किसान आंदोलन: कोर्ट ने कहा- मोदी सरकार फिलहाल तीनों कानूनों के क्रियान्वयन को रोक दे, तोमर ने किसानों के नाम खुला पत्र लिखा

By भाषा | Updated: December 18, 2020 07:22 IST2020-12-18T07:19:11+5:302020-12-18T07:22:19+5:30

न्यायालय ने किसानों के अहिंसक विरोध प्रदर्शन करने के अधिकार को स्वीकार करते हुए सुझाव दिया कि केन्द्र फिलहाल इन तीन विवादास्पद कानूनों का क्रियान्वयन स्थगित कर दे।

Farmer Movement: Court said- Modi government should stop the implementation of all the three laws, Tomar wrote an open letter to the farmers. | किसान आंदोलन: कोर्ट ने कहा- मोदी सरकार फिलहाल तीनों कानूनों के क्रियान्वयन को रोक दे, तोमर ने किसानों के नाम खुला पत्र लिखा

सांकेतिक तस्वीर (फाइल फोटो)

Highlightsनए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए किसानों का प्रदर्शन दिल्ली की सीमाओं पर 22 वें दिन भी जारी रहा।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तोमर द्वारा किसानों के नाम लिखे गए पत्र को उनके ‘‘विनम्र संवाद का प्रयास’’ बताया और किसानों से उसे पढ़ने का आग्रह किया।

नयी दिल्ली: प्रदर्शन करने के अधिकार को मूल अधिकार बताते हुए उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि किसानों के आंदोलन में इस समय न्यायालय हस्तक्षेप नहीं करेगा और इसे ‘‘बगैर किसी बाधा’’ के जारी रखने की अनुमति दी जानी चाहिए। इसने कहा कि न तो प्रदर्शनकारी और न ही पुलिस शांति भंग करे। शीर्ष न्यायालय ने केंद्र और आंदोलनरत किसानों के बीच जारी गतिरोध को तोड़ने की अपनी कोशिश के तहत तीन नए कृषि कानूनों को स्थगित रखने का विचार दिया है, ताकि उनके बीच वार्ता जारी रह सके।

इस बीच, कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने किसानों के नाम आठ पृष्ठों का एक खुला पत्र जारी करते हुए कहा कि केंद्र उनकी सभी चिंताओं का निराकरण करने के लिए तैयार है। न्यायालय द्वारा दिए गए सुझाव का विरोध करते हुए केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि अगर इन कानूनों का क्रियान्वयन स्थगित रखा गया, तो किसान बातचीत के लिए आगे नहीं आएंगे।

न्यायालय ने किसानों के अहिंसक विरोध प्रदर्शन करने के अधिकार को स्वीकार किया

हालांकि, केंद्र के शीर्ष कानून अधिकारी ने प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि तीनों कानूनों को स्थगित रखे जाने पर निर्देश लेने के बाद वह वापस आएंगे। न्यायालय ने किसानों के अहिंसक विरोध प्रदर्शन करने के अधिकार को स्वीकार करते हुए सुझाव दिया कि केन्द्र फिलहाल इन तीन विवादास्पद कानूनों का क्रियान्वयन स्थगित कर दे क्योंकि वह इस गतिरोध को दूर करने के इरादे से कृषि विशेषज्ञों और किसान संघों की एक ‘निष्पक्ष और स्वतंत्र’ समिति गठित करने पर विचार कर रहा है।

लेकिन इस सुझाव पर आगे कार्य नहीं किया जा सका क्योंकि कृषक संगठनों के प्रतिनिधि अपने विचार प्रकट करने के लिए आज उपस्थित नहीं सके। दरअसल, उन्हें बुधवार को पक्षकार बनाया गया था। नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए किसानों का प्रदर्शन दिल्ली की सीमाओं पर 22 वें दिन भी जारी रहा। वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तोमर द्वारा किसानों के नाम लिखे गए पत्र को उनके ‘‘विनम्र संवाद का प्रयास’’ बताया और किसानों से उसे पढ़ने का आग्रह किया।

नए कृषि कानूनों का लक्ष्य छोटे एवं सीमांत किसानों को फायदा पहुंचाना है

तोमर ने अपने पत्र में कहा कि मोदी सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि नए कृषि कानूनों का लक्ष्य छोटे एवं सीमांत किसानों को फायदा पहुंचाना है। मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘ कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर जी ने किसान भाई-बहनों को पत्र लिखकर अपनी भावनाएं प्रकट की हैं, एक विनम्र संवाद करने का प्रयास किया है। सभी अन्नदाताओं से मेरा आग्रह है कि वे इसे जरूर पढ़ें।

