नई दिल्लीः निर्वाचन आयोग ने कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते मामले और इसके नए स्वरूप ओमीक्रोन को देखते हुए डिजिटल माध्यमों से चुनाव प्रचार पर जोर दिया। आयोग ने प्रत्यक्ष रैलियों और रोडशो पर रोक 22 जनवरी तक बढ़ा दी है।
साथ ही यह भी बताया कि सुरक्षा के मद्देनजर कोई भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार किसी भी तरह की रैली या जनसभा, रोड शो, पद यात्रा या साइकिल या बाइक रैली या फिर नुक्कड़ सभाओं जैसे आयोजन 22 जनवरी तक नहीं कर सकेगा। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में विधानसभा चुनाव 10 फरवरी से 7 मार्च के बीच होने हैं और मतगणना 10 मार्च को होगी।
आयोग चुनावी रैलियों, रोड शो और पद यात्राओं पर लगी पाबंदियों को लेकर शनिवार को चर्चा की। आठ जनवरी को पांच राज्यों के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करते हुए, निर्वाचन आयोग ने कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए इस तरह के कार्यक्रमों पर 22 जनवरी तक के लिये पाबंदी लगा दी।
इन चुनावों का बहुत राजनीतिक महत्व भी है क्योंकि जिन पांच राज्यों में चुनाव होने हैं उनमें से सिर्फ पंजाब को छोड़कर चार राज्यों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का शासन है। भाजपा ने इस बार कांग्रेस शासित पंजाब में भी जीत के लिए एड़ी चोटी को जोर लगा रखा है जबकि आम आदमी पार्टी भी वहां एक प्रमुख प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभर रही है।
नए साल के शुरुआती महीनों में होने वाले इन विधानसभा चुनावों के दौरान सभी पांच राज्यों की कुल 690 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा, जिसमें 18.34 करोड़ से अधिक लोग भागीदारी कर सकेंगे। इन 18.34 करोड़ मतदाताओं में से 8.55 करोड़ महिला मतदाता हैं। इसके लिए निर्वाचन आयोग द्वारा 2,15,368 मतदान केंद्र बनाए जाएंगे। कुल 690 निर्वाचन क्षेत्रों में से 133 सीटें अनुसूचित जातियों और 23 अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं।