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'चुनाव आयोग बिहार में गुप्त तरीके से एनआरसी लागू कर रहा है': राज्य में EC के द्वारा कराए जा रहे मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर विपक्ष

By एस पी सिन्हा | Updated: June 29, 2025 17:06 IST

इसी कड़ी में रविवार को राजद के विधायक और बिहार के पूर्व शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव ने इसे गरीब, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक मतदाताओं को मतदाता सूची से हटाने की साजिश करार दिया है। इसके साथ ही उन्होंने इसे लोकतंत्र पर हमला बताया है।

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पटना: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग द्वारा कराए जा मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान को लेकर विपक्षी दल लगातार हमलावर है। इसी कड़ी में रविवार को राजद के विधायक और बिहार के पूर्व शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव ने इसे गरीब, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक मतदाताओं को मतदाता सूची से हटाने की साजिश करार दिया है। इसके साथ ही उन्होंने इसे लोकतंत्र पर हमला बताया है।

जबकि एआईएमआईएम प्रमुख एवं सांसद असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि चुनाव आयोग बिहार में गुप्त तरीके से एनआरसी लागू कर रहा है। चंद्रशेखर यादव ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि कम समय में इतने बड़े पैमाने पर वेरिफिकेशन संभव नहीं है, जिससे लाखों लोग प्रभावित हो सकते हैं। एक जून तक सत्यापन पूरा हो जाने के बाद, उन्हें (संघ और भाजपा) अचानक गहन पुन: सत्यापन की आवश्यकता महसूस हुई। उन्हें एहसास हुआ कि उनकी घृणास्पद, सांप्रदायिक रणनीति अब समाज को धोखा नहीं दे रही है। 

उन्होंने आशंका जताई कि प्रदेश में एनआरसी की तर्ज पर ही काम किया जा सकता है। चंद्रशेखर यादव ने कहा कि इनका एक ही मकसद है कि गरीब मतदाता को मतदाता सूची से बाहर किया जाए। महाराष्ट्र और दिल्ली विधानसभा चुनाव में हम यह देख चुके हैं। 

संविधान के प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष और समाजवाद’ शब्द हटाने को लेकर चंद्रशेखर यादव ने कहा कि केंद्र सरकार रोजगार, देश के विकास या किसानों की बिगड़ती आर्थिक स्थिति के बारे में चिंतित नहीं दिखती है। 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था, लेकिन अब 2025 आ गया है और कुछ भी नहीं बदला है। धर्मनिरपेक्षता से बीजेपी के लोगों लोगों को दिक्कत है। संविधान में किसी भी प्रकार से छेड़छाड़ से हमारी पार्टी सहमत नहीं है। समाजवाद से क्या दिक्कत है? 

वहीं, असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मतदाता सूची में नाम दर्ज करवाने के लिए अब हर नागरिक को दस्तावेजो के जरिए साबित करना होगा कि वह कब और कहां पैदा हुए थे और साथ ही यह भी कि उनके माता-पिता कब और कहां पैदा हुए थे? 

ओवैसी का दावा है कि इस प्रक्रिया का परिणाम यह होगा कि बिहार के गरीबों की बड़ी संख्या को मतदाता सूची से बाहर कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि चुनाव के इतने करीब इस तरह की कार्रवाई शुरू करने से लोगों का निर्वाचन आयोग पर भरोसा कमजोर हो जाएगा। 

बता दें कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन(एनआरसी) एक रजिस्टर है, जिसमें भारत में रह रहे सभी वैध नागरिकों का रिकॉर्ड रखा जाएगा। इसका मकसद देश में अवैध रूप से बसे घुसपैठियों को बाहर निकालना है। साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में एनआरसी की शुरुआत असम में हुई थी। 

फिलहाल यह असम के अलावा किसी अन्य राज्य में लागू नहीं है। हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह यह साफ कर चुके हैं कि एनआरसी को पूरे भारत में लागू किया जाएगा। एनआरसी के तहत भारत का नागरिक साबित करने के लिए किसी व्यक्ति को यह साबित करना होगा कि उसके पूर्वज 24 मार्च 1971 से पहले भारत आ गए थे। 

उल्लेखनीय है कि संसद के दोनों सदनों से पास होने के बावजूद एनआरसी को पूरे देश में अभी तक लागू नहीं किया जा सका है, क्योंकि इसको लेकर काफी विरोध हुआ था। जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फिललहाल के लिए रोक लगा दी थी।

टॅग्स :बिहारअसदुद्दीन ओवैसीचुनाव आयोगएनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक पंजिका)
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