नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया है कि नई आपराधिक संहिता, भारतीय न्याय संहिता के तहत पहला मामला मोटरसाइकिल चोरी के एक मामले में मध्य प्रदेश के ग्वालियर में सुबह 12.10 बजे दर्ज की गई। इससे पहले, रिपोर्टों में कहा गया था कि नए आपराधिक कोड के तहत पहला मामला नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास सड़क में बाधा डालने के लिए एक स्ट्रीट वेंडर के खिलाफ दायर किया गया था।
मीडिया से बातचीत के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि पहला मामला ग्वालियर में दर्ज किया गया था। उन्होंने कहा कि यह झूठ है कि पहला मामला एक स्ट्रीट वेंडर के खिलाफ दर्ज किया गया था। पहला मामला ग्वालियर में 1.80 लाख रुपये की मोटरसाइकिल की चोरी के लिए रात 12.10 बजे दर्ज किया गया था।
दिल्ली में पहला मामला स्टेशन के पास सड़क बाधित करने के आरोप में एक रेहड़ी-पटरी वाले के खिलाफ दर्ज किया गया था। यह देश का पहला मामला नहीं था। एफआईआर नई आपराधिक संहिता की धारा 285 के तहत दर्ज की गई थी।
दिल्ली में प्राथमिकी तब दर्ज की गई जब रविवार रात गश्त पर तैनात एक पुलिसकर्मी ने सड़क पर पानी की बोतलें और गुटखा बेचते हुए एक रेहड़ी-पटरी वाले को देखा। अस्थायी स्टॉल ने सड़क को बाधित कर दिया था और बार-बार इसे हटाने के लिए कहने के बाद भी जब बात नहीं बनी तब पुलिस को एफआईआर दर्ज करनी पड़ी।
एफआईआर की कॉपी में कहा गया है कि रेहड़ी-पटरी वाले ने कल देर रात नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास एक फुटओवर ब्रिज के नीचे अपनी दुकान लगाई थी। वह आदमी सड़क पर पानी, बीड़ी और सिगरेट बेच रहा था और इस रुकावट के कारण जनता को परेशानी हो रही थी। उप-निरीक्षक ने उस व्यक्ति को सड़क से ठेला हटाने के लिए कई बार कहा, लेकिन उसने बात नहीं मानी। उप-निरीक्षक ने कई राहगीरों से जांच में शामिल होने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया, फिर उप-निरीक्षक ने ई-प्रमाण एप्लिकेशन का उपयोग करके एक वीडियो शूट किया।
बता दें कि नई आपराधिक संहिता आज से लागू हो गई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "आजादी के करीब 77 साल बाद हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली पूरी तरह से 'स्वदेशी' हो रही है। यह भारतीय लोकाचार पर कार्य करेगा। 75 साल बाद इन कानूनों पर विचार किया गया और आज से जब ये कानून लागू हुए हैं तो अंग्रेज के कानून निरस्त होकर और भारतीय संसद में बने कानूनों को व्यवहार में लाया जा रहा है। 'दंड' की जगह अब 'न्याय' होगा। देरी के बजाय स्पीडी ट्रायल और त्वरित न्याय मिलेगा। पहले, केवल पुलिस के अधिकारों की रक्षा की जाती थी, लेकिन अब, पीड़ितों और शिकायतकर्ताओं के अधिकारों की भी रक्षा की जाएगी...' मैं विश्वास के साथ कहता हूं कि ये तीनों कानून के लागू होने के बाद सबसे आधुनिक न्याय प्रणाली का सृजन करेगी।"