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अफगानिस्तान में होने वाले घटनाक्रमों के बेहद महत्वपूर्ण परिणाम होंगे : जयशंकर

By भाषा | Updated: October 1, 2021 17:49 IST

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नयी दिल्ली, एक अक्टूबर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि पिछले वर्ष अमेरिका और तालिबान के बीच हुए दोहा समझौते के विभिन्न आयामों को लेकर भारत को विश्वास में नहीं लिया गया और अफगानिस्तान के हाल के घटनाक्रम के इस क्षेत्र और उससे आगे ‘‘बेहद महत्वपूर्ण परिणाम’ होंगे।

विदेश मंत्री ने कहा कि इस समय भारत के लिए प्रमुख चिंताओं में यह शामिल है कि क्या अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार होगी और उस देश की जमीन का इस्तेमाल किसी दूसरे देश या बाकी दुनिया के खिलाफ आतंकवाद के लिये नहीं किया जाए।

अमेरिका-भारत सामरिक गठजोड़ मंच (यूएसआईएसपीएफ) के वार्षिक नेतृत्व शिखर सम्मेलन को बृहस्पतिवार को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत, काबुल में नयी व्यवस्था को मान्यता देने को लेकर चर्चा करने की जल्दबाजी में नहीं है।

अमेरिका के पूर्व राजदूत फ्रैंक बाइजनर के साथ संवाद सत्र के दौरान विदेश मंत्री ने कहा कि भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की हिस्सेदारी वाला क्वॉड गठबंधन किसी देश के खिलाफ नहीं है और इसे किसी तरह की गुटबंदी और नकारात्मक पहल के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए ।

उन्होंने कहा, ‘‘ मैं समझता हूं कि कुछ हद तक हम सभी की चिंता उचित है और जब मैं चिंता के स्तर की बात करता हूं तब आप जानते हैं कि दोहा में तालिबान की ओर से कुछ प्रतिबद्धताएं व्यक्त की गई थीं और अमेरिका को इसके बारे में ज्यादा पता है, हमें इसके विभिन्न आयामों के बारे में विश्वास में नहीं लिया गया ।’’

जयशंकर ने कहा, ‘‘ इसलिये दोहा में जो कुछ समझौता हुआ, उसके बारे में मोटे तौर पर समझ है। लेकिन इसके आगे क्या हमें समावेशी सरकार देखने को मिलेगी ? क्या हम महिलाओं, बच्चों, अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान देखने जा रहे हैं ? ’’

उन्होंने कहा, ‘‘ इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह देखने वाली होगी कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी दूसरे देश और दुनिया के अन्य क्षेत्र के खिलाफ आतंकवाद के लिये नहीं हो। मैं समझता हूं कि ये हमारी चिंताएं हैं । ’’

गौरतलब है कि पिछले वर्ष फरवरी में अमेरिका और तालिबान के बीच दोहा समझौते पर हस्ताक्षर किये गये थे जिसमें अमेरिका ने वादा किया था कि वह अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुला लेगा, दूसरी ओर तालिबान ने हिंसा समाप्त करने सहित कई शर्तो को लेकर प्रतिबद्धता व्यक्त की थी ।

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘अफगानिस्तान में जो कुछ हुआ, उसके हम सभी के लिये बेहद महत्वपूर्ण परिणाम होंगे और हम तो इस क्षेत्र के काफी करीब हैं। उन्होंने कहा कि इसके महत्वपूर्ण बिन्दुओं का उल्लेख संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अगस्त के प्रस्ताव में हैं और इन सवालों से कैसे निपटा जायेगा, यह प्रश्न अभी भी बना हुआ है।’’

एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम से संबंधित कई मुद्दों पर भारत और अमेरिका की सोच एक समान है, जिसमें आतंकवाद के लिए अफगान भूमि के संभावित उपयोग को लेकर चिंताएं भी शामिल हैं।

जयशंकर ने यह भी कहा कि कई ऐसे पहलू हैं, जिनपर दोनों के विचार समान नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि तालिबान शासन को मान्यता देने संबंधी किसी भी प्रश्न का निदान दोहा समझौते में समूह द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के आधार पर किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, “ऐसे मुद्दे होंगे जिन पर हम अधिक सहमत होंगे, ऐसे मुद्दे भी होंगे जिन पर हम कम सहमत होंगे। हमारे अनुभव कुछ मामलों में आपसे (अमेरिका से) अलग हैं। हम उस क्षेत्र में सीमा पार आतंकवाद से पीड़ित हैं और इसने कई तरह से अफगानिस्तान के कुछ पड़ोसियों के बारे में हमारा दृष्टिकोण तय किया है।’’

विदेश मंत्री ने कहा कि अब अमेरिका इस विचार को कितना मानता है, यह उसे तय करना है।

जयशंकर ने कहा, “मुझे लगता है कि हम इनमें से कई मुद्दों पर सैद्धांतिक स्तर पर समान सोच रखते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ अफगानिस्तान की भूमि का आतंकवाद के लिए उपयोग हम दोनों को बहुत दृढ़ता से महसूस होता है और जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति जो बाइडन से मुलाकात की थी तो इस पर चर्चा की गई थी।’’

चीन और क्वॉड के बारे एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि चार देशों का यह गठबंधन किसी के खिलाफ नहीं है, हमें नकारात्मक चर्चा करने की बजाए सकारात्मक सोच रखनी चाहिए ।

उन्होंने कहा, ‘‘कई तरह से द्विपक्षीय विकल्प है और इसके बारे में हम सभी को विचार करना है तथा हममें से सभी के चीन के साथ व्यापक संबंध है। कई तरह से चीन आज प्रमुख देश है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ ऐसे में हमारी समस्या या हमारे अवसर वैसे नहीं हो सकते हैं जैसे अमेरिका या ऑस्ट्रेलिया, जापान या इंडोनेशिया या फ्रांस के होंगे।’’

जयशंकर ने कहा कि ये हर देश के लिये अलग-अलग होंगे और चीन के विकास का अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पर बुनियादी प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे में अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में हमें अपने हितों के अनुरूप मूल्यांकन करना है और प्रतिक्रिया देनी हैं।’’

भू राजनीति मुद्दों के बारे में चर्चा करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि वे अमेरिका के रूख में बड़ा बदलाव देख रहे हैं क्योंकि उसने अन्य सहयोगियों के साथ काम करने की वृहद इच्छा दिखाई है और यह जरूरी नहीं है कि अमेरिका की ओर से तय शर्त पर हो ।

उन्होंने कहा, ‘‘ मैं समझता हूं कि अमेरिका गठबंधन और संधियों पर आधारित संबंधों के दौर से आगे बढ़ा है। यह अधिक लचीला है । मैं समझता हूं कि अमेरिकी नीति निर्माताओं ने सामंजस्य बनाना शुरू किया है और आप क्वॉड जैसी व्यवस्था में इसे पायेंगे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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