तमान कोशिशों के बावजूद पाकिस्तान जम्मू कश्मीर की एक इंच जमीन नहीं ले सका: आज़ाद

By भाषा | Updated: December 26, 2021 23:06 IST2021-12-26T23:06:32+5:302021-12-26T23:06:32+5:30

Despite all efforts, Pakistan could not take an inch of Jammu and Kashmir's land: Azad | तमान कोशिशों के बावजूद पाकिस्तान जम्मू कश्मीर की एक इंच जमीन नहीं ले सका: आज़ाद

तमान कोशिशों के बावजूद पाकिस्तान जम्मू कश्मीर की एक इंच जमीन नहीं ले सका: आज़ाद

जम्मू, 26 दिसंबर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद ने रविवार को कहा कि तमाम कोशिशों के बावजूद पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर की एक इंच जमीन नहीं ले सका है। उन्होंने कहा कि सुरक्षाबल और केंद्रशासित प्रदेश के लोग पिछले तीन दशक से ज्यादा वक्त से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से लड़ रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर में अमन बहाली के लिए पाकिस्तान के साथ बातचीत शुरू करने की नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की मांग पर आज़ाद ने कहा कि वार्ता करने का फैसला भाजपा नीत केंद्र सरकार पर छोड़ देना चाहिए।

जम्मू में अंतरराष्ट्रीय सीमा के नज़दीक खौर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए आज़ाद ने कहा कि सरहदी इलाकों में रहने वाले लोग भारतीय सीमाओं के निगहबान हैं और वे सुरक्षाबलों के साथ खड़े रहे हैं।

कांग्रेस नेता ने कहा, “ आपने बीते तीन दशकों में पाकिस्तान की गोलीबारी की वजह से बहुत कुछ सहन किया है। यह आपकी तीसरी पीढ़ी है जो बंदूकों की दहाड़ के बीच पैदा हुई और पली-बढ़ी है। आपके खेतों में फसलें नहीं खड़ी हो सकीं, क्योंकि पाकिस्तान से (आतंकवादियों की) घुसपैठ रोकने के लिए बारूदी सुरंगें बिछाई गई हैं।”

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “आपने पाकिस्तान की गोलीबारी की वजह से कई जिंदगियां, घर और रोजगार को खोया है। लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूं कि तमाम कोशिशों के बावजूद पाकिस्तान हमारी एक इंच जमीन नहीं ले सका।”

उन्होंने कहा कि यह भारत की महानता है कि जो भी पार्टी सत्ता में आती है, उसकी प्राथमिकता सीमाओं की रक्षा होती है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, “ मैं पाकिस्तान को 1971 में उसकी हार की याद दिलाना चाहता हूं जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में हमारी सेना ने उससे बांग्लादेश को अलग कर दिया था। अगर आप कोई दुस्साहस करते हैं, तो हम आपको सबक सिखाएंगे।”

आज़ाद ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह की बातचीत शुरू करने का फैसला सरकार पर छोड़ देना चाहिए।

कांग्रेस नेता ने कहा, “मैं कोई नहीं हूं क्योंकि मुझे बात नहीं करनी है और मैं यह भी नहीं जानता कि स्थिति की गंभीरता क्या है। यह पहली बार नहीं है (जब हम पाकिस्तान के साथ बातचीत नहीं कर रहे हैं)। अतीत में भी, हमने अपनी सरकार के दौरान बातचीत बंद कर दी थी।”

उन्होंने कहा कि जब दोनों देशों के बीच चीजें बेहतर होंगी और माहौल अनुकूल होगा तो बातचीत हो सकती है।

जम्मू-कश्मीर में शांति बहाल करने के लिए बातचीत की नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी की लगातार मांग को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि इस वक्त भारत सरकार है जिसे फैसला करना है।"

सरहदी इलाकों में रहने वाले लोगों को उनके साथ पूरे देश के खड़ा होने का भरोसा देते हुए आज़ाद ने कहा कि वह पाकिस्तान को बताना चाहते हैं कि भारत एकजुट है और कोई इसे नुकसान नहीं पहुंचा सकता है।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद ने कश्मीर को बर्बाद कर दिया है लेकिन जम्मू क्षेत्र में शांति भंग करने की उसकी कोशिशों को लोगों ने नाकाम कर दिया जो देश के दुश्मनों और उनकी साजिशों के खिलाफ एकजुट होकर खड़े हैं।

विधानसभा चुनाव से पहले क्षेत्र में ध्रुवीकरण की कोशिश के खिलाफ लोगों को आगाह करते हुए आज़ाद ने कहा कि राजनीति लोगों को एक-दूसरे के करीब लाने के लिए होती है, लेकिन कुछ राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दल हैं जो धर्म, क्षेत्र, जाति और पंथ के नाम पर लोगों को बांटने के लिए तैयार रहते हैं।

कांग्रेस नेता ने कहा, “हम पिछले 31 सालों से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से लड़ रहे हैं... हम आंतरिक लड़ाई बर्दाश्त नहीं कर सकते। अगर हमें आगे बढ़ना है, तो हमें एकजुट होकर खड़ा होना होगा और शरारती प्रचार में नहीं पड़ना होगा।” उन्होंने कहा, ‘हमें नफरत की दीवार को तोड़ना होगा।” आज़ाद ने यह भी कहा कि कांग्रेस ने धर्म के आधार पर कभी राजनीति नहीं की।

उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि देश 'गलत राजनीति' का गवाह है जो न्याय पर आधारित नहीं है।

पांच अगस्त 2019 के घटनाक्रम के संदर्भ में आज़ाद ने कहा, “हमारा संघर्ष इंसाफ पर आधारित है। जमीन और हमारे राज्य के साथ-साथ नौकरियों पर हमारे हक को छीन लिया गया है।”

केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को खत्म कर दिया था और राज्य को दो केद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था।

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