देशवासियों से भी आग्रह है कि वे इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं।’’ तोमर ने कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों पर तीन नए कृषि कानूनों को लेकर भ्रम फैलाने का आरोप लगाते हुए आंदोलनरत किसानों से इस ‘‘सफेद झूठ’’ से बचने की सलाह दी और उन्हें आश्वस्त किया कि सरकार उनकी सभी चिंताओं को दूर करने को तैयार है। तोमर, केंद्रीय मंत्रियों--पीयूष गोयल और सोम प्रकाश--के साथ करीब 40 किसान संघों के साथ वार्ता का नेतृत्व कर रहे हैं। तोमर ने आश्वस्त किया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रहेगा और मंडी प्रणाली मजबूत की जाएगी।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तीनों कानूनों की प्रतियों को फाड़ दिया

उन्होंने वामपंथी दलों पर हमला करते हुए कहा कि वे आज भी 1962 की भाषा बोल रहे हैं जो उन्होंने चीन के खिलाफ लड़ाई के दौरान उस वक्त इस्तेमाल की थी। उधर, दिल्ली विधानसभा ने केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया। इस दौरान, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तीनों कानूनों की प्रतियों को फाड़ते हुए कहा कि वह देश के किसानों के साथ छल नहीं कर सकते। दिल्ली विधानसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि कानूनों को ‘‘भाजपा के चुनावी ‘फंडिंग’ के लिए बनाया गया है और यह किसानों के लिए नहीं है।’’

शीर्ष न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए एक याचिका के सिलसिले में एक पक्ष की ओर से पेश होते हुए यह मुद्दा उठाया कि किसानों के आंदोलन के चलते दिल्ली-एनसीआर के लोगों को काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि शहर में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बाधित हो रही है। पीठ ने कहा, ‘‘हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि जहां तक प्रदर्शन का सवाल है यह न्यायालय हस्तक्षेप नहीं करेगा। ’’

आवश्यक वस्तुओं को प्राप्त करने के मौलिक अधिकारों का अतिक्रमण नहीं करना चाहिए

हालांकि, न्यायालय ने कहा कि उसका यह भी मानना है कि विरोध प्रदर्शन करने के किसानों के अधिकार को दूसरों के निर्बाध रूप से आने-जाने और आवश्यक वस्तुओं को प्राप्त करने के मौलिक अधिकारों का अतिक्रमण नहीं करना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि विरोध प्रदर्शन के अधिकार का मतलब पूरे शहर को अवरुद्ध कर देना नहीं हो सकता है। प्रदर्शनकारी किसानों के नेताओं ने न्यायालय की इस टिप्पणी का स्वागत किया है कि अहिंसक प्रदर्शन करना किसानों का अधिकार है।

किसान नेताओं ने कहा कि आंदोलन को किसी ठोस समाधान तक पहुंचाने तक यह प्रदर्शन जारी रहेगा। समिति गठित करने के न्यायालय के सुझाव के बारे में किसान संगठनों के नेताओं ने कहा कि वे इसके तकनीकी पहलुओं का पता लगाने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ताओं से सलाह लेंगे, जिनमें कोलिन गोंजाल्वेस, दुष्यंत दवे और प्रशांत भूषण भी शामिल हैं।

किसानों के भ्रम दूर करने को लेकर चौपाल लगाने और संवाददाता सम्मेलन करने के आदेश दिए

राष्ट्रीय किसान मजदूर सभा के नेता अभिमन्यु ने कहा, ‘‘हम वरिष्ठ अधिवक्ताओं, कोलिन गोंजाल्वेस, दुष्यंत दवे, एचएस फुल्का और प्रशांत भूषण से कल मिलेंगे और उनसे इस बारे में परामर्श करेंगे कि क्या किया जा सकता है।’’

भारतीय किसान यूनियन के वरिष्ठ नेता धर्मपाल मलिक ने कहा कि केंद्र को पहले यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वह विवादास्पद कृषि कानूनों को स्थगित रखना चाहता है या नहीं। किसानों के आंदोलन पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को केंद्रीय मंत्रियों नरेन्द्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल और निर्मला सीतारमण से चर्चा की।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक शाह ने इस बैठक में पार्टी की ओर से कृषि कानूनों को लेकर किसानों के भ्रम दूर करने को लेकर चौपाल लगाने और संवाददाता सम्मेलन करने संबंधी कार्यक्रमों की समीक्षा की।  

(एजेंसी इनपुट)

 

Web Title: Farmer Movement: Court said- Modi government should stop the implementation of all the three laws, Tomar wrote an open letter to the farmers.

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