पटना: नेपाल के तराई क्षेत्र और बिहार में लगातार हो रही बारिश के कारण राज्य में बाढ़ की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। बाढ़ के कारण राज्य के 13 जिलों में हाहाकार मचा हुआ है। बड़ी नदियों में उफान के कारण दो सौ से अधिक पंचायत बाढ़ की चपेट में हैं, जिससे करीब 10 लाख से अधिक की आबादी प्रभावित हुई है। इस भीषण आपदा में अब तक 19 लोगों की डूबने से मौत हो चुकी है, जिनमें सबसे ज्यादा नौ मौतें राजधानी पटना में हुई हैं। गंगा, कोसी, गंडक, बागमती, बूढ़ी गंडक, महानंदा, परमान और कमला बलान सभी जलधाराएं इस कदर मचल उठी हैं कि 13 जिलों की दो सौ से अधिक पंचायतें जलमग्न हो गईं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार करीब दस लाख से ज्यादा लोग इस कुदरती आफत में घिर चुके हैं, मानो ज़िन्दगी और मौत के बीच एक पतली डोर पर लटके हों। हजारों लोगों के घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है। जबकि हजारों एकड़ फसल डूब गए हैं। सड़कों पर नदियों का पानी फैल जाने से गांव और शहर के बीच का संबंध टूट चुका है। एनएच-80, एनएच-30ए समेत कई राजमार्ग अब पानी के रास्ते बन गए हैं। भागलपुर-सुल्तानगंज के बीच एनएच 80 पर गंगा नदी का पानी आने से आवागमन रोक दिया गया है।
इसी तरह, पटना के पास दनियावां और बिहारशरीफ के बीच एनएच-30ए पर भी पानी चढ़ गया है, जिससे वाहनों का परिचालन बंद है। पटना, भोजपुर, वैशाली, लखीसराय, शेखपुरा, भागलपुर, मधुबनी, मुंगेर, सीतामढ़ी, खगड़िया, कटिहार, समस्तीपुर और बेगूसराय जैसे जिलों में भी कई सड़कें पानी में डूब चुकी हैं। बाढ़ प्रभावित इलाकों में लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
पशुओं के लिए चारे का संकट गहरा गया है और लाखों की फसलें बर्बाद हो गई हैं। जिन लोगों के घर पानी में डूब गए हैं, वे ऊंचे स्थानों और बांधों पर शरण लेने को मजबूर हैं। पीने के पानी का भी भीषण संकट खड़ा हो गया है। पटना और कहलगांव में गंगा नदी खतरे के निशान से डेढ़ मीटर ऊपर बह रही है। पुनपुन और सोन भी उग्र रूप में हैं, जबकि कोसी, गंडक और बागमती अपने किनारे लांघ चुकी हैं। खगड़िया में गंडक का पानी एनएच-31 तक घुस आया है और लोहिया नगर, कृष्णापुरी की गलियां अब नदी का हिस्सा बन चुकी हैं।
भागलपुर की 38 पंचायतें, पटना की 22, समस्तीपुर की 20 और मुंगेर की 15 पंचायतें सबसे अधिक प्रभावित हैं। भागलपुर के गोपालपुर, इस्माइलपुर और सुल्तानगंज में गांव पूरी तरह पानी में डूब गए हैं। मुंगेर में सवा लाख से अधिक लोग बेघर हो गए हैं, जबकि पटना और वैशाली में हज़ारों लोग बांधों पर पनाह ले रहे हैं। कटिहार के कुरसेला, बरारी, मनिहारी और अमदाबाद में 60 हज़ार से अधिक लोग जल जाल में फंस चुके हैं। मधुबनी के मधेपुर प्रखंड में भूतही बलान का पानी सड़कें काट रहा है, पानापुर-बाउघाट रोड के पुल पर तीन फीट पानी बह रहा है।
बेगूसराय का सिमरियाघाट, नमामि गंगा घाट और श्मशान घाट तक डूब चुके हैं। भोजपुर के शाहपुर, बड़हरा और बिहिया में तो हालात ऐसे हैं कि सड़कों पर नावें चल रही हैं। कहीं मवेशियों का चारा खत्म हो चुका है, तो कहीं पीने के पानी के लिए लोग कतारों में खड़े हैं। खेतों की फसलें जल समाधि ले चुकी हैं, घरों की दीवारें पानी के थपेड़ों से ढह रही हैं। चारों तरफ भयावह स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिसको लेकर 9 वीं बटालियन एनडीआरएफ की 14 टीम अलर्ट मोड पर हैं, जिसमें एक टीम को दरभंगा, एक टीम को सुपौल, एक टीम को मोतिहारी और दो टीम को नालंदा भेजी गई है।
इसके साथ ही एक टीम को पटना में रखा गया है, बाकी के बचे 8 टीम को अलर्ट मोड पर पूरी तैयारी के साथ रखा गया है। जो हेड क्वार्टर में अलर्ट पर है ताकि जरूरत पड़ने पर उसे तुरंत भेजा जा सके। 9वीं बटालियन एनडीआरएफ के कमांडेंट सुनील कुमार सिंह ने बताया कि बाढ़ जैसी आपदा से निपटने के लिए 9वीं बटालियन एनडीआरएफ की 14 टीम अलर्ट मोड पर है। इस त्रासदी में अब तक 19 लोगों की जान जा चुकी है। सबसे अधिक नौ मौतें पटना में, चार भागलपुर में, बाक़ी भोजपुर, लखीसराय, बेगूसराय, गया और कैमूर में।