नई दिल्ली: सरकारी स्वामित्व वाले प्रसारक प्रसार भारती ने दूरदर्शन के हिंदी समाचार चैनल का लोगो बदलकर लाल से 'भगवा' कर दिया है, जिसे लेकर विपक्ष और मीडिया विशेषज्ञों ने आरोप लगाया है कि प्रसार भारती ने सरकारी चैनल का 'भगवाकरण' कर दिया है। हालांकि सरकार की ओर से सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि लोगो के रंग परिवर्तन से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के साथ कोई जुड़ाव नहीं है।
समाचार वेबसाइट हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार प्रसारी भारती की ओरे से दूरदर्शन के ब्रांडिंग और लोगो के रंग में बदवाल को सामान्य बताया गया है। इस संबंध में प्रसार भारती के सीईओ गौरव द्विवेदी ने आलोचना को खारिज करते हुए कहा, “लोगो का रंग नारंगी है। छह से सात महीने पहले हमने जी20 से पहले डीडी इंडिया का लोगो उसी रंग में बदला था। उसी क्रम में दूरदर्शन के हिंदी समाचार चैनल ने भी उसी रंग को अपनाया है।”
उन्होंने कहा, "डीडी नेशनल का लोगो, जो अंग्रेजी और हिंदी में सामान्य मनोरंजन और समाचार कार्यक्रम प्रसारित करता है। उसको भी पिछले साल अपडेट कर भगवा और नीला कर दिया गया था। सिर्फ लोगो का रंग ही नहीं, हमने अपने उपकरण और स्टूडियो को भी दोबारा तैयार किया है।"
द्विवेदी ने कहा, “दशकों में लोगो के रंग कई बार बदले हैं और विभिन्न रंग संयोजनों की कोशिश की गई है। चैनल को अलग करने के लिए दृश्य सौंदर्यशास्त्र को ताज़ा करने की आवश्यकता है।”
निश्चित रूप से दूरदर्शन का पहला लोगो, जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा चुना गया था और पहली बार 1 अप्रैल, 1976 को पंडित रविशंकर और उस्ताद अली अहमद हुसैन खान द्वारा रचित थीम संगीत के साथ प्रसारित किया गया था। वह लोगो हरे बैकग्राउंड में नारंगी रंग का था।
द्विवेदी ने कहा कि हिंदुत्व और भाजपा के साथ रंग के जुड़ाव पर विचार नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “जहां तक हमारा सवाल है, यह बिल्कुल विचारणीय नहीं है। नारंगी, पीले और काले रंग का रिकॉल मूल्य सबसे अधिक है और यह वैज्ञानिक तथ्य है।''
जवाहर सरकार, जो 2012 से 2016 तक प्रसार भारती के सीईओ थे और वर्तमान में तृणमूल कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य हैं। उन्होंने लोगो के रंग परिवर्तन को "भगवाकरण" का दूसरा रूप बताया और कहा कि मोदी सरकार में प्रसार भारती अब "प्रचार भारती" में बदल गया है।
उन्होंने कहा, “यह स्पष्ट रूप से भगवाकरण है, जो केवल दूरदर्शन ही नहीं विभिन्न संस्थानों में हो रहा है। यदि आप नए संसद भवन में राज्यसभा में प्रवेश करते हैं, तो रंग और सौंदर्यशास्त्र ऐतिहासिक लाल से केसरिया में बदल दिया गया है। लोकसभा और राज्यसभा के आधे कर्मचारी अब भगवा बंदगला पहनते हैं, जो पहले स्टील ग्रे या नीला होता था। यह एक ऑप्टिकल है, जहां भाजपा को सरकार की ओर से पहचान दी जा रही है। यह अधिनायकवादी शासन का हिस्सा है।''