ईमानदार माने जाने वाले अफसरों का हाल शायद देश के हर राज्य में एक जैसा ही है। ताजा मामला केरल कैडर के आईपीएस जैकब थॉमस का है। केरल की कम्युनिस्ट सरकार पर आरोप है कि उसने जैकब थॉमस के एक भाषण से नाराज होकर उन्हें निलंबित कर दिया है। केरल की सीपीएम सरकार ने ये फैसला मंगलवार (19 दिसंबर) को लिया। है। हालांकि राजधानी स्थित मीडिया ने इस खबर को ज्यादा तवज्जो नहीं दी। निलंबन के बाद जैकब ने द हिन्दू अखबार से कहा, "भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने वालों को जबरन चुप करा दिया जाता है।" थामस केरल के भ्रष्टाचार-निरोधक ब्यूरो और सतर्कता विभाग के निदेशक रह चुके हैं। थॉमस ने नौ दिसंबर को तिरुअनंतपुरम में आयोजित एक कार्यक्रम में विवादित भाषण दिया था।
रिपोर्ट के अनुसार थॉमस ने चक्रवात ओखी के बाद मछुआरों की राहत के लिए सरकार द्वारा उठाए कदम को "राज्य की सुरक्षा के प्रति पूर्वाग्रहग्रस्त" बताया था। द हिन्दू की रिपोर्ट के अनुसार स्थानीय प्रेस क्लब में दिए थॉमस के बयान को सरकार ने "निस्संदेह भड़काऊ प्रकृति का" पाया। थॉमस के निलंब के आदेश में कहा गया है, "प्रथम दृष्टया इसका मकसद ऐसी भावनाओं को भड़काना था, जिसका राज्य की कानून-व्यवस्था पर गंभीर असर पड़ सकता है।" आदेश में कहा गया है कि "थॉमस ने कई गतिविधियों, नीतिगत फैसले, राज्य सरकार के क्रियान्वयन के खिलाफ अभद्र और भड़काऊ टिप्पणी की।"
थॉमस पर आरोप है कि उन्होंने कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है। रिपोर्ट के अनुसार थॉमस ने कहा था, "सरकार गरीबों के लिए काम नहीं कर रही है, अमीर और भ्रष्ट तत्व और लोग सत्ता में हैं और सत्ता में बैठे लोगों की उनसे मिलीभगत है।" द हिन्दू के अनुसार सरकार ने अपने आदेश में कहा कहा कि "चक्रवात की आपदा के मद्देनजर" से लोगों में राज्य के "प्रशासनिक अमले के प्रति नाखुशी और अंसतोष बढ़ सकता है।" आदेश में कहा गया है कि ऐसा बयान उनके कद के अफसर से "अवांछित और अस्वीकार्य है।"
राज्य सरकार ने डीजीपी रैंक के आईपीएस थॉमस के खिलाफ ऑल इंडिया सर्विस (डिसिप्लीन एंड अपील) रुल्स 1969 के रूल 3 (आईए) के तहत कार्रवाई की है। इस कानून के तहत "राज्य की सुरक्षा के हितों प्रति पूर्वाग्रहग्रस्त" होने पर राज्य सरकार कार्रवाई कर सकती है। राज्य सरकार ने अपने फैसले में कहा है कि थॉमस का कृत्य इंडिया सर्विस रूल्स का उल्लंघन और आधिकारिक कदाचार का मामला है।