किसान आंदोलन के छह माह पूरे होने पर किसानों ने मनाया ‘काला दिवस’, काले झंडे लहराए

By भाषा | Updated: May 26, 2021 23:17 IST2021-05-26T23:17:20+5:302021-05-26T23:17:20+5:30

Farmers celebrate 'Kala Diwas', marking the completion of six months of the Kisan agitation, waving black flags | किसान आंदोलन के छह माह पूरे होने पर किसानों ने मनाया ‘काला दिवस’, काले झंडे लहराए

किसान आंदोलन के छह माह पूरे होने पर किसानों ने मनाया ‘काला दिवस’, काले झंडे लहराए

नयी दिल्ली, 26 मई केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अपने आंदोलन के छह माह पूरे होने पर बुधवार को ‘काला दिवस’ मनाया और इस दौरान सिंघू, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर प्रदर्शनस्थलों के साथ ही पंजाब और हरियाणा में किसानों ने काले झंडों के साथ मार्च किया, पुतले फूंके और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

प्रशासन ने लोगों से कोरोना वायरस संक्रमण से हालात और लागू लॉकडाउन के मद्देनजर इकट्ठे नहीं होने की अपील की और कहा कि प्रदर्शन स्थल पर किसी भी स्थिति से निपटने के लिए वह कड़ी नजर बनाए हुए है।

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने बुधवार को बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर महामारी के दौरान कानून बन सकते हैं, तो वापस क्यों नहीं हो सकते।

उन्होंने साथ ही दोहराया कि केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के बाद ही आंदोलनरत किसान दिल्ली की सीमाओं से हटेंगे।

दिल्ली-उत्तर प्रदेश की सीमा पर गाजीपुर बॉर्डर पर सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा, ‘‘ यह आंदोलन लंबे समय तक जारी रहेगा।’’

सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी कजारिया टाइल्स के कार्यालय पर इकट्ठा हुए और उन्होंने बैठक की इसके बाद उन्होंने प्रदर्शनस्थल तक मार्च किया। प्रदर्शनकारियों ने काली पगड़ी और दुपट्टा पहन रखा था और उन्होंने एक पुतला भी फूंका।

किसान नेता अवतार सिंह मेहमा ने कहा कि न केवल प्रदर्शन स्थल पर बल्कि हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के गांवों में भी काले झंडे लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने अपने घरों और वाहनों पर भी काले झंडे लगाए हैं।

मेहमा ने कहा, ‘‘आज का दिन यह बात दोहराने का है कि हमें प्रदर्शन करते हुए छह माह हो गए हैं लेकिन सरकार जिसके कार्यकाल के आज सात वर्ष पूरे हो गए, वह हमारी बात नहीं सुन रही है।’’

पंजाब में अमृतसर, मुक्तसर, मोगा, तरनतारन, संगरूर और बठिंडा समेत कई स्थानों पर प्रदर्शन किये गए। कई जगहों पर खासकर युवा किसानों ने ट्रैक्टरों, कारों, दो पहिया वाहनों पर काला झंडा लगा रखा था।

दो विधायकों-- कुलतार सिंह संधवान और मीत हायेर समेत आम आदमी पार्टी के नेताओं ने प्रदर्शनकारी किसानों के समर्थन में पंजाब राजभवन के बाहर प्रदर्शन किया। बाद में चंडीगढ़ पुलिस ने उन्हें वहां से हटा दिया।

इसी तरह का प्रदर्शन हरियाणा के अंबाला, हिसार, सिरसा, करनाल, रोहतक, जींद, भिवानी, सोनीपत और झज्जर में भी में भी देखने को मिला।

वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बुधवार को कहा कि भाजपा सरकार के अहंकार के कारण हो रहे किसानों के अपमान से देश का हर नागरिक आक्रोशित है।

