आपराधिक कानूनों को बदलने के लिए मसौदा रिपोर्ट सोमावार को अपनाए जाने की संभावना, संसदीय समिति की होगी बैठक
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 5, 2023 05:24 PM2023-11-05T17:24:25+5:302023-11-05T17:25:32+5:30
गृह संबंधी स्थायी समिति 27 अक्टूबर को तीन मसौदा रिपोर्ट को नहीं अपना सकी, क्योंकि कुछ विपक्षी सदस्यों ने इसका अध्ययन करने के वास्ते अधिक समय देने के लिये दबाव डाला था।
नई दिल्ली: मौजूदा आपराधिक कानूनों को बदलने के लिए तीन विधेयकों की जांच कर रही एक संसदीय समिति मसौदा रिपोर्ट अपनाने के लिए सोमवार को बैठक करेगी। हाल ही में कुछ विपक्षी सदस्यों ने इनसे संबंधित उपायों पर अधिक विस्तार से विचार करने के लिए समिति के कार्यकाल को बढ़ाए जाने का अनुरोध किया था।
गृह संबंधी स्थायी समिति 27 अक्टूबर को तीन मसौदा रिपोर्ट को नहीं अपना सकी, क्योंकि कुछ विपक्षी सदस्यों ने इसका अध्ययन करने के वास्ते अधिक समय देने के लिये दबाव डाला था। कुछ विपक्षी सदस्यों ने समिति के अध्यक्ष बृज लाल से इसके कार्यकाल में तीन महीने का विस्तार मांगने और ‘अल्पकालिक चुनावी लाभ के लिए इन विधेयकों को नुकसान नहीं पहुंचाने’ का आग्रह किया था।
सूत्रों के मुताबिक, विपक्षी सदस्यों ने कहा कि एक मजबूत कानून बनाने के लिए समिति को अगले कुछ दिनों या नवंबर में अंतिम रिपोर्ट नहीं अपनानी चाहिए। विपक्षी सूत्रों के मुताबिक, एक विपक्षी सांसद ने एक पत्र में कहा था, ‘अगर हम ऐसा करते हैं, तो हम विधायी जांच की प्रक्रिया का मजाक उड़ाएंगे।’ हालांकि, भाजपा सूत्रों ने कहा कि समिति एक व्यापक परामर्श प्रक्रिया में जुटी है और तीन महीने की अपनी तय समय सीमा में प्रक्रिया पूरी करेगी। तीन मसौदों को अपनाने के लिए सदस्यों को भेजे गए एक नोटिस के अनुसार, समिति की बैठक अब छह नवंबर को होगी। सूत्रों ने कहा कि विपक्षी दलों के कुछ सदस्यों के विरोध के बावजूद समिति मसौदा रिपोर्ट अपना सकती है।
औपनिवेशिक युग के आपराधिक कानूनों में पूरी तरह से बदलाव की मांग करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 को बदलने के लिए तीन विधेयक पेश किए थे। सदन ने 11 अगस्त को पेश किए जाने के बाद विधेयकों को पड़ताल के लिए समिति के पास भेज दिया और तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा था। सूत्रों ने कहा है कि समिति तीन विधेयकों में कई संशोधनों की सिफारिश कर सकती है, लेकिन उनके हिंदी नामों पर अड़ी रहेगी, जिसका द्रमुक सहित विपक्षी सांसदों ने कड़ा विरोध किया है। उन्होंने प्रस्तावित कानूनों के लिए अंग्रेजी नाम की भी मांग की है।