शहीद दिवस से एक दिन पहले मोदी सरकार ने शहीदों के परिवार को दी बड़ी राहत

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: March 22, 2018 03:58 PM2018-03-22T15:58:09+5:302018-03-22T17:33:50+5:30

सरकार द्वारा यह स्कीम तीनों सेनाओं के लिए चलाई जा रही है। 1971 में भारत और पाकिस्तान की बीच हुई लड़ाई के बाद से ही यह स्कीम लागू है।

Educational concession to children of armed forces personnel to continue without cap | शहीद दिवस से एक दिन पहले मोदी सरकार ने शहीदों के परिवार को दी बड़ी राहत

Modi Government gave a big relief to the martyrs' families a day before the Shaheed Diwas

नई दिल्ली, 22 मार्चः देश की मोदी सरकार ने शहीद दिवस के ठीक एक दिन पहले शहीदों के परिवारों को बड़ी राहत दी है। दरअसल, रक्षा मंत्रालय ने शहीद, विकलांग, लापता अफसरों और जवानों के बच्चों की शिक्षा के लिए ट्यूशन और हॉस्टल फीस के भुगतान में तय की गई सीमा को समाप्त कर दिया है। इससे पहले 10000 रुपए ट्यूशन और हॉस्टल फीस प्रतिमाह सीमित थी।


1971 में हुई थी इस योजना की शुरुआत

आपको बता दें कि सरकार द्वारा यह स्कीम तीनों सेनाओं के लिए चलाई जा रही है। 1971 में भारत और पाकिस्तान की बीच हुई लड़ाई के बाद से ही यह स्कीम लागू है। पहले इसमें ट्यूशन और अन्य फीस का पूरा खर्च दिया जाता था, लेकिन बाद में इसे 10 रुपए सीमित कर दिए गए थे। जिसका काफी विरोध किया गया। इस मामले को लेकर सैनिक और पूर्व सैनिक दुख जता चुके हैं, जिसके बाद रक्षा मंत्रालय ने अपने आदेश को वापस लिया और अधिकारी रैंक से नीचे के शहीदों के बच्चों का पूरा शैक्षिक खर्च उठाने का फैसला किया। 

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क्यों मनाया जाता है शहीद दिवस

गौरतलब है कि भारत में 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है। इस दिन 1931 की रात भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की देश-भक्ति को अपराध की संज्ञा देकर अंग्रेजों ने फांसी दे दी थी। ऐसा कहा जाता है कि तीनों वीर सपूतों को फांसी की सजा दिए जाने  के बाद लोगों में जनाक्रोश फैल गया था, जिसको देखते हुए अंग्रेजों ने उन्हें आधी रात को ही उन्हें फांसी दे दी थी। इतना ही नहीं अंग्रेजी सरकार ने रात के अंधेरे में ही सतलुज नदी में इनका अंतिम संस्कार भी कर दिया था। 

Web Title: Educational concession to children of armed forces personnel to continue without cap

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