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Delhi Services Bill 2023: दिल्ली सेवा बिल पास, पक्ष में 131 और विरोध में 102 वोट, जानें बड़ी बातें

By सतीश कुमार सिंह | Updated: August 7, 2023 22:26 IST

Delhi Services Bill 2023: राज्यसभा ने सात घंटे से अधिक समय तक चर्चा के बाद ‘दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन संशोधन विधेयक 2023’ को 102 के मुकाबले 131 मतों से मंजूरी दी।

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ठळक मुद्देतकनीकी खराबी आने के कारण वोटों का बंटवारा कागजी पर्चियों के जरिए से हुआ।विधेयक का उद्देश्य दिल्ली में ‘‘भ्रष्टाचार विहीन और लोकाभिमुख शासन’’ है। इस विधेयक के माध्यम से किंचित मात्र भी परिवर्तन नहीं हो रहा है।

Delhi Services Bill 2023: राज्यसभा ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित कर दिया गया। पक्ष में 131 और विरोध में 102 वोट पड़े। राज्यसभा में स्वचालित वोट रिकार्डिंग मशीन में तकनीकी खराबी आने के कारण वोटों का बंटवारा कागजी पर्चियों के जरिए से हुआ।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक 2023, जो दिल्ली सरकार में वरिष्ठ अधिकारियों के तबादलों और पोस्टिंग से संबंधित है। बीजेडी और वाईएसआर ने सरकार के पक्ष में मतदान किया। यह कानून 3 अगस्त को लोकसभा द्वारा पारित किया गया था और अब कानून बनने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार है।

19 मई को केंद्र द्वारा घोषित अध्यादेश को बदलने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा उच्च सदन में विधेयक पेश किया गया था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली में पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि को छोड़कर सेवाओं का नियंत्रण निर्वाचित सरकार को सौंपने के एक सप्ताह बाद केंद्र ने अध्यादेश लाया। 

उच्च सदन में सात घंटे से अधिक समय तक चली चर्चा के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब दिया। गृह मंत्री के जवाब के बाद सदन ने इस संबंध में पहले लागू अध्यादेश को अस्वीकार करने के कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों के सांविधिक संकल्प को नामंजूर कर दिया। इसके साथ विपक्ष द्वारा पेश संशोधनों को भी नामंजूर कर दिया।

चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि दिल्ली में अधिकारियों के तबादले एवं तैनाती से जुड़े अध्यादेश के स्थान पर लाये गये विधेयक का मकसद राष्ट्रीय राजधानी के लोगों के हितों की रक्षा करना है, आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के हितों को हथियाना नहीं। गृह मंत्री शाह ने कहा है कि विधेयक का उद्देश्य दिल्ली में ‘‘भ्रष्टाचार विहीन और लोकाभिमुख शासन’’ है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासन में जो व्यवस्था थी, उसमें इस विधेयक के माध्यम से किंचित मात्र भी परिवर्तन नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली कई मायनों में सभी राज्यों से अलग प्रदेश है क्योंकि यहां संसद, कई संस्थाएं, उच्चतम न्यायालय हैं वहीं कई राष्ट्राध्यक्ष यहां चर्चा करने आते हैं, इसीलिए इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है।

उन्होंने कहा कि यह विधानसभा के साथ सीमित अधिकार वाला केंद्र शासित प्रदेश है। विधेयक के उद्देश्य और कारणों में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 239 (क) (क) के उपबंधों के आशय और प्रयोजन को प्रभावी बनाने की दृष्टि से स्थानांतरण, तैनाती और सतर्कता और अन्य मुद्दों से संबंधित विषयों पर उपराज्यपाल को सिफारिश करने के लिए दिल्ली के मुख्य सचिव और दिल्ली के गृह विभाग के प्रधान सचिव के साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक स्थाई प्राधिकरण का गठन करने की बात है।

गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में कहा कि दिल्ली में अधिकारियों के तबादले एवं तैनाती से जुड़े अध्यादेश के स्थान पर लाये गये विधेयक का मकसद राष्ट्रीय राजधानी के लोगों के हितों की रक्षा करना है, आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के हितों को हथियाना नहीं।

उच्च सदन में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन संशोधन विधेयक 2023 पर हुई लंबी चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री शाह ने कहा है कि विधेयक का उद्देश्य दिल्ली में ‘‘भ्रष्टाचार विहीन और लोकाभिमुख शासन’’ है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासन में जो व्यवस्था थी, उसमें इस विधेयक के माध्यम से किंचित मात्र भी परिवर्तन नहीं हो रहा है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली कई मायनों में सभी राज्यों से अलग प्रदेश है क्योंकि यहां संसद, कई संस्थाएं, उच्चतम न्यायालय हैं वहीं कई राष्ट्राध्यक्ष यहां चर्चा करने आते हैं, इसीलिए इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है। उन्होंने कहा कि यह विधानसभा के साथ सीमित अधिकार वाला केंद्र शासित प्रदेश है।

शाह ने कहा कि विधायक का चुनाव या मुख्यमंत्री बनने वाले व्यक्ति को इसके सीमित अधिकारों के बारे में पता होना चाहिए। उन्होंने दिल्ली के स्वतंत्रता पूर्व एवं स्वतंत्रता पश्चात इतिहास का भी उल्लेख किया। उन्होंने राजद सदस्य मनोज झा से कहा कि वह सदन को यह समझा दें कि क्या दिल्ली अभी केंद्र शासित प्रदेश नही है?

