असंबद्ध सदस्य रीताव्रत बनर्जी, निर्दलीय अमर सिंह ने भी भाग लिया।

लोकसभा में पास हो चुका है सवर्ण आरक्षण बिल 

सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधान वाले ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक को मंगलवार को 3 के मुकाबले 323 मतों से लोकसभा की मंजूरी मिल गयी। 

लोकसभा में विपक्ष सहित लगभग सभी दलों ने 'संविधान (124 वां संशोधन) , 2019'  विधेयक का समर्थन किया। साथ ही सरकार ने दावा किया कि कानून बनने के बाद यह न्यायिक समीक्षा की अग्निपरीक्षा में भी खरा उतरेगा क्योंकि इसे संविधान संशोधन के जरिये लाया गया है।

लोकसभा में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी सरकार बनने के बाद ही गरीबों की सरकार होने की बात कही थी और इसे अपने हर कदम से उन्होंने साबित भी किया। उनके जवाब के बाद सदन ने 3 के मुकाबले 323 मतों से विधेयक को पारित कर दिया।

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