मुंबई: लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को घेरने में जुटे विपक्ष के सामने सबसे बड़ी चुनौती प्रधानमंत्री पद के चेहरे पर एक राय बनाना है। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राजद, जदयू, वामदलों समते कई पार्टियां विपक्षी एकता को लेकर बैठकें तो कर रही हैं लेकिन उनका पीएम पद का चेहरा कौन होगा जो नरेंद्र मोदी को चुनौती देगा, इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है।
अब समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का बयान चर्चा में है। दरअसल सपा प्रमुख ने मुंबई में कार्यकर्ताओं के साथ एक बैठक में हिस्सा लेने के बाद एक सवाल के जवाब में कहा कि हमारे पास (पीएम पद के लिए) कई चेहरे हैं, समय आने पर हम फैसला करेंगे। अखिलेश यादव के इस बयान के अब मायने निकाले जा रहे हैं। अखिलेश से पूछा गया था कि क्या वह खुद को 2024 में विपक्ष का चेहरा मानते हैं?
इस बैठक में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश बीजेपी पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा, "बीजेपी की क्या रणनीति है, कभी-कभी किसी को समझ नहीं आता। बीजेपी इसी तरह काम करती है, समाज को तोड़ती है, बंटवारा करती है, उनका हिस्सा छीनती है।"
गठबंधन को लेकर समाजवादी पार्टी प्रमुख ने कहा, "ये जरूरी नहीं कि गठबंधन हो जाने से ताकत बढ़ ही जाए, कभी-कभी ताकत कम भी होती है। जनता की ताकत लोकतंत्र में सबसे ज्यादा होती है।"
बता दें कि विपक्ष को एक मंच पर लाने की कोशिशों में जुटे बिहार के सीएम नीतीश कुमार के बारे में भी कहा जाता है कि उन्होंने अब तक पीएम बनने की महत्वकांक्षा छोड़ी नहीं है। दूसरी तरफ सुहेलवेद भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर जैसे नेताओं का कहना है कि विपक्ष को मायावती को प्रधानमंत्री का चेहरा मानकर उनको मना लेना चाहिए।
अब अखिलेश के बयान का ये मतलब भी निकाला जा रहा है कि वह खुद को भी पीएम पद की रेस में मान रहे हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को पटखनी देने के लिए तमाम क्षेत्रीय और राष्ट्रीय पार्टियां बैठकें कर रही हैं। हालांकि राजनीतिक पंडितों का मानना है कि नरेंद्र मोदी के खिलाफ बिना चेहरा तय किए लड़ने से विपक्ष को फायदा नहीं बल्कि नुकसान ही होगा।