महामारी के बीच बिहार में चुनाव की चुनौती में सफल रहा निर्वाचन आयोग : मुख्य निर्वाचन आयुक्त अरोड़ा

By भाषा | Updated: December 28, 2020 16:45 IST2020-12-28T16:45:36+5:302020-12-28T16:45:36+5:30

Election Commission successful in Bihar's election challenge amid epidemic: Chief Election Commissioner Arora | महामारी के बीच बिहार में चुनाव की चुनौती में सफल रहा निर्वाचन आयोग : मुख्य निर्वाचन आयुक्त अरोड़ा

महामारी के बीच बिहार में चुनाव की चुनौती में सफल रहा निर्वाचन आयोग : मुख्य निर्वाचन आयुक्त अरोड़ा

(नीलेश भगत)

नयी दिल्ली, 28 दिसंबर इस गुजरते साल में कोविड-19 महामारी की चुनौतियों से निर्वाचन आयोग भी अछूता नहीं रहा। यही वजह है कि मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा 2020 में महामारी के बीच बिहार विधानसभा चुनावों को सफलतापूर्वक संपन्न कराने के बड़ी उपलब्धि करार देते हैं।

उन्होंने कहा कि अब अगले साल के कार्यक्रम के मुताबिक राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में चुनाव कराने की तैयारी की जा रही है।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) ने बताया कि बिहार चुनाव में करीब 7.3 करोड़ मतदाता थे जिनके लिये 1.06 लाख मतदान केंद्र बनाए गए थे।

अरोड़ा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “हम कोविड-सुरक्षित चुनाव कराने में सफल रहे और इस दौरान करीब 57.34 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया, जो 2015 में हुए चुनाव के 56.8 प्रतिशत मतदान से ज्यादा था।”

उन्होंने कहा कि इन चुनावों में महिला मतदाताओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और पुरुषों के मुकाबले मतदान केंद्रों पर उनकी संख्या ज्यादा थी।

उन्होंने कहा कि 80 साल से ज्यादा की उम्र वाले और दिव्यांग मतदाताओं के लिये डाक-मत की व्यवस्था की गई थी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा भी निर्वाचन आयोग ने राज्यसभा की सीटों और विभिन्न राज्यों में विधानसभा की करीब 60 सीटों पर उपचुनाव भी सफलतापूर्वक संपन्न कराए।

अरोड़ा ने कहा, “यह सबकुछ लाखों अधिकारियों, सुरक्षाकर्मियों, नागरिक संस्थाओं और व्यक्तियों के साथ ही राजनीतिक दलों समेत सभी पक्षकारों और विशेष रूप से मतदाताओं के उत्साह, प्रतिबद्धता और समर्पण से संभव हो पाया।”

तय कार्यक्रम के मुताबिक चुनाव कराने के फैसले के संदर्भ में सीईसी ने कहा, “जैसा कि मैंने पहले उल्लेख किया, यह आयोग के लिये पूरे भरोसे के साथ उठाया गया कदम था, न कि बिना सोचेविचारे उठाया गया कदम।”

कुछ राजनीतिक दलों ने पूर्व में आयोग से अनुरोध किया था कि महामारी के दौरान चुनाव न कराएं।

बिहार विधानसभा चुनाव महामारी के दौरान होने वाले पहले पूर्ण चुनाव थे। उन्होंने कहा कि सात करोड़ से ज्यादा मतदाताओं में से चार करोड़ से ज्यादा मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। दूरी के नियमों को सुनिश्चित करने के लिये निर्वाचन आयोग ने प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदाताओं की अधिकतम संख्या को 1200 से घटाकर 1000 तक कर दिया था, इसके कारण मतदान केंद्रों की संख्या बढ़ गई।

उन्होंने कहा कि इसी तरह अगले साल केरल, तमिलनाडु, असम और पुडुचेरी के साथ पश्चिम बंगाल में चुनाव होने हैं और यहां मतदान केंद्रों की संख्या करीब 28000 बढ़ जाएगी।

जिन अन्य राज्यों में चुनाव होने हैं, वहां के विवरण पर काम किया जा रहा है।

अगस्त में निर्वाचन आयोग ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान चुनाव कराने को लेकर विस्तृत दिशानिर्देश जारी किये थे।

चुनाव प्रचार जब अपने चरम पर था तब उसने यह देखते हुए राजनीतिक दलों को नोटिस जारी किया था कि कोविड संबंधी नियमों और स्वास्थ्य मानकों का पालन नहीं हो रहा है।

निर्वाचन आयोग और बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक कोविड-19 संबंधी नियमों के उल्लंघन पर विभिन्न रैलियों और नेताओं व उम्मीदवारों की बैठकों के “आयोजकों” के खिलाफ 156 मामले दर्ज किये गए।

एक अधिकारी ने बताया कि आयोजकों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया क्योंकि उन्होंने रैलियों या बैठकों के आयोजन की इजाजत मांगी थी जिनमें स्वास्थ्य संबंधी दिशानिर्देशों का पालन अनिवार्य था।

निर्वाचन आयोग ने तीन चरण में हुए चुनाव से पहले ही स्पष्ट किया था कि चुनाव के दौरान कोविड-19 दिशानिर्देशों का उल्लंघन दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के उल्लंघन के तौर पर देखा जाएगा।

बिहार चुनाव के दौरान करीब 160 टन जैवचिकित्सीय कचरा भी पैदा हुआ, जिसे समुचित तरीके से निस्तारण के लिये भेजा गया।

मतदाताओं, निर्वाचन कर्मियों व सुरक्षाकर्मियों के लिये निर्वाचन आयोग ने 18 लाख फेस शील्ड, 70 लाख फेस मास्क, 5.4 लाख एकल इस्तेमाल वाले रबर के दस्ताने तथा 7.21 करोड़ पॉलीथीन के दस्ताने मतदाताओं के लिये खरीदे थे जिससे वे ईवीएम के बटन इन्हें पहनकर दबाएं और दस्तखत करें।

इस साल चुनाव सुधारों से जुड़ा एक और रोचक घटनाक्रम हुआ।

उच्चतम न्यायालय के फरवरी के एक निर्देश के बाद निर्वाचन आयोग ने मार्च में राजनीतिक दलों से कहा कि वे इस बात को न्यायोचित ठहराएं कि उन्होंने क्यों आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिये चुना।

बिहार विधानसभा चुनाव ऐसे पहले पूर्ण चुनाव थे जहां पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों के बारे में ऐसे विवरण सार्वजनिक किये।

आयोग के मुताबिक हाल में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में खड़े हुए आपराधिक इतिहास वाले कुल 1,197 उम्मीदवारों में से मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों ने 467 उम्मीदवार उतारे थे।

इस बीच, आयोग ने सरकार को अब तक सेवारत मतदाताओं को उपलब्ध इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलट सिस्टम (ईटीपीबीएस) सुविधा को विदेशों में रह रहे अर्ह भारतीय मतदाताओं को उपलब्ध कराने का प्रस्ताव भेजा है।

आयोग ने कहा, “आयोग असम, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी के विधानसभा चुनावों में इस सुविधा को तकनीकी और प्रशासनिक रूप से लागू करने के लिये तैयार है।

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