डीआरडीओ ने नयी आकाश मिसाइल और एमपीएटीजीएम का सफल परीक्षण किया

By भाषा | Published: July 21, 2021 10:41 PM2021-07-21T22:41:48+5:302021-07-21T22:41:48+5:30

DRDO successfully test-fires new Akash missile and MPATGM | डीआरडीओ ने नयी आकाश मिसाइल और एमपीएटीजीएम का सफल परीक्षण किया

डीआरडीओ ने नयी आकाश मिसाइल और एमपीएटीजीएम का सफल परीक्षण किया

नयी दिल्ली, 21 जुलाई रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ओडिशा के समेकित परीक्षण रेंज से जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली आकाश के नये संस्करण का बुधवार को सफल परीक्षण किया। यह सफल परीक्षण भारतीय वायुसेना की लड़ाकू क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित होगा।

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सभी प्रकार की हथियार प्रणाली से लैस मिसाइल का परीक्षण दोपहर करीब पौने एक (12:45) बजे जमीन आधारित मंच से किया गया और परीक्षण के दौरान मिसाइल की उड़ान से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर सभी हथियार प्रणाली के सफल, बिना किसी गड़बड़ी के काम करने की पुष्टि हुई है।

बयान में कहा गया है, ‘‘तैनात किए जाने पर आकाश-एनजी हथियार प्रणाली भारतीय वायुसेना की हवाई रक्षा क्षमता को कई गुना बढ़ाने वाली साबित होगी।’’

प्राप्त जानकारी के अनुसार, आकाश मिसाइल (आकाश एनजी) का नया संस्करण अपने पुराने संस्करण के मुकाबले कुछ बेहतर है और 25 किलोमीटर की दूरी पर भी निशाना लगा सकता है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ, भारतीय वायुसेना और विनिर्माण एजेंसियों भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) को मिसाइल के सफल परीक्षण के लिए बधाई दी।

डीआरडीओ ने आज ही स्वदेश में विकसित कम वजन वाले ऐसी टैंक रोधी गाइडेड मिसाइल का परीक्षण किया जिसे व्यक्ति के कंधे पर रख कर चलाया जा सकता है। इस सफल परीक्षण के साथ ही सेना द्वारा इसके निर्माण का रास्ता साफ हो गया है।

इस मिसाइल को भारतीय सेना की क्षमता बढ़ाने के लिहाज से विकसित किया गया है।

मंत्रालय ने कहा कि आकाश-एनजी मिसाइल का परीक्षण दोपहर करीब पौने एक (12:45) बजे जमीन आधारित मंच से किया गया। बयान के अनुसार, ‘‘डीआरडीओ ने ओडिशा तट पर स्थित समेकित परीक्षण केन्द्र से आकाश मिसाइल के नये संस्करण का 21 जुलाई को सफल परीक्षण किया।’’

बयान के अनुसार, ‘‘सफल परीक्षण दोपहर करीब पौने एक बजे (12:45) जमीन पर स्थित मंच से किया गया, इस दौरान मिसाइल बहुद्देशीय राडार, कमांड, कंट्रोल और संचार प्रणाली और लांचर आदि हथियार प्रणाली से जुड़े सभी तत्वों से लैस था।’’

आकाश मिसाइल को डीआरडीओ के हैदराबाद स्थित प्रयोगशाला ने अनुसंधान संगठन की अन्य शाखाओं के साथ मिलकर विकसित किया है।

मिसाइल की उड़ान से जुड़े आंकड़े रिकॉर्ड रखने के लिए आईटीआर ने कई निगरानी प्रणाली, जैसे एलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग प्रणाली, राडार और टेलीमेट्री का उपयोग किया।

मंत्रालय ने कहा, ‘‘प्रणालियों द्वारा एकत्र आंकड़ों/डेटा के आधार पर पूरी हथियार प्रणाली में कोई गड़बड़ी नहीं होने की पुष्टि हुई है।’’

बयान में कहा गया है, ‘‘तैनात किए जाने पर आकाश-एनजी हथियार प्रणाली भारतीय वायुसेना की हवाई रक्षा क्षमता को कई गुना बढ़ाने वाला साबित होगा।’’

डीआरडीओ के अध्यक्ष जी. सतीश रेड्डी ने मिसाइल के सफल परीक्षण के लिए उसमें शामिल टीम के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह मिसाइल भारतीय वायुसेना को मजबूती प्रदान करेगी।

पिछले साल दिसंबर में सरकार ने आकाश मिसाइलों के निर्यात की अनुमति दे दी थी और विभिन्न देशों को इसकी बिक्री के लिए उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया था।

इस समिति में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल शामिल हैं और इसका गठन स्वदेश में विकसित महत्वपूर्ण रक्षा उपकरणों के निर्यात की अनुमति देने के लिए किया गया है।

मैन पोर्टेबल टैंक रोधी मिसाइल के सफल परीक्षण पर रक्षा मंत्रालय ने इसे सरकार के ‘आत्मनिर्भर अभियान’ की दिशा में बड़ा कदम बताया।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए और भारतीय सेना को मजबूत करने के लक्ष्य से डीआरडीओ ने स्वदेश में विकसित कम वजन वाली, दागो और भूल जाओ, मैन पोर्टेबल टैंक रोधी गाइडेड मिसाइल (एमपीएटीजीएम) का 21 जुलाई को सफल परीक्षण किया।’’

बताया गया है कि मिसाइल को थर्मल साइट से जुड़े मैन-पोर्टेबल लांचर से दागा गया और निशाना एक टैंक जैसी वस्तु को बनाया गया।

मंत्रालय के बयान के अनुसार, ‘‘मिसाइल ने उसपर सीधे-सीधे सटीक निशाना लगाया और उसे नष्ट कर दिया। न्यूनतम दूरी तक हमले का सफल परीक्षण हुआ। मिशन के सभी लक्ष्य पूरे हुए।’’

बताया जा रहा है कि अधिकतम दूरी की मारक क्षमता के लिए मिसाइल का पहले ही सफल परीक्षण हो चुका है।

मंत्रालय ने कहा, ‘‘इस सफल परीक्षण के साथ ही स्वदेश में विकसित मैन-पोर्टेबल टैंक रोधी मिसाइल के तीसरे संस्करण का काम पूरा हो चुका।

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