दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को कहा कि शहर में जलभराव की समस्या के हल के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) से मिले सुझावों के आधार पर यहां की जल निकासी व्यवस्था में परिवर्तन किया जाएगा। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी के ‘ड्रेनेज मास्टर प्लान’ की समीक्षा के लिए हुई बैठक में यह फैसला किया गया। केजरीवाल ने बैठक की अध्यक्षता की।दिल्ली में इस साल मानसून के मौसम में कई स्थानों पर भारी जलभराव देखा गया है। भारी बारिश के बाद कई मुख्य मार्ग, अंडरपास और रिहायशी इलाके भी जलमग्न हो गए। केजरीवाल ने एक बयान में कहा, ‘‘दिल्ली को जलजमाव से जल्द मुक्ति मिलेगी। जल निकासी व्यवस्था को और मजबूत करने और इसे पूरी तरह से दुरूस्त बनाने के लिए आईआईटी दिल्ली द्वारा सुझाए गए आवश्यक परिवर्तनों को लागू किया जाएगा। दिल्ली की जल निकासी व्यवस्था में हर कमी को दूर करना होगा...।’’उन्होंने कहा कि छोटे नालों को बड़ी जल निकासी लाइनों से जोड़ने के लिए उचित योजना बनाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए सभी जल निकासी लाइनों की खातिर योजना बनाने और परियोजना रिपोर्ट पेश करने के लिए सलाहकारों की मदद ली जाएगी। एक सरकारी बयान के अनुसार, एक तकनीकी विशेषज्ञ समिति बारिश की तीव्रता सहित विभिन्न विषयों पर काम कर रही है, वहीं आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञों को जल निकासी प्रणालियों का विश्लेषण करने और उनका समाधान सुझाने के लिए कहा गया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में करीब 2,846 नाले हैं और उनकी लंबाई करीब 3,692 किलोमीटर है। इनमें से अधिकतर प्रबंधन लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा किया जा रहा है। इससे पहले दिन में सीएमओ ने बैठक के बारे में ट्वीट किया, ‘‘मुख्यमंत्री ने नगर के ड्रेनेज मास्टर प्लान की समीक्षा के लिए बैठक बुलाई। आईआईटी के सुझाव पर नालों में जरूरी बदलाव किए जाएंगे। पानी की बेहतर तरीके से निकासी (मानसून के दौरान) को ध्यान में रखते हुए जरूरी बदलाव किए जाएंगे। शहर में जलजमाव की समस्या का समाधान किया जाएगा।" केजरीवाल ने पिछले महीने कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी में एक "विश्वस्तरीय जल निकासी व्यवस्था" विकसित की जाएगी।
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