चुनाव 2019: ‘रेड कॉरिडोर’ में चरमपंथ से लड़ते दो पड़ोसी राज्यों की कहानी

By भाषा | Updated: May 5, 2019 16:35 IST2019-05-05T16:35:20+5:302019-05-05T16:35:20+5:30

साल 2014 चुनावों के दौरान, माओवादियों ने झारखंड के दुमका में मतदानकर्मियों को लेकर जा रहे एक वाहन को बम से उड़ा दिया था। इसमें आठ लोगों की मौत हुई थी। बिहार में, लगभग इसी समय, माओवादी हमले में चार लोगों की मौत हुई थी जबकि 20 अन्य घायल हुए थे।

Election 2019: Story of two neighboring states fighting extremism in 'Red Corridor' | चुनाव 2019: ‘रेड कॉरिडोर’ में चरमपंथ से लड़ते दो पड़ोसी राज्यों की कहानी

बिहार सरकार के आंतरिक नोट के अनुसार, राज्य (11 करोड़ जनसंख्या) के 38 में से 26 जिलों ने बीते पांच वर्ष में किसी न किसी स्तर की नक्सल संबंधी हिंसा झेली है।

रेड कॉरिडोर का हिस्सा झारखंड और बिहार में नक्सलियों को उनके अड्डों से निकालने में पिछले चुनावों के विपरीत इस बार पुलिस और अर्द्धसैनिक बल के जवान अब तक काफी हद तक सफल रहे हैं लेकिन उनका मानना है कि इस समस्या से निपटने के लिए तैनात केन्द्रीय बलों की संख्या पर्याप्त नहीं है।

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि समस्या की विकटता देखते हुए इन राज्यों में समन्वित प्रयास ने सकारात्मक नतीजे दिये हैं क्योंकि माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में आम चुनावों के शुरुआती चरणों में मतदान किसी बड़ी घटना के बिना हुआ है। माओवादियों ने अन्य राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ और महाराष्ट्र में सुरक्षा बलों और चुनाव अधिकारियेां को निशाना बनाया।

बिहार और झारखंड में इस साल चुनाव अब तक तुलनात्मक रूप से शांतिपूर्ण रहा है। साल 2014 चुनावों के दौरान, माओवादियों ने झारखंड के दुमका में मतदानकर्मियों को लेकर जा रहे एक वाहन को बम से उड़ा दिया था। इसमें आठ लोगों की मौत हुई थी। बिहार में, लगभग इसी समय, माओवादी हमले में चार लोगों की मौत हुई थी जबकि 20 अन्य घायल हुए थे।

चुनाव आने से पहले, नवंबर 2000 में पृथक राज्य बने बिहार और झारखंड में चरमपंथ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के लिए चिंता का कारण बन जाता है। दोनों राज्यों के शीर्षस्तरीय आधिकारिक सूत्रों ने पीटीआई भाषा से बातचीत में कहा कि भाजपा नीत झारखंड में केन्द्रीय अर्द्धसैनिक बलों की 22 बटालियन जबकि बिहार में 9.5 बटालियन मौजूद हैं।

सूत्रों ने कहा कि चुनाव आयोग ने हर चरण के मतदान के लिए झारखंड को केन्द्रीय बलों की करीब 200 जबकि बिहार को करीब 150 कंपनियां दी गई हैं। बिहार सरकार के आंतरिक नोट के अनुसार, राज्य (11 करोड़ जनसंख्या) के 38 में से 26 जिलों ने बीते पांच वर्ष में किसी न किसी स्तर की नक्सल संबंधी हिंसा झेली है। इनमें से 16 वामपंथी चरमपंथ (एलडब्ल्यूई) क्षेत्रों के लिए सुरक्षा संबंधी खर्च योजना के तहत आते हैं।

पुलिस महानिरीक्षक (अभियान) आशीष बत्रा ने तीन करोड़ जनसंख्या वाले झारखंड के बारे में पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘झारखंड में नक्सल प्रभाव इतना है कि देश के कुल 90 चरमपंथ प्रभावित जिलों में से 19 झारखंड में आते हैं और देशभर के गंभीर रूप से प्रभावित 30 जिलों में से 13 झारखंड में आते हैं।’’ उन्होंने कहा कि लेकिन राज्य ने इस समस्या के खिलाफ असरदार तरीके से अभियान चलाया है। नतीजन, गंभीरता में काफी कमी आई है। अधिकारियों का अनुमान है कि झारखंड में करीब 500 माओवादी अब भी सक्रिय हैं। 

Web Title: Election 2019: Story of two neighboring states fighting extremism in 'Red Corridor'