समान नागरिक संहिता पर बोले असम के मुख्यमंत्री- कोई भी मुस्लिम महिला नहीं चाहती उसका पति 3 पत्नियों को घर लाए

By रुस्तम राणा | Published: April 30, 2022 08:53 PM2022-04-30T20:53:26+5:302022-04-30T20:59:20+5:30

सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, उन्होंने कहा, यूसीसी मेरा मुद्दा नहीं है, यह सभी मुस्लिम महिलाओं का मुद्दा है। अगर उन्हें तीन तलाक को खत्म करने के बाद इंसाफ देना है तो समान नागरिक संहिता लाना होगा।

Everybody wants UCC No Muslim woman wants her husband to bring home 3 other wives says Assam CM HB Sarma | समान नागरिक संहिता पर बोले असम के मुख्यमंत्री- कोई भी मुस्लिम महिला नहीं चाहती उसका पति 3 पत्नियों को घर लाए

समान नागरिक संहिता पर बोले असम के मुख्यमंत्री- कोई भी मुस्लिम महिला नहीं चाहती उसका पति 3 पत्नियों को घर लाए

Highlightsअसम के सीएम ने यूसीसी को बताया मुस्लिम महिलाओं का मुद्दाकहा- ट्रिपल तलाक को खत्म करने के लिए लाना होगा यूसीसी

नई दिल्ली: समान नागरिक संहिता को देशभर में बहस जारी है। इस बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस मुद्दे पर अपना बयान दिया है। असम सीएम ने कहा है कि हर कोई समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) चाहता है। कोई भी मुस्लिम महिला नहीं चाहती कि उसका पति 3 अन्य पत्नियों को घर लाए। उन्होंने कहा, यूसीसी मेरा मुद्दा नहीं है, यह सभी मुस्लिम महिलाओं का मुद्दा है। अगर उन्हें तीन तलाक को खत्म करने के बाद इंसाफ देना है तो समान नागरिक संहिता लाना होगा। 

दरअसल, भारतीय जनता पार्टी शुरू से ही धारा 370, राम मंदिर और समान नागरिक संहिता को लेकर चुनाव में जनता से वायदे करती रही है। इनमें से दो मुद्दे तो लगभग पूरे हो चुके हैं। अब तीसरे मुद्दे यूनिफॉर्म सिविल कोड की बारी है। ऐसे में गृहमंत्री अमित शाह यह संकेत दे चुके हैं की बीजेपी शासित राज्यों में इसे लागू किया जाएगा।  

उत्तराखंड में तो चुनाव से पहले सीएम पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा पत्र में कहा था कि अबकी बार बीजेपी की सरकार आने पर राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू किया जाएगा। धामी सरकार इस पर कटिबद्ध है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने भी इसे अपने यहां लागू करने पर सहमति जताई है। हाल ही में सीएम जय राम ठाकुर ने कहा था कि समान नागरिक संहिता को एक ''अच्छा कदम'' है। राज्य सरकार इस अवधारणा की समीक्षा कर रही है और इसे लागू करने के लिये तैयार है।

समान नागरिक संहिता भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून है। फिर चाहें वह व्यक्ति किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। समान नागरिक संहिता कानून में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा। समान नागरिक संहिता कानून एक पंथ निरपेक्षता कानून होगा जो सभी धर्मों के लिए समान रूप से लागू होगा।

फिलहाल भारत में मुस्लिम, इसाई, और पारसी का पर्सनल लॉ लागू है। हिंदू सिविल लॉ के तहत हिंदू, सिख और जैन आते हैं। संविधान में समान नागरिक संहिता कानून अनुच्छेद 44 के तहत राज्य की जिम्मेदारी बताया गया है। लेकिन ये आज तक देश में लागू नहीं हो सका है और इस पर काफी वक्त से बहस चल रही है।

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