नई दिल्ली: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने 14 अगस्त को कहा था कि विधानसभा एवं लोकसभा क्षेत्रों के परिसीमन के शीघ्र बाद राज्य सरकार प्रशासनिक पुनर्गठन कार्य शुरू करेगी। चुनाव आयोग ने 11 अगस्त को परिसीमा की अंतिम रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें असम में विधानसभा क्षेत्रों एवं लोकसभा क्षेत्रों की संख्या क्रमश: 126 एवं 14 बनाये रखी गयी है। लेकिन आयोग ने मसौदा अधिसूचना से भिन्न एक संसदीय क्षेत्र एवं 19 विधानसभा क्षेत्रों के नाम बदल दिये हैं।
अब इस नए परिसीमन पर असम से कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने आपत्ति जताई है और कहा है कि जानबूझकर कांग्रेस के मजबूत आधार वाली सीटों को प्रभावित करने की कोशिश हो रही है।
गौरव गोगोई ने कहा, "असम के परिसीमन पर नज़र डालें तो इसमें विपक्ष की सीटों पर निशाना साधा जा रहा है। कलियाबोर, नगांव और बरपेटा में कांग्रेस पार्टी के कब्ज़े वाली लोकसभा सीटें विशेष रूप से भाजपा के निशाने पर हैं। AIUDF को फायदा हुआ इसलिए यह AIUDF और भाजपा के बीच सांठगांठ को उजागर करता है, लेकिन अगर भाजपा सोचती है कि असम के नए परिसीमन से उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव में मदद मिलेगी तो वे ग़लत हैं। मूड I.N.D.I.A गठबंधन का है। 2024 के चुनावों में पूरे भारत और असम में I.N.D.I.A गठबंधन और कांग्रेस पार्टी विशेष रूप से अच्छा प्रदर्शन करेगी।"
राज्य में नए परिसीमन का कुछ लोगों द्वारा विरोध भी किया जा रहा है। इस पर हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि चुनाव आयोग (ईसी) द्वारा परिसीमन पर रिपोर्ट एक वास्तविकता है जिसे सभी को स्वीकार करना चाहिए।
एआईयूडीएफ नेता बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि बीजेपी ने राज्य में मुस्लिम विधायकों की संख्या कम करने के लिए परिसीमन प्रक्रिया के जरिए विवाद की साजिश रची है। असम गण परिषद के कुछ विधायक भी इससे संतुष्ट नहीं हैं।
बता दें कि 1976 के बाद से असम में पहली बार परिसीमन की प्रक्रिया हुई है। पांच विधानसभा क्षेत्र जहां हमेशा अल्पसंख्यक समुदाय से विधायक चुने जाते हैं उन्हें अब एससी और एसटी के लिए आरक्षित कर दिया गया है। इसी के साथ एसटी आरक्षित सीटों की संख्या 16 से बढ़कर 19 हो गई है जबकि एससी आरक्षित सीटें 6 से बढ़कर 8 हो गई हैं। एआईयूडीएफ नेता बदरुद्दीन अजमल इसी से नाराज हैं।