बिहार में एनडीए की हुई बंपर जीत के बाद नीतीश कुमार 10वीं बार लेंगे मुख्यमंत्री पद की शपथ, पीएम मोदी की उपलब्धता के अनुसार तय होगा शपथग्रहण समारोह की तारीख

By एस पी सिन्हा | Updated: November 16, 2025 15:47 IST2025-11-16T15:47:19+5:302025-11-16T15:47:19+5:30

नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह को ऐतिहासिक बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। एनडीए नेताओं के बयान से साफ हो चुका है कि इस बार भी नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बनेंगे। जदयू सूत्रों का दावा है कि नीतीश का नाम फाइनल है और कोई विवाद नहीं है।

Following the NDA's landslide victory in Bihar, Nitish Kumar will be sworn in as Chief Minister for the 10th time | बिहार में एनडीए की हुई बंपर जीत के बाद नीतीश कुमार 10वीं बार लेंगे मुख्यमंत्री पद की शपथ, पीएम मोदी की उपलब्धता के अनुसार तय होगा शपथग्रहण समारोह की तारीख

बिहार में एनडीए की हुई बंपर जीत के बाद नीतीश कुमार 10वीं बार लेंगे मुख्यमंत्री पद की शपथ, पीएम मोदी की उपलब्धता के अनुसार तय होगा शपथग्रहण समारोह की तारीख

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की हुई बंपर जीत के बाद अब नई सरकार के गठन की उलटी गिनती शुरू हो गई है। चुनाव परिणाम आने के बाद एनडीए गठबंधन तेजी के साथ सरकार बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोमवार को राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप सकते हैं, जिसके साथ ही नई सरकार गठन की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू होगी। 

वहीं, नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह को ऐतिहासिक बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। एनडीए नेताओं के बयान से साफ हो चुका है कि इस बार भी नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बनेंगे। जदयू सूत्रों का दावा है कि नीतीश का नाम फाइनल है और कोई विवाद नहीं है।
 
नीतीश कुमार 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। शपथ ग्रहण समारोह की तारीख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपलब्धता को ध्यान में रखकर तय की जाएगी। संभावना जताई जा रही है 20-21 नवंबर को शपथ ग्रहण का कार्यक्रम रखा जाए। इसी वजह से पटना में प्रशासनिक गतिविधियां अचानक तेज हो गई हैं। चुनावी रैलियों में उन्होंने कहा था कि एनडीए की सरकार बनने पर वे शपथ ग्रहण में मौजूद रहेंगे। 

चूंकि राजभवन के राजेंद्र मंडपम में मरम्मत का काम चल रहा है, इसलिए शपथ ग्रहण समारोह में एक बड़ा राजनीतिक संदेश देने के लिए गांधी मैदान को चुना गया है। प्रशासन ने समारोह को भव्य बनाने के लिए एक खास योजना तैयार की है। गांधी मैदान में लगभग 5000 वीवीआईपी अतिथियों के बैठने के लिए एक विशेष खंड तैयार किया जा रहा है। इसमें सुरक्षा और सुविधाओं का खास ध्यान रखा जाएगा। 

शपथ ग्रहण का मंच भव्य तैयार हो रहा है, जहां गठबंधन के वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों को जगह मिलेगी। चूंकि देश के शीर्ष नेता शामिल होंगे इसलिए गांधी मैदान के आसपास सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा कर दिया गया है। एनडीए की शानदार जीत को राष्ट्रीय मंच पर भुनाने के लिए पार्टी ने अपने शीर्ष नेतृत्व को शामिल करने की पूरी योजना बनाई है। 

समारोह की सबसे बड़ी उपस्थिति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हो सकती है। उनकी मौजूदगी एनडीए की जीत को राष्ट्रीय पटल पर मजबूत करेगी। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा भी शपथ ग्रहण में शामिल होंगे। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव सहित एनडीए और भाजपा शासित कई राज्यों के मुख्यमंत्री इस समारोह में शिरकत करेंगे। 

केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी सहित केंद्र सरकार के कई वरिष्ठ मंत्री भी शपथ ग्रहण में शामिल होकर नीतीश कुमार को बधाई देंगे। लेकिन सबसे दिलचस्प बात यह है कि क्या महागठबंधन और अन्य विपक्षी दलों के नेता भी इस समारोह में शामिल होंगे? राजनीतिक शिष्टाचार के चलते कुछ विपक्षी दलों के वरिष्ठ नेताओं को भी निमंत्रण भेजा जा सकता है। राजद और महागठबंधन के सीएम फेस तेजस्वी यादव को भी निमंत्रण भेजा जाएगा। हालांकि, उनके आने की संभावना न के बराबर ही है।

