कश्मीर के पूर्व राज्यपाल मलिक ने कहा- हर दिन ‘आज की रात बचेंगे, तो सहर देखेंगे’ याद आती थी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 29, 2019 20:28 IST2019-11-29T20:28:25+5:302019-11-29T20:28:25+5:30

मलिक ने कहा, ‘‘ आज अनुच्छेद 370 के हटने के बाद, भारतीय बलों ने एक गोली भी नहीं चलाई है... इसके हटने के एक दिन बाद, एक लड़के ने मुझसे कहा था कि ‘मैं आपको चाय के लिए लाल चौक ले चलता हूं।’’

Former Governor of Kashmir, Malik said- Every day I would miss 'Save tonight, see the city' | कश्मीर के पूर्व राज्यपाल मलिक ने कहा- हर दिन ‘आज की रात बचेंगे, तो सहर देखेंगे’ याद आती थी

एक चिड़िया तक हताहत नहीं हुई। यह कश्मीर के इतिहास में अनोखी घटना थी।

Highlightsउन्होंने कहा कि इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वहां हालात कितने खराब थे और जिंदगी हर समय दांव पर लगी होती थी।मलिक ने कहा, ‘‘ आपको जानकर खुशी होगी कि 4000 लोगों को चुना गया था और कोई हताहत नहीं हुआ था।

जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने वहां पर अपने कार्यकाल के दौरान सुरक्षा हालात का गुरुवार को जिक्र करते हुए कहा कि हर रात उन्हें ‘पाकीजा’ फिल्म की एक गजल की आखिरी लाइन ‘आज की रात बचेंगे, तो सहर देखेंगे’ याद आती थी।

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाने के बाद वहां कोई भी अप्रिय घटना नहीं हुई है। इस महीने के शुरू में गोवा के राज्यपाल के तौर पर शपथ लेने वाले मलिक का कहना है कि उनमें कश्मीर का ‘खुमार’ अबतक खत्म नहीं हुआ है। वह जम्मू कश्मीर राज्य के आखिरी राज्यपाल थे।

केंद्र ने पांच अगस्त को राज्य के विशेष दर्जे को खत्म कर दिया था और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था। उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे पाकीजा फिल्म की एक गजल की आखिरी लाइन हर रात याद आती थी । गजल कुछ इस तरह थी ‘आज हम अपनी दुआओं का असर देखेंगे, तीरे नजर देखेंगे ,आप तो आंख मिलाने से भी शर्माते हैं, आप तो दिल के धड़कने से भी डर जाते हैं ,उस पर जिद ये है कि हम जख्में जिगर देखेंगे,’ लेकिन मुझे इसकी आखिरी पंक्ति ही याद आती थी कि ‘आज की रात बचेंगे तो सहर देखेंगे।’

उन्होंने कहा कि इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वहां हालात कितने खराब थे और जिंदगी हर समय दांव पर लगी होती थी। उन्होंने कहा, ‘‘ आज की रात बचेंगे तो सहर देखेंगे। वहां काफी खतरे थे... मेरे वहां पहुंचने के बाद, 17 साल के अंतराल के पश्चात वहां पंचायत चुनाव हुए। सभी पार्टियों ने उनका बहिष्कार किया, हुर्रियत ने बहिष्कार किया, आतंकवादियों ने धमकी दी थी कि वे सभी प्रत्याशियों को मार देंगे।’’ मलिक ने कहा, ‘‘ आपको जानकर खुशी होगी कि 4000 लोगों को चुना गया था और कोई हताहत नहीं हुआ था।

एक चिड़िया तक हताहत नहीं हुई। यह कश्मीर के इतिहास में अनोखी घटना थी।’’ मलिक ने बृहस्पतिवार को 50वें अंतरराष्ट्रीय भारतीय फिल्मोत्सव (इफ्फी) के समापन समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को खत्म करने के बाद से घाटी में कोई हताहत नहीं हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘ अगर वहां पर मामूली घटना भी होती थी तो हजारों मर जाते। 2010 में अशांति थी, 50 व्यक्ति मारे गए थे। जब बुरहान वानी का मामला हुआ तो 110 लोगों की मौत हुई।

हर हफ्ते वहां लोग हताहत होते थे। लोग मरते थे। लोगों को उकसाया जाता था। वे थानों पर हमले करते थे।’’ मलिक ने कहा, ‘‘ आज अनुच्छेद 370 के हटने के बाद, भारतीय बलों ने एक गोली भी नहीं चलाई है... इसके हटने के एक दिन बाद, एक लड़के ने मुझसे कहा था कि ‘मैं आपको चाय के लिए लाल चौक ले चलता हूं।’’ उन्होंने कहा कि लोगों के मिज़ाज में एक बदलाव आया है। मलिक ने कहा, ‘‘ मैंने सार्वजनिक तौर पर युवाओं से हथियार छोड़ने की अपील की थी और कहा था कि आप मेरे घर आएं और खाना खाएं तथा मुझे समझाएं कि हथियारबंद 250 लोग कैसे भारत जैसी महाशक्ति को हरा सकते हैं और कुछ ले जा सकते हैं।’’

मलिक ने कहा कि पहले नौकरशाही द्वारा आशंका जतायी जा रही थी कि अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद पुलिस बगावत कर देगी लेकिन ईद के मौके पर किसी भी पुलिसकर्मी ने छुट्टी नहीं ली और मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी निभाई । उन्होंने इफ्फी समारोह में मौजूद केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो, फिल्म निर्देशक रमेश सिप्पी, रोहित शेट्टी और अन्य जानी मानी हस्तियों से सामाजिक संदेश देने वाली फिल्मों का निर्माण करने का भी अनुरोध किया। उन्होंने साथ ही कॉरपोरेट घरानों से देश में बेरोजगारी, शिक्षा, सैनिकों और किसानों के मुद्दों के समाधान के लिए आगे आने का अनुरोध किया।

मलिक ने कहा कि फिल्मों का असर किताबों से कहीं अधिक होता है और इसलिए फिल्मकारों को समाज की विसंगतियों पर फिल्मों का निर्माण कर उन्हें बेनकाब करना चाहिए। उन्होंने इस मौके पर राजकपूर और वहीदा रहमान अभिनीत फिल्म ‘‘तीसरी कसम’’ को अपनी पसंदीदा फिल्म बताया और कहा कि फिल्मों का संदेश गहराई तक प्रभावित करता है और इसीलिए फिल्म बनाते समय समाज पर उसके असर को ध्यान में रखा जाना चाहिए।

Web Title: Former Governor of Kashmir, Malik said- Every day I would miss 'Save tonight, see the city'

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