पदोन्नति के मामलों में व्यक्तियों के वर्गीकरण के लिए शैक्षिक योग्यता वाजिब आधार: न्यायालय

By भाषा | Updated: September 21, 2021 23:37 IST2021-09-21T23:37:09+5:302021-09-21T23:37:09+5:30

Educational qualification reasonable basis for classification of persons in promotion matters: Court | पदोन्नति के मामलों में व्यक्तियों के वर्गीकरण के लिए शैक्षिक योग्यता वाजिब आधार: न्यायालय

पदोन्नति के मामलों में व्यक्तियों के वर्गीकरण के लिए शैक्षिक योग्यता वाजिब आधार: न्यायालय

नयी दिल्ली, 21 सितंबर उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि शैक्षणिक योग्यता पदोन्नति के मामलों में एक ही वर्ग के व्यक्तियों के बीच वर्गीकरण के लिए एक वैध आधार है और यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन नहीं है।

न्यायालय ने कहा कि शैक्षिक योग्यता का उपयोग एक निश्चित वर्ग के व्यक्तियों की पदोन्नति के लिए कोटा शुरू करने में किया जा सकता है या दूसरों को अलग रखने के लिए, पदोन्नति को पूरी तरह से एक वर्ग तक सीमित रखने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि वर्गीकरण के मामलों में न्यायिक समीक्षा इस निर्धारण तक सीमित है कि क्या वर्गीकरण उचित है और अदालतें वर्गीकरण के आधार के मूल्यांकन या विधायिका की समझदारी में दखल देने में शामिल नहीं हो सकती।

शीर्ष अदालत ने कोलकाता नगर निगम (केएमसी) के तीन जुलाई 2012 के परिपत्र की वैधता को मंजूरी देने वाले कोलकाता उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा, जिसमें सहायक इंजीनियरों के रूप में नियुक्तियों के लिए डिप्लोमा और डिग्री धारक उप-सहायक इंजीनियर (एसएई) के लिए अलग-अलग शर्तें निर्धारित की गई थीं।

न्यायालय ने कहा कि केएमसी की अतिरिक्त पदों के लिए पदोन्नति की नीति ‘‘तर्कहीन या मनमानी’’ अथवा डिप्लोमा धारक एसएई के नुकसान के लिए नहीं है। पीठ ने कहा, ‘‘लोक नीति और सार्वजनिक रोजगार के मामलों में व्यक्तियों की गुणवत्ता तय करने को लेकर...विभिन्न पदों पर नियुक्ति में विधायिका या उसके प्रतिनिधि को पर्याप्त जगह दी जानी चाहिए। जब तक ये निर्णय मनमाना नहीं हैं तब तक इस न्यायालय को नीति क्षेत्र में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए।’’

शीर्ष अदालत के पूर्व के फैसलों का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा, ‘‘आम तौर पर शैक्षिक योग्यता पदोन्नति के मामलों में एक ही वर्ग के व्यक्तियों के बीच वर्गीकरण के लिए एक वैध आधार है और संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन नहीं है।’’

पीठ ने यह भी कहा कि व्यक्तियों के बीच वर्गीकरण से कृत्रिम असमानताएं उत्पन्न नहीं होनी चाहिए। वर्गीकरण को उचित आधार पर स्थापित किया जाना चाहिए और अनुच्छेद 14 तथा 16 के उद्देश्य से संबंधित होना चाहिए।

पीठ ने 1974 के त्रिलोकीनाथ खोसा मामले का हवाला देते हुए कहा जिस वर्गीकरण को बरकरार रखा गया था, वह शैक्षिक योग्यता पर आधारित था जो संगठन में प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से जुड़ा हुआ है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि किसी भी मामले में यह तय करना इस न्यायालय के दायरे में नहीं है कि क्या उच्च शैक्षणिक योग्यता प्रबंधन के उद्देश्यों को पूरा करेगी, जब तक कि शैक्षिक योग्यता और उच्च दक्षता की आवश्यकता के बीच का संबंध बेतुका, तर्कहीन या मनमाना न हो।

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Web Title: Educational qualification reasonable basis for classification of persons in promotion matters: Court

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