4 साल में 81 विदेश यात्राएं कर चुके हैं पीएम मोदी, 3 साल में खर्च हुए 1000 करोड़ से ज्यादा
By खबरीलाल जनार्दन | Published: May 23, 2018 07:37 AM2018-05-23T07:37:04+5:302018-05-23T15:01:03+5:30
चार साल मोदी सरकारः एक आंकड़े के मुताबिक पीएम नरेंद्र मोदी हर 23वें दिन विदेश में रहे हैं। देश में रहने के दौरान वह हर 10वें दिन चुनावीं रैली में रहे हैं।
भारत में 30 साल बाद साल 2014 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व में राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी। इसके सूत्रधार रहे नरेंद्र मोदी के पीएम पद की शपथ लिए हुए 4 साल पूरे होने हैं। ऐसे में उनके वादे, इरादे और हकीकत की पड़ताल की जा रही है। इनमें उनके विदेश यात्राओं का जिक्र होना बड़ा लाजमी है। एक आंकड़े मुताबिक नरेंद्र मोदी 26 मई 2014 को पीएम बनने के बाद हर 23वें दिन विदेश में रहे हैं। हाल ही में वे रूस यात्रा से लौटे हैं। यह उनके चार साल के प्रधानमंत्री कार्यकाल की 81वीं विदेश यात्रा थी। यानी 48 महीने में 81 विदेश यात्राएं कीं। इन पर हुए खर्च भी जमकर चर्चा में रहे हैं। इनके खर्चों का विवरण हमने नीचे दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली विदेश यात्रा
पीएम मोदी की पहली विदेश यात्रा भुटान की थी। 26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी भारत के 14वें प्रधानमंत्री बने। 20 दिन बाद यानी 16-17 जून को उन्होंने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भुटान गए। वह ऐसा करने वाले पहले प्रधानमंत्री बने। इसके बाद ठीक महीने भर बाद वे 13 से 16 जुलाई तक वह ब्राजील में रहे।
इसके बाद नेपाल जाने वे ऐसे पहले प्रधानमंत्री बने जिन्हें वहां इतना प्यार मिला। 3 से 4 अगस्त तक वे नेपाल रहे। 30 अगस्त 2014 को वे पहली दूरगामी यात्रा पर निकले। उसी वक्त पीएम मोदी क्योटो गए थे। इसी के बाद से वाराणसी को क्योटो बनाने और बुलेट ट्रेन की संकल्पना सामने आई।
बराक ओबामा से दोस्ती
प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी की सबसे बड़ी उपलब्धियों में एक उपलब्धि उनकी अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा से उनकी दोस्ती भी रही। सितंबर 2014 में पीएम ने यूएन और यूएस का रुख किया था। नवंबर 2014 में पीएम ने चार विदेशा यात्राएं कीं। इनमें म्यांमार, ऑस्टेलिया, फीजी और नेपाल शामिल थे।
साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 विदेश यात्राएं कर डालीं। ऐसा करने वाले वे पहले प्रधानमंत्री बने, जिन्होंने एक साल के भीतर इतनी विदेश यात्राएं कीं। उस साल पीएम औसतन हर 13वें दिन एक विदेश यात्रा की।
इसकी शुरुआत उन्होंने सियाचीन से की थी। साल की पहली यात्रा 10-11 मार्च को की। इसके बाद के दो महीनों में मॉरिशस, श्रीलंका, सिंगापुर, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, चीन, मंगोलिया, साउथ कोरिया गए।
