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चार साल मोदी सरकार: 'सपने' में दौड़ रही है बुलेट ट्रेन, वाराणसी क्योटो बनने से कोसों दूर

By रामदीप मिश्रा | Updated: May 24, 2018 09:51 IST

भारत की पहली हाई स्पीड बुलेट ट्रेन अहमदाबाद और मुंबई के बीच चलगी। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापानी पीएम शिंजो अबे के साथ मिलकर खुद इस ट्रेन की आधारशिला रखी थी।

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नई दिल्ली, 24 मईः भारत की नरेंद्र मोदी सरकार 26 मई को अपने चार साल पूरे कर रही है। उसने अपने चार सालों के कार्यकाल के दौरान कई योजनाओं को लॉन्च किया है जो भारत के भविष्य को तय करेंगी। इन्हीं योजनाओं के जरिए सरकार ने बुलेट ट्रेन का सपना देखा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी को क्योटो शहर की तरह विकसित करने के लिए कदम बढ़ाए। इसी वाराणसी के विकास के लिए पिछले दिनों पुल हादसे में 15 लोगों की बलि चढ़ गई। आइए जानते हैं बुलेट ट्रेन और वाराणसी के विकास की रफ्तार...

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2022 में दौड़ेगी बुलेट ट्रेन?

भारत की पहली हाई स्पीड बुलेट ट्रेन अहमदाबाद और मुंबई के बीच चलगी। इसके लिए उस पर कुल 1,10,000 करोड़ रुपए खर्च किए जाने हैं। इसके लिए 14 सितंबर 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के पीएम शिंजो आबे ने गुजरात अहमदाबाद में साबरमती के पास बुलेट ट्रेन की नींव रखी थी। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 2022 का लक्ष्य रखा गया। बताया गया कि इसकी मदद से मुंबई तक की 500 किलोमीटर दूरी सात घंटे में पूरी हो सकेगी और बुलेट ट्रेन समुद्र को सात किलोमीटर तक चीरती हुई दौड़ेगी।

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अभी भूमि अधिग्रहण में फंसा है प्रोजेक्ट

नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन (एनएचआरसी) के प्रबंध निदेशक अचल खरे की ओर से मार्च में दावा किया गया था कि इस प्रोजेक्ट बुलेट ट्रेन के प्रोजेक्ट पर कार्य तेजी से चल रहा है। ट्रेन के लिए बन रहे कॉरिडोर में पुलों और सुरंगों की डिजाइनिंग का करीब 80 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है। साथ ही महाराष्ट्र में रेल कॉरीडोर बनाने के लिए जमीन अधिग्रहण का कार्य शुरू हो चुका है। बुलेट ट्रेन महाराष्ट्र के 108 गांवों से गुजरेगी। लेकिन, कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि एनएचआरसी को किसान की जमीन अधिग्रहण करने में समस्या आ रही है क्योंकि किसान इसका विरोध कर रहा। किसानों का कहना है कि एनएचआरसी भूमि अधिग्रहण का उचित मुआवजा नहीं दे रही है। जिसकी वजह से प्रोजेक्ट में देरी हो रही है। जिस 2022 के लक्ष्य को लेकर मोदी सरकार चल रही है उस तक बुलेट ट्रेन का सपना पूरा होता दिखाई नहीं दे रहा है। 

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ये खींचा है बुलेट ट्रेन चलाने का खांका

इस प्रोजेक्ट के तहत मुंबई और अहमदाबाद के बीच कुल 12 स्टेशन बनाए जाएंगे, जिसमें से 4 स्टेशन महाराष्ट्र में होंगे। कुल स्टेशनों में बीकेसी, थाणे, विरार, बोइसर, वापी, बिलिमोरा, सूरत, भरूच, बड़ौदा, आणंद, साबरमती और अहमदाबाद होंगे। एनएचआरसी की तरफ से बताया गया था कि मुंबई-अहमदाबाद के बीच पीक आवर में प्रति घंटे तीन ट्रेन चलाई जाएंगी, जबकि नॉन पीक आवर में प्रतिघंटे 2 ट्रेनें चलाई जाएंगी। हर दिन दोनों शहरों के बीच 35 जोड़ी ट्रेनें चलाई जाएंगी। ये ट्रेनें रोजाना 70 फेरे लगाएंगी। इस तरह से पीक आवर में हर 20 मिनट पर ट्रेन उपलब्ध होगी। बुलेट ट्रेन की गति 320 किलोमीटर प्रतिघंटे होगी और यह दो घंटे में मुंबई से अहमदाबाद की दूरी तय कर लेगी। इस दौरान दोनों शहरों के बीच करीब 40 हजार यात्री रोजाना सफर करेंगे।

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काशी नगरी को क्योटो बनाने का सपना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता पर काबिज होने के बाद अगस्त 2014 में जापान की यात्रा पर गए। इस दौरान उन्होंने पहले संसदीय क्षेत्र वाराणसी के विकास का ध्यान रखा। इस दौरान उन्होंने जापान के साथ एक करार किया, जिसके तहत क्योटो शहर की तर्ज पर वाराणसी यानि काशी को विकसित करना था। इस संबंध में क्योटो के मेयर और भारतीय राजदूत के बीच एक एमओयू पर हस्ताक्षर हुए। सबसे बड़ी बात यह है कि पीएम मोदी का काशी को 21वीं शताब्दी के शहर के तर्ज पर विकसित करना एक ड्रीम प्रोजेक्ट है। 

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हादसे की भेंट चढ़ा चौकाघाट फ्लाईओवर 

वहीं, सितंबर 2015 में चौकाघाट फ्लाईओवर का निर्माण शुरू हो गया था और उम्मीद की गई थी कि यह मानकों के अनुरूप और तय समय सीमा में बन जाएगा, लेकिन ऐसा नही हो सका। साथ ही साथ हादसे की भेंट चढ़ गया और 15 लोगों की जान चली गई। इस हादसे ने स्थानीय लोगों के अंदर डर जरूर पैदा कर दिया। वहीं शहरों के अन्य कार्यों की भी रफ्तार स्लो है। 

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तय समय में नहीं हुआ कार्य पूरा

बता दें, मोदी सरकार ने इस फ्लाईओवर के विस्तार के लिए 77.41 करोड़ रुपए का बजट पास किया और 2017 दिसंबर तक काम पूरा करने का आदेश जारी किया था। काम पूरा नहीं होने पर इसे बढ़ाकर मार्च 2018 किया गया, लेकिन सरकार ने यह लक्ष्य भी नहीं प्राप्त कर पाया और अब मार्च 2019 रखा गया है। चौकाघाट फ्लाईओवर की लंबाई 1784 मीटर है, जिसमें 63 पिलर हैं। अब देखना यह होगा कि सरकार लोकसभा चुनाव से पहले इस जनता को समर्पित कर पाती है या नहीं।

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