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तमिलनाडु में फिर बदलेगा राजनीति का रंग, DMK फहराएगी जीत का झंडा

By ऐश्वर्य अवस्थी | Updated: January 17, 2018 15:58 IST

तमिलनाड़ु के चुनाव जयललिता की मौत और रजनीकांत के पहली बार राजनीति नें कदम रखने के बाद होंगे तो ऐसे में ये चुनाव खुद नें ही अहम होने वाले हैं।

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तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव 2021 में होने वाले हैं लेकिन उससे पहले ही तमिलनाडू की राजनीति में उछाल आ गया है। इस बार के यहां के चुनाव एक नया आयाम लेकर आएंगे।  तमिलनाड़ु के चुनाव जयललिता की मौत और रजनीकांत के पहली बार राजनीति नें कदम रखने के बाद होंगे तो ऐसे में ये चुनाव खुद नें ही अहम होने वाले हैं। राज्य की तस्वीर बदल सकती है लेकिन इंडिया टुडे और कार्वी के ऑपिनियन पोल कुछ और ही परिणाम दिखा रहे हैं। अगर इस सर्वे में किसी को सबसे ज्यादा लोगों के बीच पसंद किया गया है वो डीआईएमके ही है।  एआईएडीएमके को वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले 67 सीटों का नुकसान होता दिख रहा है। अगर आज चुनाव हों तो उसे करीब 26 फीसदी पॉप्युलर वोट मिलेंगे। एआईएडीएमके को 15 प्रतिशत वोटों का नुकसान उठाना पड़ रहा है। 

डीएमके की अच्छी वापसी

ओपनियन पोल के हिसाब से राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम  अपने सहयोगियों के साथ सत्ता में वापसी करती दिख रही है। डीएमके के सहयोगियों में कांग्रेस और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीगशामिल हैं। ओपिनियन पोल के मुताबिक डीएमके गठबंधन 130 सीटों के साथ सरकार बना सकता है। डीएके गठबंधन को 34% वोट मिल सकते हैं। 2016 में डीएमके ने अपने दम पर 88 सीटें जीती थीं। अपनी करिश्माई नेता जे जयललिता के निधन के बाद एआईएडीएमके को मात्र 68 सीटें मिलती दिख रही हैं। 

कब बनी डीएमके

द्रविड़ पार्टी के रूप में डीएमके पार्टी की स्थापना सन 1949 में सीएन अन्नादुराई ने की थी।साठ के दशक में हिंदी के खिलाफ हुए आंदोलन ने डीएमके को ताक़त दी और 1967 में डीएमके ने राज्य से कांग्रेस का सफाया कर दिया। सीएन अन्नादुरई डीएमके के पहले मुख्यमंत्री बने. लेकिन 1967 में उनकी मृत्यु हो गई और एम करुणानिधि मुख्यमंत्री बने। अभी करुणानिधि को मुख्यमंत्री बने बहुत समय नहीं हुआ था कि वर्ष 1969 में उनके नेतत्व को एमजी रामचंद्रन (एमजीआर) ने चुनौती दी। 1972 में डीएमके का विभाजन हो गया और एमजीआर ने ऑल इंडिया द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) का गठन किया। एमजीआर ने 1977 में पहली बार चुनाव जीता और 1987 में अपनी मृत्यु से पहले उन्होंने तीन बार, 1977, 1980 और 1984 में सरकार बनाई। एमजीआर के निधन ने एआईएडीएमके में भी बँटवारा कर दिया। एक धड़ा उनकी पत्नी जानकी रामचंद्रन के साथ था और दूसरा जे जयललिता के साथ, लेकिन 1989 में एआईएडीएमके की हार के बाद दोनों धड़े फिर एक हो गए।

गठबंधन का दौर

एमजीआर के निधन के बाद किसी भी एक दल को लगातार दूसरी बार सत्ता नहीं मिली। 1989 में डीएमके को सत्ता मिली तो 1991 में एआईएडीएमके ने अपना मुख्यमंत्री बनाया।वर्ष 1996 में डीएमके और सहयोगी दलों की सरकार बनी तो वर्ष 2001 में एआईएडीएमके और सहयोगी दलों की और वर्ष 2006 में हुए चुनाव में एक बार फिर डीएमके और सहयोगी दल सत्ता में लौट आए। डीएमके और एआईएडीएम के अलावा छोटे-छोटे दलों का उदय हुआ 1990 के दशक में जातीय राजनीति के उभार के बाद। वहीं, अब एक बार फिर से एक नए गठबंधन होने के कयास भी लगाए जा रहे हैं। नंवबर 2017 में पीएम जब तमिलनाडु में जाकर करुणानिधि से मिले थे तभी से इस बात का आंकल किया जाने लगा है। जिस तरह से सर्वे आया उसमें इनकी इस मीटिंग का भी असर दिख रहा है।

एआईडीएमके का चुनाव में असर

ओपिनियन पोल संकेत देता है कि  एआईडीएमके को अपने वोटर बेस को साथ जोड़े रखने की मुश्किल चुनौती का सामना है। सर्वे के मुताबिक 2016 में पार्टी का समर्थन करने वाले हर तीन वोटरों में से एक का कहना है कि इस बार वो एआईडीएमके को वोट नहीं देगा।  एआईडीएमके नेताओं की संभावनाएं काफी धूमिल हैं. वो सीएम के लिए दावेदारों की दौड़ में रजनीकांत से पिछड़ रहे हैं।

रजनीकांत को मिलेगा चुनाव में फायदा

तमिलनाडु की राजनीति में  आने से राजनीकांत के आ जाने से सत्ता की तस्वीर बदल सकती है लेकिन इंडिया टुडे और कार्वी के ऑपिनियन पोल कुछ और ही परिणाम दिखा रहे हैं। सर्वे के मुताबिक अगर अभी चुनाव हुए तो रजनीकांत को  234 सदस्यीय तमिलनाडु विधानसभा में मात्र 33 सीटें मिलेंगी।

सीएम के लिए स्टालिन सबसे आगे

डीएमके दिग्गज एम करुणानिधि को राज्य के सबसे अच्छे मुख्यमंत्री के तौर पर सबसे ज्यादा 29 फीसदी प्रतिभागियों का समर्थन मिला। इस मामले में एमआरजी को 25% और जयललिता को 21% प्रतिभागियों ने पहली पसंद बताया है।सीएम पद की दौड़ में रजनीकांत की अपेक्षा डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन सबसे आगे चल रहे हैं।  सर्वे में 50 फीसदी लोगों ने अपना सीएम माना, वहीं रजनीकांत 17 प्रतिशत वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। वर्तमान डेप्युटी सीएम ओ पन्नीरसेल्वम को 11 फीसदी लोगों का समर्थन मिला है।

वर्तमान दलीय स्थिति

कुल सीटें- 234डीएमके - 99कांग्रेस - 34पीएमके - 18एआईएडीएमके - 57अन्य - 26 

टॅग्स :डीएमके
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