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किसान नेता राकेश टिकैत को झटका, भाकियू सहारनपुर संभाग के अध्यक्ष राजू अहलावत बीजेपी में शामिल

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 10, 2021 19:39 IST

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) उन 32 संगठनों में से एक है जो केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहा है।

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ठळक मुद्देरविवार को भाकियू से इस्तीफा देने के बाद अहलावत ने भाजपा का दामन थाम लिया। स्वतंत्र देव सिंह की उपस्थिति में भगवा पार्टी की सदस्यता ली।

मुजफ्फरनगरः उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए अगले साल की शुरुआत में होने वाले चुनाव से पहले भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के सहारनपुर संभाग अध्यक्ष राजू अहलावत भाजपा में शामिल हो गये हैं।

रविवार को भाकियू से इस्तीफा देने के बाद अहलावत ने भाजपा का दामन थाम लिया। उन्होंने लखनऊ में उत्तर प्रदेश इकाई के भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की उपस्थिति में भगवा पार्टी की सदस्यता ली। भाकियू उन 32 संगठनों में से एक है जो केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहा है।

किसानों के विरोध का समाधान बातचीत से ही निकलेगा: राकेश टिकैत

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध का समाधान बातचीत से ही हो सकता है, अदालतों में नहीं। टिकैत ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के बैनर तले 10 महीने से जारी प्रदर्शन ‘रोटी’ को बाजार की वस्तु बनने और कृषि क्षेत्र के निजीकरण के प्रयास को रोकने के लिए है।

टिकैत ने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि इस विरोध का अंत क्या होने वाला है लेकिन आंदोलन शुरू हो गया है और खेती से जुड़े मुद्दों पर अक्सर चर्चा से दूर रहने वाले देश के युवा भी इसमें शामिल हो रहे हैं।’’ आंदोलन के भविष्य से जुड़े एक सवाल पर भाकियू नेता ने कहा, ‘‘केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जारी विरोध का समाधान केवल बातचीत के माध्यम से निकल सकता है, न कि अदालतों में।’’

उन्होंने कहा कि किसानों का आंदोलन तीन कानूनों, कृषि क्षेत्र के निजीकरण के खिलाफ और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी दिए जाने की मांग को लेकर है। एक प्रमुख बहुराष्ट्रीय ‘फास्ट फूड चेन’ का जिक्र करते हुए टिकैत ने दावा किया, ‘‘जब ये स्टोर दिन के अंत में अपना काम बंद कर देते हैं तो उनके पास बहुत सारा बिना बिका भोजन होता है जो कूड़ेदान में जाता है। उनकी दुकानों के बाहर भूखे कर्मचारी या गरीब लोग हो सकते हैं, लेकिन बिना बिका खाना कूड़ेदान में ही जाता है।’’

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए टिकैत ने आरोप लगाया कि सरकार ने अब ‘‘कई संस्थाओं’’ पर ‘‘अवैध रूप से’’ कब्जा कर लिया है, जिसे अब देश भी समझ गया है। इससे पहले, सत्र में भाजपा विधायक और असम विधानसभा के उपाध्यक्ष डॉ नुमाल मोमिन ने कहा कि नए कानूनों का उद्देश्य कृषि क्षेत्र में बिचौलियों को रोकना और किसानों तथा उपभोक्ताओं दोनों को लाभान्वित करना है। 

टॅग्स :किसान आंदोलनराकेश टिकैतBJPउत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव
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