उन्हीं दिनों मोदी सरकार का एक साल पूरा हुआ। इस बीच पीएम मोदी की ताबड़तोड़ विदेश यात्राएं जारी रहीं। साउथ कोरिया के बाद पीएम बांग्लादेश, उजबेकिस्तान, कजाकिस्तान, रूस, तुर्किमनिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात, आयरलैंड गए।
नरेंद्र मोदी की पाकिस्तान यात्रा
चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी के पाकिस्तान को लेकर तल्ख तेवर लोगों ने बहुत पसंद किए थे। और भारत के किसी राजनेता की पाकिस्तान यात्रा हमेशा से बेहद खास होती है। नरेंद्र मोदी ने यह काम किया, पर बेहद चौंकाने वाले अंदाज में।
साल 2015 में वे ताबड़तोड़ विदेश यात्राएं कर रहे थे। उन्हीं दिनों यूनाइटेड नेशन में हिन्दी में भाषण कर के दुनियाभर में वाहवाही पाए थे। यह बैठक अमेरिका में हुई थी। वहां से ब्रिटेन गए। अगली यात्रा तुर्की उसके बाद मलेशिया, सिंगापुर फिर यूनाइटेड नेशन की क्लाइमेट चेंज की बैठक में फ्रांस गए। जिस तरह नरेंद्र मोदी पूरे ग्लोब का भ्रमण कर रहे थे। उम्मीद थी कि वे पाकिस्तान का दौरा भी कर सकते हैं। लेकिन इस तरह चौंकाने वाली यात्रा की उम्मीद किसी को नहीं थी।
पीएम दिसबंर 2015 में रूस और अफनिस्तान गए थे। जब वह 25 दिसंबर 2015 को अपनी इस यात्रा से लौट रहे थे तो अचानक उन्होंने हवाई जहाज पाकिस्तान में उतारने को कहा। यह कोई सुनियोजित यात्रा नहीं थी। अफगानिस्तान से लौटते वक्त उन्होंने अचानक लाहौर उतरकर सबको हैरत में डाल दिया।
बार-बार अमेरिका जाने वाले पहले प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी ने 2016 की पहली यात्रा बेल्जियम जाकर की। फिर अमेरिका और उसके बाद सउदी अरब, इरान, अफगानिस्तान, कतर, स्विटरजलैंड गए। हर बार उनकी विदेश यात्राएं उनके करतबों से चर्चित रहीं। इसके बाद वह फिर अमेरिका गए और टाइम्स स्क्वॉयर में भाषण दिया। यह बेहद मशहूर हुआ। यह पीएम की पांचवीं अमेरिका यात्रा थी। भारत के किसी प्रधानमंत्री ने अपने दो सालों के कार्यकाल में इतनी अमेरिका यात्रा नहीं की थी।
लेकिन पीएम इतने पर ठहरने वाले नहीं थे। अमेरिका से लौटने के बाद नरेंद्र मोदी मैक्सिको, उजबेक्सितान, मोजांबिक, दक्षिण अफ्रीका, तजतानिया, केन्या और वियतनाम गए।
पीएम बनने के बाद खास तौर पर अंग्रेजी की बाधा को नकारते हुए जिस तरह पीएम मोदी पूरे विश्व का भ्रमण कर रहे थे। उनमें उनके करीब ढाई साल के कार्यकाल बीते जाने के बाद भी चीन ना पहुंच पाने की बाधा बनी हुई थी। तभी जी-20 देशों का सम्मेलन चीन में आयोजित हो गया। पीएम वहां गए। यह पहली बार उनके कार्यकाल जब उन्हें चीन जाने का अवसर मिला। वहां से लाओस, थाइलैंड और फिर जापान।
राज्यों में चुनावों के वक्त विदेश यात्राएं टाल देते हैं पीएम मोदी
साल 2017 की पीएम मोदी की पहली विदेश यात्रा 11-12 मई को थी, श्रीलंका की। वे जनवरी से अप्रैल के बीच दूसरे देश नहीं गए। वजह थे मार्च महीने के मणिपुर, गोवा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पंजाब में विधानसभा चुनाव।
हालांकि मई से शुरू हुई धड़ाधड़ विदेश यात्राओं ने बीते चार महीने के बिगड़े रिकॉर्ड को ठीक कर दिया। श्रीलंका के बाद वे जर्मनी, स्पेन, रूस, फ्रांस, कजाकिस्तान, पुर्तगाल गए।