दूसरी ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कई विपक्षी नेताओं से व्यक्तिगत अच्छे संबंध हैं। ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के साथ-साथ कुछ और वरिष्ठ और समाजवादी चेहरों को भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार निमंत्रण भेज सकते हैं। हालांकि कम ही उम्मीद है कि कांग्रेस के शीर्ष स्तर के कोई नेता शपथ में आए। लेकिन, अगर कोई भी बड़ा विपक्षी चेहरा शपथ में शामिल होता है, तो यह एक बड़ा राजनीतिक सरप्राइज हो सकता है और राष्ट्रीय स्तर पर इसकी चर्चा लंबे समय तक हो सकती है।

इस बीच भाजपा और जदयू दोनों ने अपने विधायकों को तुरंत राजधानी पहुंचने का निर्देश दिया है। वहीं, चुनाव आयोग ने रविवार को नवनिर्वाचित विधायकों की सूची राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को सौंप दी है। इसके बाद संसदीय कार्य विभाग नयी सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दिया है। राज्यपाल नवनिर्वाचित विधायकों की सूची को राज्य सरकार के संसदीय कार्य विभाग को भेज देंगे। 

संसदीय कार्य विभाग अधिसूचना जारी करेगा और 17वीं विधानसभा के विघटित होने की भी अधिसूचना जारी करेगा। 22 नवंबर तक यह प्रक्रिया पूरी हो जायेगी। 22 नवंबर तक विधानसभा विघटित नहीं हुई, तो उस तिथि के प्रभाव से स्वत: भंग माना जायेगा।

उधर, मौजूदा मुख्यमंत्री कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी सरकार का राज्यपाल को इस्तीफा सौंपेंगे। राज्यपाल उन्हें नयी सरकार के गठन होने तक कार्यकारी मुख्यमंत्री बने रहने का अनुरोध करेंगे। इसके साथ एनडीए विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद नीतीश कुमार नई सरकार के गठन का दावा पेश करेंगे। 

राज्यपाल को वे एनडीए के सभी घटक दल के नव निर्वाचित विधायकों की सूची देंगे। राज्यपाल शपथ ग्रहण के लिए आमंत्रित करेंगे। नई सरकार के शपथ के बाद मुख्यमंत्री तत्काल कैबिनेट की बैठक करेंगे और 18वीं विधानसभा के पहले सत्र शुरुआत का निर्णय लिया जायेगा। 

सूत्रों के अनुसार 18 और 19 नवंबर को एनडीए के घटक दलों की विधायक दल की बैठक होगी। इसमें विधायक दल का नेता चुना जायेगा। लोजपा आर ने इसकी शुरुआत कर दी है। शनिवार को लोजपा आर के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक में गोविंदगंज से चुनाव जीते राजू तिवारी को विधायक दल का नेता चुन लिया गया। सभी दलों के विधायक दल की अलग-अलग बैठक के बाद एनडीए विधायक दल की संयुक्त बैठक होगी, जिसमें मुख्यमंत्री पद के लिए नाम तय किये जायेंगे। 

सदन की कार्यवाही प्रोटेम स्पीकर के चयन से होगी। 10वीं बार विधायक बने जदयू के हरिनारायण सिंह को प्रोटेम स्पीकर बनाये जा सकते हैं। प्रोटेम स्पीकर के लिए बिजेंद्र प्रसाद यादव और डा प्रेम कुमार के भी नाम चर्चा में हैं। प्रोटेम स्पीकर सभी नवनिर्वाचित विधायकों को सदन की सदस्यता की शपथ दिलायेंगे। 

इसके बाद नये विधानसभा अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रक्रिया होगी। विधानसभा अध्यक्ष के निर्वाचन के बाद विश्वास मत हासिल करने की जरूरत नहीं होती। इसके बाद राज्यपाल का धन्यवाद ज्ञापन होगा। उल्लेखनीय है कि नई कैबिनेट में भाजपा से 15-16, जदयू से 14-15 मंत्री बनाए जा सकते हैं। जबकि चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) को 3, रालोमो और हम को एक-एक सीट मिल सकती है। 

6 विधायक पर एक मंत्री बनाने का फार्मूला बताया जा रहा है। बता दें कि पिछली सरकार में भी यही फॉर्मूला लागू था। ज्ञात हो कि विधानसभा की कुल संख्या के 15 फीसदी के हिसाब से मुख्यमंत्री सहित अधिकतम 36 मंत्री बनाए जा सकते हैं। चर्चा है कि कि इस बार अपेक्षाकृत युवा चेहरों को मौका मिल सकता है।

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