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राकेश टिकैत फंडिंग के ऊपर काम करते हैं, ये ऐसे नहीं हटेंगे, इन्हें..; किसान नेता भानु प्रताप ने लगाए आरोप

By अनिल शर्मा | Updated: December 6, 2021 08:30 IST

राकेश टिकैत पर हमला बोलते हुए भानु प्रताप सिंह ने कहा कि कांग्रेस की फंडिंग से ये आंदोलन चल रहा है। कानून वापस ले लिए गए हैं फिर भी ये बॉर्डर खाली नहीं करेंगे। ये ऐसे नहीं बलपूर्वक हटेंगे।

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ठळक मुद्देटिकैत पर हमला बोलते हुए सिंह ने कहा कि कांग्रेस की फंडिंग से ये आंदोलन चल रहा हैभानु प्रताप सिंह ने कहा कि कानून वापस ले लिए गए हैं फिर भी ये बॉर्डर खाली नहीं करेंगे

नई दिल्लीः भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने राकेश टिकैत पर फंडिंग लेकर काम करने का आरोप लगाया है। भानु प्रताप ने कहा कि राकेश टिकैत फंडिंग के ऊपर काम करते हैं।

टिकैत पर हमला बोलते हुए सिंह ने कहा कि कांग्रेस की फंडिंग से ये आंदोलन चल रहा है। कानून वापस ले लिए गए हैं फिर भी ये बॉर्डर खाली नहीं करेंगे। ये ऐसे नहीं बलपूर्वक हटेंगे।

पीएम मोदी ने तीनों कृषि कानून को वापस लेने का फैसला किया था जिसके बाद टिकैत ने कहा था कि इन तीनों कानूनों को पहले सरकार संसद में रद्द करे उसके बाद आंदोलन के वापस लेने पर फैसला किया जाएगा। मोदी सरकार संसद के शीत कालीन सत्र में किसानों से जुड़े तीनों कानून वापस ले चुकी है। हालंकि किसान आंदोलन को जारी रखे हैं। राकेश टिकैत ने आंदोलन के दौरान 700 किसानों की मौत पर जवाब और उनके मुआवजे की बात कही है। और एमएसपी पर भी गारंटी चाहते हैं। 

वहीं भानु प्रताप के आरोपों पर यूजर्स की मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली। एक ने कहा कि इसको ये पता होना चाहिए कि सारी पार्टियां कितना चंदा लेती है। किसान आन्दोलन को बदनाम , अस्त व्यस्त करने के अलावा  तेरा क्या रोल रहा है। सबसे पहले कायर  भागने वाला भगोड़ा ये ही हैं। एक अन्य ने लिखा- बड़ा दुःख हो रहा कि कानून वापस हो गये.... सबसे पहले आप ही थे जो भागे थे.... ज़रो लखीमपुर_खीरी के दोषियों के लिए मांगे फांसी कि सज़ा... पर कैसे मांगे आखिर फ़डिंग का सवाल है सही बोला हमने...।

एक अन्य ने लिखा, काहे का किसान आंदोलन ! कृषि कानून वापसी करा कर इन्होंने किसानों के पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है और किसानों के ही मसीहा बन रहे हैं। राकेश टिकैत जैसा आदमी कोई नहीं हो सकता। यह कानून किसानों के लिए बहुत अच्छे थे लागू होने चाहिए थे। अगर कुछ कमी थी, तो बाद में दूर हो सकती थी

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