25 जून 2017 को नरेंद्र मोदी छठीं बार अमेरिका गए। डोनांड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद यह उनकी पहली अमेरिका यात्रा थी। इस यात्रा खास बात यह रही कि जिस तरह से अमेरिका में भारतीयों के साथ व्यवहार हो रहा था, माना जा रहा था कि बराक ओबामा संग बनाए गए रिश्तों की बलि चढ़ गई। लेकिन नरेंद्र मोदी, डोनांड ट्रंप के साथ बेहतर रिश्ते बनाने में सफल रहे।
अमेरिका यात्रा के पीएम नीदरलैंड और इजराइल गए। जर्मनी की फिर से यात्रा की। इसके बाद चीन और म्यांमार गए। यह आधिकारिक तौर उनकी पहली चीन यात्रा रही, जब वे केवल राष्ट्राध्यक्ष से मिलने गए। इसके बाद नवंबर में फीलीपींस संभावित यात्रा बची हुई है।
2019 में विदेश यात्रा नहीं करेंगे मोदी
पीएम मोदी की विदेश यात्राएं साल 2018 के पूर्वार्ध तक वैसे ही रहीं, जिस गति से चल रही थीं। इस साल में अब तक उन्होंने स्वीट्जरलैंड, जॉर्डन, फलीस्तीन, यूएई, ओमान, स्वीडन, यूके, जर्मनी चीन, नेपाल और हालिया रूस की यात्रा पूरी कर चुके हैं।
लेकिन साल के उत्तरार्ध में उन्होंने बस पांच विदेश यात्राएं रखी हैं चीन, दक्षिण अफ्रीका, सिंगापुर, श्रीलंका और अर्जेंटीना। आखिरी यात्रा उनकी 30 नवंबर से 1 दिसंबर के बीच होगी।
साल 2019 के उनके किसी विदेश यात्रा की सूचना नहीं है। अगले साल लोकसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। संभवतः फरवरी से चुनावी प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
पीएम मोदी की विदेश यात्राओं पर खर्च
नरेंद्र मोदी सरकार में पीएम मोदी की विदेश यात्राओं पर हुए खर्चों का लेखा-जोखा कम ही सामने आ पाता है। साल 2015-16 में हुए खर्चों पर आई रिपोर्ट में बताया गया था कि 2015-16 के वित्त वर्ष में पीएम मोदी और उनके ब्यूरोक्रेट के विदेश यात्राओं के खर्चे 527 करोड़ थे। इसके बाद बताया गया कि यह पिछले साल के खर्च की तुलना में करीब 80 फीसदी ज्यादा था। तब टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में यह अनुमान बताया गया था कि साल 2014-15 और 2016-17 के दौरान मोदी सरकार करीब 1,140 करोड़ रुपये खर्च कर देगी। वहीं बिजनेस स्टडैंर्ड की एक खबर के अनुसार साल पीएम मोदी के कार्यकाल में साल 2017 तक 1200 करोड़ से ज्यादा खर्च हो चुके थे।
MY VIEW: पीएम मोदी की विदेश यात्राओं को लेकर कई तरह की व्याख्याएं होती हैं। विपक्ष ने कई बाद विदेश यात्राओं के दौरान उनके सूट-बूट और खर्चों पर निशाना साधा है। सत्ता पक्ष पीएम मोदी की विदेश यात्राओं को लेकर कूटनीतिक स्तर पर भारत को विश्वपटल पर मजबूत करने का हवाला देता रहा है। इन सब के बीच मैं निजी तौर पीएम मोदी की इतनी यात्राएं करने की हिम्मत की सराहना करता हूं। लेनिक साथ ही साथ पीएम मोदी के साहसी फैसलों के गलत प्रभाव को भी रेखांकित करता हूं। बीजेपी ने कालाधन लाने वापस लाने की लंबी वकालत की थी। देश में विदेशी निवेश कराने की वकालत की थी। लेकिन पीएम की इतनी यात्राओं के बाद भी समस्याएं जस की तस हैं।