अखिलेश ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ 'काला दिवस' मना रहे किसानों का जिक्र करते हुए एक ट्वीट में कहा "बहाकर अपना ख़ून-पसीना जो दाने पहुँचाता घर-घर, काला दिवस मना रहा है, आज वो देश का हलधर।"

किसान एकता मोर्चा हैशटैग से किए गए इसी ट्वीट में अखिलेश ने कहा "भाजपा सरकार के अहंकार के कारण आज देश में किसानों के साथ जो अपमानजनक व्यवहार हो रहा है उससे देश का हर नागरिक आक्रोशित है। हमारे हर निवाले पर किसानों का क़र्ज़ है।"

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने बुधवार को केंद्र पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उसके मन में धारणा है कि पिछले छह महीनों से तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसान थक जाएंगे और अपना प्रदर्शन खत्म कर देंगे।

गौरतलब है कि मंगलवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा को कथित तौर पर प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा कोविड-19 नियमों का उल्लंघन करने पर नोटिस जारी किया था। वहीं दिल्ली पुलिस ने भी संक्रमण से हालात और लॉकडाउन के मद्देनजर इकट्ठा नहीं होने की अपील की थी।

किसान नेता मेहमा ने कहा कि सरकार को ऐसे वक्त में तीन नए कृषि कानून लाने ही नहीं चाहिए थे जब महामारी की शुरुआत हो रही थी।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा,‘‘ अगर सरकार चाहती है कि हम वापस जाएं तो उसे हमारी बात सुननी चाहिए और कानून वापस लेने चाहिए क्योंकि जब तक हमारी मांगें नहीं मानी जाती, हम कहीं नहीं जा रहे।’’

मेहमा ने कहा,‘‘ हमें कोई शौक नहीं है गर्मी में, सर्दी में सीमाओं पर बैठने का। हम भी घर वापस जाना चाहते हैं और सुरक्षित रहना चाहते हैं।’’

मंगलवार से ही सिंघू, टीकरी और गाजीपुर प्रदर्शन स्थल सहित सभी सीमाओं पर पुलिस बल तैनात है।

दिल्ली-उत्तर प्रदेश बॉर्डर पर गाजीपुर में सैकड़ों की संख्या में किसान भाकियू नेता राकेश टिकैत की अगुवाई में एकत्रित हुए। इस बीच स्थानीय पुलिस ने दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस-वे के नीचे यूपी गेट पर पुतला जलाने की कोशिश कर रहे किसानों को रोकने की कोशिश की और इस दौरान वहां थोड़ी देर के लिए अफरा तफरी मच गई।

भाकियू समर्थकों ने हाथों में काले झंडे लिए हुए थे, कई लोगों के हाथों में तख्तियां ले रखी थीं जिनमें सरकार की निंदा वाले नारे और तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांगें लिखी हुई थीं।

कांग्रेस, शिअद और आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, सपा, वाप दलों, राकांपा, द्रमुक सहित 12 मुख्य विपक्षी दलों ने किसानों के ‘काला दिवस’ मनाने के आह्वान का समर्थन किया था।

संयुक्त किसान मोर्चा ने घोषणा की थी कि किसान आंदोलन के छह महीने पूरे होने पर 26 मई को वे ‘काला दिवस’ मनायेंगे।

कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि किसान ठंड और गर्मी में पिछले छह महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन केंद्र उनकी मांगों पर अड़ियल रवैया अपनाये हुए है।

गौरतलब है कि दिल्ली के टीकरी बॉर्डर, सिंघू बॉर्डर तथा गाजीपुर बॉर्डर पर किसान पिछले साल नवम्बर से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी दिए जाने की है। हालांकि सरकार का कहना है कि ये कानून किसान हितैषी हैं।

सरकार और प्रदर्शन कर रहे किसानों के बीच कई दौर की वार्ता बेनतीजा रही है। 26 जनवरी को किसानों की ‘ट्रैक्टर परेड’ के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा के बाद से दोनों पक्षों के बीच बातचीत पूरी तरह बंद है।

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