‘डायन’ करार दी गई महिलाओं को गरिमापूर्ण जीवन देगी ‘गरिमा’ परियोजना

By भाषा | Updated: August 1, 2021 19:35 IST2021-08-01T19:35:30+5:302021-08-01T19:35:30+5:30

'Garima' project will give a dignified life to women dubbed as 'witches' | ‘डायन’ करार दी गई महिलाओं को गरिमापूर्ण जीवन देगी ‘गरिमा’ परियोजना

‘डायन’ करार दी गई महिलाओं को गरिमापूर्ण जीवन देगी ‘गरिमा’ परियोजना

(नमिता तिवारी)

रांची, एक अगस्त झारखंड के सुदूरवर्ती पलामू गांव में पिछले महीने 40 वर्षीय सूरजमणि देवी का गला ग्रामीणों के एक समूह ने डायन होने के संदेह में उस वक्त कुल्हाड़ी से काट दिया जब वह अपने पांच वर्षीय बेटे के बगल में गहरी नींद में सो रही थी।

करीब एक महीने पहले उसके पड़ोसी की बेटी की मौत हो गई थी और ग्रामीणों को सूरजमणि के “डायन” या “बिसाही” होने का शक था, जिसके कारण लड़की की मौत हुयी थी ।

रेहाला पुलिस थाने के गोदरमाकला गांव में दलित महिला की हत्या की यह घटना सात जुलाई को तड़के हुई थी और पुलिस ने बाद में अपराध के चश्मदीद महिला के बच्चे की गवाही के आधार पर महिला के देवर अमरेश रजवार समेत कुछ लोगों को गिरफ्तार किया था। सूरजमणि झारखंड की उन असंख्य महिलाओं में शामिल हैं जिन्हें “टोना-टोटका” करने या “डायन” होने के शक में मार दिया गया।

गढ़वा जिले के एक गांव में पिछले साल तीन महिलाओं की जादू-टोना करने के आरोप में 50 लोगों के एक समूह ने कथित तौर पर निर्वस्त्र कर पिटाई की थी और बाद में बिना कपड़ों के उन्हें गांव में घुमाया गया था।

भीड़ द्वारा आरोप लगाने और पिटाई करने, पड़ोसियों और रिश्तेदारों के उनसे मुंह मोड़ लेने का दंश झेलकर बच जाने वाली महिलाओं के पास अब तक इस संकट से उबरने के लिये कोई ठोस सहारा नहीं था।

उन्हें अवसाद और आघात से बाहर निकालने के लिये पुनर्वास और परामर्श को अब अनिवार्य कदम के तौर पर मान्यता दी गई है और इसके साथ ही सामूहिक शिक्षा के जरिये गलत तरीके से महिलाओं पर “डायन” होने का आरोप लगा उन्हें अलग-थलग करने की कुप्रथा को भी रोकने का प्रयास किया जा रहा है।

उन्हें आजीविका के नए साधन मुहैया कराने की जरूरत भी महसूस की जा रही है क्योंकि झूठे आरोपों की वजह से कई को अब भी सामाजिक लांछन झेलना पड़ता है और वे अपने मूल गांव नहीं लौट सकतीं।

इन जरूरतों के समाधान के लिये इस जनजातीय राज्य ने अब ‘गरिमा’ परियोजना शुरू की है जिसका उद्देश्य महिलाओं को डायन बताने की कुप्रथा को खत्म करने और उनका पुनर्वास करना है।

झारखंड राज्य आजीविका संवर्धन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) की मुख्य कार्यकारी अधिकारी नैंसी सहाय के मुताबिक अब तक राज्य में इस परियोजना के तहत ऐसी 1000 महिलाओं की पहचान की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि उन्हें सामाजिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक सहायता मुहैया कराने के लिये काम किया जा रहा है जिससे वे इस आघात से उबरकर जीवन में आगे बढ़ सकें।

परियोजना का उद्देश्य बोकारो, गुमला, खूंटी, लोहरदग्गा, सिमडेगा, पश्चिम सिंहभूम और लातेहार के 25 चुनिंदा प्रखंड की 342 ग्राम पंचायतों के 2068 गांवों तक पहुंचना है। ग्रामीण विकास विभाग के सचिव मनीष रंजन ने कहा, “दुश्मनी, भूमि हड़पना इस तरह के झूठे आरोपों की वजह है और इस अस्वीकार्य प्रथा के उन्मूलन के लिए ठोस प्रयास किए जाने की जरूरत है।”

झारखंड में काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों का कहना है कि अधिकतर मामलों में पीड़ित निर्धन वर्ग के या फिर विधवा होते हैं जिन्हें उनकी संपत्ति पर कब्जा करने के लिये निशाना बनाया जाता है।

सहाय ने कहा कि गरिमा परियोजना पिछले साल अप्रैल में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल पर शुरू की गई थी और इसका लक्ष्य मार्च 2023 तक राज्य में इस प्रथा को खत्म करने का है।

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Web Title: 'Garima' project will give a dignified life to women dubbed as 'witches'

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