Dolo-650 लिखने के लिए डॉक्टरों को 1000 करोड़ के मुफ्त उपहार बांटे जाने के आरोप, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ये गंभीर मुद्दा

By विनीत कुमार | Published: August 19, 2022 07:51 AM2022-08-19T07:51:23+5:302022-08-19T08:11:06+5:30

डोलो टैबलेट बनाने वाली फार्मा कंपनी द्वारा बुखार के इलाज के लिए डोलो 650 मिग्रा का नुस्खा लिखने के लिए चिकित्सकों को 1000 करोड़ रुपये के मुफ्त उपहार बांटे जाने के आरोपों का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है।

Dolo 650 makers gave freebies worth Rs 1,000 crore to doctors for prescribing, Supreme Court says its serious issue | Dolo-650 लिखने के लिए डॉक्टरों को 1000 करोड़ के मुफ्त उपहार बांटे जाने के आरोप, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ये गंभीर मुद्दा

Dolo-650 का नुस्खा लिखने के लिए डॉक्टरों को 1000 करोड़ के मुफ्त उपहार बांटे जाने का आरोप (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: पैरासिटामोल दवा 'डोलो' बनाने वाली कंपनी ने डॉक्टरों पर उपहार के लिए 1000  करोड़ से अधिक रुपये खर्च किए। मे़डिकल रिप्रजेंटेटिव की एक बॉडी ने आरोप लगाते हुए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी। कोविड महामारी के दौरान 'डोलो' दवा बेहद लोकप्रिय हुई थी और खूब इस्तेमाल में लाई गई।

फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव असोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने पीठ से कहा, 'डोलो कंपनी द्वारा 650mg फॉर्मूलेशन के लिए 1000 करोड़ रुपये से अधिक मुफ्त उपहार दिए गए हैं। डॉक्टर एक तर्कहीन डोज कॉम्बिनेशनल लिख रहे थे।' उन्होंने अपनी जानकारी के स्रोत के रूप में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की एक रिपोर्ट का भी हवाला दिया।

'जब कोविड हुआ तो मैंने भी यही लिया था'

जस्टिस एएस बोपन्ना के साथ पीठ में शामिल और बेंच का नेतृत्व कर रहे डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान कहा, 'आप जो कह रहे हैं वह मेरे लिए संगीत की तरह नहीं है। यह (दवा) ठीक वही है जो मेरे पास कोविड के समय थी।'

फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से दायर जनहित याचिका में भारत में बेची जा रही दवाओं के फार्मूलेशन और कीमतों पर नियंत्रण को लेकर चिंता जताई गई है। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने संजय पारिख की दलीलें सुनने के बाद कहा कि यह एक गंभीर मुद्दा है।

कोर्ट ने कहा- 'ये गंभीर मुद्दा', केंद्र से भी मांगा जवाब

अदालत ने अब केंद्र से एक सप्ताह के भीतर जनहित याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है और कहा कि 10 दिनों के बाद मामले की फिर से सुनवाई करेगी। बेंच ने कहा, 'यह एक गंभीर मुद्दा है।'

फेडरेशन ने एक जनहित याचिका दायर कर दवा कंपनियों को उनकी दवाओं को लिखने के लिए प्रोत्साहन के रूप में डॉक्टरों को उपहार देने के लिए उत्तरदायी बताए जाने के निर्देश देने की मांग की है। याचिका में केंद्र से यूनिफॉर्म कोड ऑफ फार्मास्युटिकल मार्केटिंग प्रैक्टिसेज (यूसीपीएमपी) को वैधानिक समर्थन देने के लिए कोर्ट से निर्देश देने की मांग की गई है।

पारिख ने अपनी दलील में यह भी कहा, 'वर्तमान में ऐसा कोई कानून नहीं है जो यूसीपीएमपी के लिए किसी वैधानिक आधार के अभाव में इस तरह की प्रथाओं को प्रतिबंधित करता है।'

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख और अधिवक्ता अपर्णा भट ने गंभीर आरोप लगाते हुए जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और ए. एस. बोपन्ना की पीठ को बताया कि 500 मिग्रा तक के किसी भी टैबलेट का बाजार मूल्य सरकार की कीमत नियंत्रण प्रणाली के तहत नियंत्रित होता है। उन्होंने बताया कि लेकिन 500 मिग्रा से ऊपर की दवा की कीमत निर्माता फार्मा कंपनी द्वारा तय की जा सकती है। उन्होंने दलील दी कि उच्च लाभ हासिल सुनिश्चित करने के लिए कंपनी ने डोलो-650 मिग्रा टैबलेट के नुस्खे लिखने के लिए चिकित्सकों में मुफ्त उपहार बांटे। 

Web Title: Dolo 650 makers gave freebies worth Rs 1,000 crore to doctors for prescribing, Supreme Court says its serious issue

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