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Earthquake in Bihar: बिहार में सुबह-सुबह भूकंप के झटके से हिली धरती, पटना समेत कई शहरों में महसूस किए गए कंपन

By अंजली चौहान | Updated: January 7, 2025 07:52 IST

Earthquake in Bihar: पटना समेत बिहार के कई जिलों में महसूस किए गए भूकंप के झटके

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Earthquake in Bihar: मंगलवार, 7 जनवरी की सुबह-सुबह बिहार में लोगों ने भूकंप के तेज झटकों को महसूस किया। बिहार की राजधानी पटना समेत कई शहरों में धरती हिली जिसके बाद लोग अपने घरों से बाहर निकलते दिखे।गौरतलब है कि आज सुबह 06:35:16 बजे नेपाल के लोबुचे से 93 किलोमीटर उत्तर पूर्व में रिक्टर स्केल पर 7.1 तीव्रता का भूकंप आया, जिसकी आहट बिहार तक महसूस की गई। 

गौरतलब है कि पटना के अलावा सहरसा, सीतामढ़ी, मधुबनी और आरा समेत कई अन्य जिलों में भूकंप के झटके महसूस किए गए।

नेपाल में भूकंप का केंद्र 

भूकंप का केंद्र नेपाल में 10 किलोमीटर की गहराई पर था। रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 7.1 मापी गई। 7 से अधिक तीव्रता वाले भूकंप से इमारतों की नींव में दरारें और संभावित ढहने सहित गंभीर संरचनात्मक क्षति हो सकती है। सौभाग्य से, रिपोर्टिंग के समय तक, कोई बड़ी घटना की सूचना नहीं मिली है। हालांकि, भूकंप के झटकों ने लोगों को चिंतित और चिंतित महसूस कराया है।यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के अनुसार, आज सुबह 06:35:16 बजे नेपाल-तिब्बत सीमा के पास लोबुचे से 93 किमी उत्तर पूर्व में रिक्टर स्केल पर 7.1 की तीव्रता वाला भूकंप आया।

सौभाग्य से, अभी तक किसी नुकसान की कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई है।

इसके अलावा, आज सुबह करीब 6:35 बजे पश्चिम बंगाल के विभिन्न इलाकों में भी भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। दक्षिण बंगाल की तुलना में उत्तर बंगाल में भूकंप के झटके ज्यादा महसूस किए गए।

भारत, चीन, बांग्लादेश, भूटान और नेपाल समेत पांच देशों में भूकंप के झटके महसूस किए गए।

क्यों आते हैं भूकंप

पिछले कुछ समय से भारत समेत दुनियाभर में भूकंप की घटनाओं में काफी बढ़ोतरी हुई है। पृथ्वी सात टेक्टोनिक प्लेटों से बनी है। ये प्लेटें लगातार अपनी जगह पर घूमती रहती हैं। हालांकि, कभी-कभी इनके बीच टकराव या घर्षण होता है। यही वजह है कि हमें भूकंप का अनुभव होता है।

नेपाल में भूकंप का खतरा क्यों है?

नेपाल भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के टकराव वाले क्षेत्र में स्थित है, जो हिमालय के उत्थान को बढ़ावा देता है। मेन हिमालयन थ्रस्ट जैसी सक्रिय फॉल्ट लाइनें अत्यधिक तनाव जमा करती हैं, जिससे अक्सर उथले भूकंप आते हैं।

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