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जम्मू-कश्मीरः 18 माह में अठारह भाजपा नेता की हत्या, आतंकियों के निशाने पर रहे हैं बीजेपी के कई बड़े नाम

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: August 18, 2021 16:39 IST

जावेद अहमद कुलगाम निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा का प्रभारी था। भाजपा नेताओं पर हमले कोई नया नहीं हैं।

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ठळक मुद्देजावेद ने अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। त्राल म्यूनिस्पल कमेटी के चेयरमैन राकेश पंडिता को शहीद कर दिया था। 29 मार्च 2021 को सोपोर में भाजपा से संबंधित दो काउंसलर आतंकी हमले में मारे गए थे।

जम्मूः कश्मीर में राजनीतिक हमेशा ही आतंकियों के निशाने पर रहे हैं पर नए ट्रेंड में भाजपा नेता अब आतंकियों की टाप लिस्ट में सबसे ऊपर हैं। पिछले 18 महीनों में करीब चार दर्जन हमलों में 18 से अधिक भाजपा नेता मारे भी जा चुके हैं।

अब हालत यह है कि सुरक्षाकर्मियों मुहैया करवाए जाने के बावजूद वे अपने घरों से दूर रातें काटने को मजबूर हैं क्योंकि उन्हें अपनी ही सुरक्षा व्यवस्था पर कतई विश्वास नहीं रहा है। कल भी एक भाजपा नेता पर आतंकी हमला हुआ था। जिसमें कुलगाम जिला के बराजलू बाजार में मंगलवार शाम को आतंकियों ने अचानक फायरिंग कर दी।

इस फायरिंग में दो नागरिक घायल हो गए। इनमें से एक की पहचान भाजपा नेता जावेद अहमद के रूप में हुई है। जावेद ने अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। जावेद कुलगाम निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा का प्रभारी था। भाजपा नेताओं पर हमले कोई नया नहीं हैं।

पिछले साल जनवरी से लेकर इस साल 17 अगस्त तक के आंकड़ों पर अगर एक नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि चार दर्जन से अधिक भाजपा नेताओं को आतंकियों ने निशाना बनाया और इसमें से आधे में वे कायमाब भी रहे। अर्थात 18 भाजपा नेता इस अवधि में मारे गए।

पिछले साल जुलाई में 5 भाजपा नेताओं की मौत के बाद तो प्रदेश भाजपा उस समय परेशान भी हो गई थी जब उसके कई नेताओं ने सोशल मीडिया पर ही अपने इस्तीफों की घोषणाओं की झड़ी लगा दी थी। हालांकि तब भाजपा ने अपने नेताओं केा सेफ हाउस में भी रखना आरंभ किया पर आतंकी हमले रुक नहीं पाए थे।

इससे पूर्व 2 जून 2021 को आतंकियों ने त्राल में भाजपा नेता और त्राल म्यूनिस्पल कमेटी के चेयरमैन राकेश पंडिता मारे गए थे। 29 मार्च 2021 को सोपोर में भाजपा से संबंधित दो काउंसलर आतंकी हमले में मारे गए थे।

इससे पूर्व 8 जुलाई 2020 को बांडीपोर में आतंकियों ने भाजपा नेता वसीम बारी को उनके पिता बशीर अहमद और भाई उमर सुल्तान संग उनके घर में ही मारे गए। वसीम के पिता और भाई भी भाजपा के कार्यकर्ता थे। इसके लगभग एक महीने बाद 9 अगस्त 2020 को बड़गाम के ओमपोरा में भाजपा नेता अब्दुल हमीद नजार आतंकी हमले में मारे गए।

बड़गाम में अब्दुल हमीद नजीर की हत्या से तीन दिन पहले 6 अगस्त को वेस्सु काजीगुंड में भाजपा से जुड़े एक सरपंच सज्जाद अहमद खांडे आतंकी हमले में मारे गए। इसके उपरांत 23 सितंबर 2020 को बड़गाम में भाजपा समर्थिक ब्लाक विकास परिषद चेयरमैन स भूपेंद्र सिंह को आतंकियों ने उनके घर के बाहर मारे गए।

29 अक्तूबर 2020 को कुलगाम में भाजपा के 3 कार्यकर्ता फिदा हुसैन यत्तु, उमर रशीद बेग और उमर रमजान हज्जाम को आतंकियों ने पहला अगवा किया और फिर तीनों मारे गए। आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल जुलाई और अगस्त की शुरूआत में डरे हुए करीब 4 दर्जन भाजपा नेताओं ने पार्टी से नाता तोड़ने की घोषणा की थी।

अब ताजा हमले में हुई एक भाजपा नेता की मौत के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को फिर से यह चिंता सताने लगी है कि उनके काडर में भय की लहर इस्तीफों के रूप में तब्दील हो सकती है जिसे रोकने की कोशिशें भी तेज हो चुकी हैं। हालत यह है कि सुरक्षा मुहैया करवाने के बावजूद कश्मीर में भाजपा नेता अपने घरों से दूर रहने को मजबूर हैं।

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