Gandhi Jayanti 2023: भारतीय मुद्रा पर बापू की तस्वीर उकरने के पीछे का इतिहास

By आकाश चौरसिया | Updated: October 1, 2023 16:19 IST2023-10-01T15:56:51+5:302023-10-01T16:19:23+5:30

1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद देश की राष्ट्रीय मुद्रा में उनकी तस्वीर को उकेरा जाना एक विकल्प के रूप में देखा गया। लेकिन इसे कई दशक लग गए और फिर साल 1996 में उनकी तस्वीर को भारतीय रिजर्व बैंक ने मुद्रा पर लाने की अनुमति दी। 

Gandhi Jayanti 2023 History behind carving Bapu picture on Indian currency | Gandhi Jayanti 2023: भारतीय मुद्रा पर बापू की तस्वीर उकरने के पीछे का इतिहास

फोटो क्रेडिट- (आरबीआई)

Highlightsमहात्मा गांधी की तस्वीर 1996 से भारतीय करेंसी पर लगाई गईइसकी अनुमति आखिर में केंद्र सरकार से ही मिलती हैलेकिन सिफारिश आरबीआई का केंद्रीय बोर्ड ही करता है

नई दिल्ली: वैसे तो महात्मा गांधी के पूरे जीवनकाल में उनकी फोटो कई फोटोग्राफर ने खीचीं हैं। इस फेहरिस्त में हेनरी कार्टियर-ब्रेसन, मार्गारेट बॉर्के-व्हाइट, मैक्स डेसफोर सरीखे जाने माने फोटोग्राफर रहे हैं।

बापू की जिस तस्वीर को सबसे ज्यादा प्रसिद्धि मिली वो भारत के आधिकारिक नोटों पर लगने के बाद की तस्वीर थी। 

1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद देश की राष्ट्रीय मुद्रा में उनकी तस्वीर को उकेरा जाना एक विकल्प के रूप में देखा गया। लेकिन इसे कई दशक लग गए और फिर साल 1996 में उनकी तस्वीर को भारतीय रिजर्व बैंक ने मुद्रा पर लाने की अनुमति दी। 

भारत की आधिकारिक मुद्रा में राष्ट्रपिता की तस्वीर जो लगी है उसे 1946 में खीचीं तस्वीर से लिया गया है। जब वह ब्रिटिश राजनेता लॉर्ड फ्रेडरिक पेथिक-लॉरेंस के साथ खड़े थे। इसके चयन का मकसद यह था कि उनकी मुस्कान निखर के सामने आ रही थी। 

बापू की तस्वीर सबसे पहले साल 1969 में भारतीय करेंसी में दिखी जब उनका 100 वां जन्मदिन देश मना रहा था। यह नोटों की विशेष श्रृंखला थी। इस पर हस्ताक्षर आरबीआई के पूर्व गर्वनर एलके झा ने किये थे और नोटों में सेवाग्राम आश्रम के साथ गांधी जी को दिखाया गया था, फिर अक्टूबर 1987 में 500 के भारतीय नोट जारी हुए जिसमें बापू को आधिकारिक तौर पर फीचर किया गया। 

लेकिन अगर 15 अगस्त 1947 की बात करें तो पाएंगे कि उस वक्त केंद्रीय बैंक उपनिवेशिक काल के समय से चली आ रही परंपरा के अनुसार किंग जॉर्ज VI की ही फोटो को नोटों पर लगा रहा था। लेकिन 1949 में 1 रुपये के नोट पर किंग जॉर्ज की तस्वीर को हटा कर उनकी जगह सारनाथ में स्थित अशोक स्तंभ के ऊपर शेर की तस्वीर को नोट पर जड़ा गया था। 

पहले किंग जॉर्ज की जगह आरबीआई महात्मा गांधी की तस्वीर लगाने पर तैयार हो चुका था। लेकिन अंतिम समय पर उसकी सहमति सारनाथ में बने अशोक स्तंभ और शेर पर मुहर लग पाई। इस तरह साल 1950 में भारत गणराज्य में पहले बैंक नोट 2, 5, 10 और 100 रूपये के नोट में सारनाथ पर बने सिंह की तस्वीर लग सकी। 

यदि पुराने नोट पर आते हैं तो धीरे-धीरे रुपयों की मांग बढ़ता देख आरबीआई ने उच्च मूल्यवर्ग के टेंडर जारी किए। इनमें बाघ और सांभर हिरण से लेकर 1970 में कृषि प्रयासों को नोटों पर लगाया गया।

फिर, बदलते दौर में 1980 में वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति को देखते हुए भारतीय कला की ओर से आर्यभट्ट उपग्रह को 2 रुपये के नोट में फीचर किया गया, 5 रुपये के नोट पर कृषि से जुड़ी मशीन और 20 रुपये के नोट में कोणार्क व्हील को उतारने पर सहमति बनी।  

इन सबके बाद नोटों की सुरक्षा को देखते हुए गांधी की तुलना में निर्जीव वस्तु को फोटो लगाना ज्यादा ठीक समझा गया।

लेकिन 1996 तक आते-आते आरबीआई ने नोटों पर अशोक स्तंभ को बदलकर महात्मा गांधी की तस्वीर को नोटों पर चस्पा दिया। साल 2016 में नोटों पर आरबीआई ने महात्मा गांधी की तस्वीर के साथ स्वच्छ भारत अभियान के लोगो को नोट को पीछे के तरफ जोड़ा और तकनीकी रुप से भी नोटों को दमदार बना दिया गया।  

कुछ सालों में दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने भी सुझाव दिए थे जिसमें भगवान गणेश और माता लक्ष्मी को भारतीय करेंसी पर लगाने की बात थी। 

रिजर्व बैंक के मुद्रा प्रबंधन विभाग ने भारत की करेंसी को बनाने में अहम योगदान दिया है। करेंसी पर बनी डिजाइन को अनुमति केंद्र सरकार और आरबीआई के जरिए मिलती है। 

आरबीआई एक्ट 1934 के अनुच्छेद 25 के अनुसार बैंक नोटों का डिजाइन, उसके रूप और उसमें लगी सामग्री पर मुहर तो केंद्रीय सरकार लगाती है। लेकिन, पहले सरकार को सिफारिश आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड द्वारा की जाती है। 

Web Title: Gandhi Jayanti 2023 History behind carving Bapu picture on Indian currency

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