उन्होंने कहा कि दिल्ली में जिस तरह के बदलाव हो सकते हैं, वे अन्य राज्यों में नहीं हो सकते हैं। गृह मंत्री ने कहा कि 1991 से 2015 तक दिल्ली में विभिन्न दलों की सरकारें रहीं और इस दौरान अधिकारियों के तबादले एवं पदोन्नति इसी तरह होते रहे। उन्होंने कहा कि उस दौरान केंद्र एवं राज्य में कभी भाजपा की सरकार थी और कभी कांग्रेस की किंतु कभी इनके बीच टकराव नहीं हुआ।

उन्होंने इस आरोप को गलत बताया कि केंद्र सरकार अपने हाथ में ‘‘पावर’’ लेना चाहती है। उन्होंने कहा कि देश की 130 करोड़ जनता ने उन्हें चुनकर भेजा है, उन्हें ‘‘पावर’’ दी है। उन्होंने कहा कि शब्दकोश के बड़े बड़े अंग्रेजी शब्द कह देने से सत्य नहीं बदल जाएगा। शाह ने कहा कि दिल्ली में अराजकता फैलाने का काम शुरू हो गया है।

उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्णय का उल्लेख किया जिसमें सेवाओं के मामले में दिल्ली सरकार का अधिकार माना गया। गृह मंत्री ने कहा कि संविधान के तहत दिल्ली के किसी भी विषय में कानून बनाने का संसद को अधिकार है। उन्होंने यह भी कहा कि संसद को दिल्ली विधानसभा द्वारा पारित किसी भी कानून को संशोधित करने या निरस्त करने का अधिकार दिया है।

शाह ने कहा कि यह संविधान संशोधन उनकी सरकार नहीं कांग्रेस सरकार लेकर आयी थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस आम आदमी पार्टी को संतुष्ट करने के लिए अपने ही लाये गये कानून का आज विरोध कर रहे हैं। शाह ने कहा कि अदालत के फैसले की अवमानना तब होती है जब अदालत ने स्थगनादेश दिया हो। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि दिल्ली के बारे में संसद कानून बना सकती है।

उन्होंने कहा कि अदालत के फैसलों को बदलने के लिए कई बार संविधान में संशोधन किए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम इमर्जेंसी लगाने के लिए संविधान में संशोधन लेकर नहीं आये हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम यह विधेयक किसी पूर्व प्रधानमंत्री की सदस्यता को बचाने के लिए नहीं लाये हैं। हम संविधान की भावना को बचाने के लिए यह विधेयक लाये हैं।’’

उन्होंने कहा कि आपात काल के दौरान तीन लाख राजनीतिक नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया गया। उन्होंने कहा कि आपातकाल के विरोध में अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के संपादकीय को खाली छोड़ दिया गया था। गृह मंत्री ने अध्यादेश के समय के बारे में बताया कि उच्चतम न्यायालय में अवकाशकालीन पीठ होती है जो स्थगनादेश दे सकती है।

उन्होंने कहा कि अध्यादेश के खिलाफ स्थगनादेश मांगा गया था किंतु उच्चतम न्यायालय ने नहीं दिया था। शाह ने कहा कि सरकार दिल्ली की जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए यह अध्यादेश लायी और इसी लिए इसमें जल्दबाजी की गयी। उन्होंने कहा कि 11 मई को उच्चतम न्यायालय का निर्णय आया।

उन्होंने कहा कि उसी दिल्ली सरकार ने तबादले शुरू कर दिये और सोशल मीडिया पर इसकी घोषणा भी कर दी गयी। उन्होंने कहा कि सतर्कता विभाग के अधिकारियों से कहा गया कि वे सीधे मंत्री को रिपोर्ट करें। उन्होंने सवाल किया कि दिल्ली सरकार ने केवल सतर्कता विभाग को ही क्यों निशाना बनाया, अन्य विभागों को क्यों नहीं।

शाह ने कहा कि इसका कारण था कि आबकारी घोटाले की फाइलें सतर्कता विभाग में थीं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के आवास की मरम्मत के लिए आवंटित की गयी राशि से छह गुना अधिक राशि खर्च करने संबंधित फाइल भी सतर्कता विभाग के पास थी। उन्होंने कहा कि दो बीज कंपनियों के खिलाफ जांच की फाइल भी सतर्कता विभाग के पास थी। 

(इनपुट एजेंसी)

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